संगम तीरे पाकिस्तान के चार गांव भी बसे हैं। इनमें शामिल एक गांव ब्रह्मालीन टेऊंराम जी महाराज की जन्म स्थली खंडू ग्राम है। इनमें कुछ पर्ण कुटिया पाकिस्तान के उन गांव की शैली की हैं, जहां सिंधी संत रहते थे। कुंभ में एकदम किनारे टीले पर यह गांव बसे हैं। इनमें देश के बंटवारे के बाद पाकिस्तान से आए सिंधी रुके हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से भी दो सौ श्रद्धालु आने वाले हैं।
वर्ष 1926 में प्रेम प्रकाश पंथ के आचार्य स्वामी टेऊंराम जी महाराज ने श्री प्रेम प्रकाश अन्न क्षेत्र छावनी लगाने की शुरुआत की थी। कुंभ में सिंध प्रदेश के किसी संत संप्रदाय की यह पहली छावनी थी। इसी वर्ष (1926 में) चैत्र मेला आयोजित करने की परंपरा भी शुरू हुई थी। इसके बाद से सिंध प्रांत का शिविर सभी कुंभ में लगातार लग रहा है। सेक्टर 12 में गंगा तट और टीले पर सुनियोजित तरीके से चार गांव बसाए गए हैं। जिनमें अमरापुर धाम के अतिरिक्त खंडू, भिट्टशाह एवं चक गांव हैं। खंडू, भिट्टशाह एवं चक गांव टीले पर बसे हैं।
खंड़ू ग्राम स्वामी टेऊंराम , भिट्टशाह ग्राम स्वामी सर्वानंद एवं चक ग्राम स्वामी शांतिप्रकाश की जन्म स्थली है। यह तीन संत लगातार एक दूसरे के उत्तराधिकारी रहे हैं। अब इस गद्दी पर स्वामी भगत प्रकाश प्रतिष्ठित हैं। इन तीनों गांवों में व्यवस्था अलग-अलग संतों के हाथ में हैं। टीलों में बसे गांव की परिकल्पना पाकिस्तान के सिंध प्रांत की हैं। वहां जैसे गांव बसे थे उसी का स्वरूप दिया गया है। इन ग्रामों में अमेरिका, इंग्लैंड, स्पेन, इंडोनेशिया आदि देशों से अप्रवासी सिंधी भारतीय रुके हैं। पाकिस्तान के सिंध प्रांत से डेढ़ सौ सिंधियों ने यहां आने का संदेश दिया है। खंडू एवं भिट्टशाह गांव में 24 कुटिया बनी है।
शिविर के प्रवक्ता अशोक जेठान ने बताया कि अमरापुर धाम शिविर का मुख्य स्थान हैं। यहां आश्रम के गुरु स्वामी भगतप्रकाश जी महाराज का शिविर है और जयपुर से सैकड़ों भक्त यहां रुके हैं। इस गांव में यज्ञशाला, प्रवचन स्थल और भंडारा की व्यवस्था की गई है।
उन्होंने कहा कि पूरे शिविर में सिर्फ सिंधी भक्त ही हैं। देश और विदेश से तमाम सिंधी यहां आ रहे हैं। सिंधी संत भी पहुंचने वाले हैं। इस बार शिविर में नौ से 13 फरवरी तक 92 वां चैत्र मेला लगेगा। इस मेले में श्री प्रेम प्रकाश ग्रंथ एवं श्रीमद्भगवद गीता का पाठ, धवजावंदन तथा यज्ञ होगा। सत्संग भी लगातार जारी रहेगा। इससे पहले आठ फरवरी को स्वामी गुरुमुखदास की 48 वीं पुण्य तिथि मनाई जाएगी।