..तो हम चुपचाप अफजल के परिजनों को उससे मिलवा देते: उमर

UMAR ABDULLAH 2013-2-11श्रीनगर । जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने रविवार को अफजल गुरु को फांसी दिए जाने पर अफसोस जताते हुए कहा, इससे आम कश्मीरियों में राष्ट्र की मुख्यधारा से विमुखता की भावना और ज्यादा मजबूत होगी। उन्होंने इसको कश्मीरियों के साथ नाइंसाफी तक करार दिया था। मुझे इस बात का भी अफसोस रहेगा कि परिजन फांसी से पूर्व गुरु से नहीं मिल सके। हम प्रयास करेंगे कि अफजल गुरु का शव उसके परिजनों को सौंपा जाए। विदित हो कि उमर की पार्टी नेशनल कांफ्रेंस भी संप्रग का घटक दल है और उनके पिता फारूक अब्दुल्ला केंद्र सरकार में मंत्री हैं।

यहां एक टीवी चैनल से साक्षात्कार में मुख्यमंत्री ने कहा कि गुरु की फांसी के बाद आम कश्मीरियों में धारणा बनी है कि फांसी देने का फैसला सियासी था। इसलिए संप्रग सरकार को साबित करना पडे़गा कि यह फैसला सियासी नहीं था। अफजल को फांसी दिए जाने की सूचना से मुझे कोई हैरानी नहीं हुई, लेकिन मेरी राय में उसे यह सजा न दी जाती तो ज्यादा बेहतर होता। उसे फांसी दिए जाने के कश्मीर में दूरगामी परिणाम होंगे, विशेषकर यहां की नौजवान पीढ़ी पर।

इसे आप मानो या न मानो, लेकिन आम अवाम में इस फांसी के बाद यह भावना मजबूत हुई है कि उसके साथ पूरा इंसाफ नहीं हुआ। फिलहाल, हमारा ध्यान इस बात पर है कि हम लोगों में राष्ट्र की मुख्यधारा से विमुखता कैसे और किस हद तक कम कर सकते हैं।

उमर ने कहा, फिलहाल तो अफजल गुरु की फांसी का असर हमें सुरक्षा व्यवस्था के मोर्चे पर झेलना है। यह चुनौती गुरु की फांसी से राज्य के हालात पर होने वाले दूरगामी प्रभावों के मुकाबले कहीं ज्यादा आसान है। मुझे नहीं मालूम कि अफजल के परिजनों को केंद्र सरकार ने स्पीड पोस्ट के जरिये पहले ही उसकी फांसी की सजा से अवगत करा दिया था। कम से कम हमें केंद्र सरकार समय पर सूचित करती, तो हम गुपचुप तरीके से उसके परिजनों को दिल्ली ले जाकर अफजल से मिलवाते।

इंसानियत के तौर पर अफजल को फांसी दिए जाने से पहले परिजनों से अंतिम मुलाकात का मौका दिया जाना चाहिए था। यह बहुत ही अफसोसजनक है कि वह फांसी से पहले अपने परिवार से नहीं मिल पाया। उसके परिजनों को यह गम हमेशा रहेगा।

उन्होंने कहा कि गुरु की सजा माफी के लिए, उसके मामले की दोबारा सुनवाई के लिए न सिर्फ जम्मू-कश्मीर में बल्कि बाहर भी बहुत से लोगों ने आवाज उठाई थी। मेरे विरोधी गुरु की फांसी के लिए मुझे जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन मेरी जिम्मेदारी सिर्फ इस घटना के बाद जम्मू-कश्मीर में पैदा होने वाले हालात से निपटने तक ही सीमित है। इस तरह के फैसले पूरी कैबिनेट या फिर सरकार में शामिल सहयोगियों को बताकर नहीं लिए जाते हैं। जब अजमल कसाब को फांसी दी गई थी तब मुझे आभास हो गया था किअफजल का भी नंबर आने वाला है। इसलिए मैंने पहले ही पुलिस व अन्य सुरक्षा एजेंसियों को ऐसी किसी स्थिति से निपटने के लिए तैयार रहने के लिए कहा था।

मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस मौके पर स्वर्गीय राजीव गांधी और पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारों को फांसी दिए जाने में हो रही देरी के लिए भारतीय जनता पार्टी सरीखे दलों को आड़े हाथ भी लिया। कहा, उनके रवैये को देखते हुए ही मैं कह सकता हूं कि गुरु की फांसी एक सियासी फैसला था।

कश्मीर में दूसरे दिन भी क‌र्फ्यू तोड़कर हुए विरोध प्रदर्शन

श्रीनगर। आतंकी अफजल गुरु की फांसी के बाद कश्मीर घाटी में रविवार को लगातार दूसरे दिन भी जारी रहे क‌र्फ्यू का उल्लंघन कर बारामूला, सोपोर, शोपियां, गांदरबल, वत्रगाम, रफियाबाद, कंगन समेत कई इलाकों में लोगों ने जुलूस निकालने का प्रयास किया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़पें भी हुई, जिनमें चार पुलिसकर्मियों समेत एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल हुए।

पुलिस ने वादी के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी कर दो दर्जन शरारती तत्वों को भी एहतियातन हिरासत में ले लिया। वत्रगाम में प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए पुलिस को आंसू गैस के साथ रबड़ की गोलियां दागीं। शोपियां में भी प्रदर्शनकारियों ने पुलिस वाहन को क्षति पहुंचाने का प्रयास किया। बारामूला और सोपोर में सुबह से शाम तक पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच रुक-रुक कर हिंसक झड़पें होती रहीं। कंगन, सुंबल व गांदरबल में भी प्रदर्शनकारियों पर काबू पाने के लिए सुरक्षाबलों को बल प्रयोग करना पड़ा।

श्रीनगर व डाउन-टाउन में स्थिति अपेक्षाकृत शांत रही। कई जगह लोगों ने घरों से बाहर निकलने का प्रयास किया, लेकिन सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी। उधर, बांडीपोरा जिले के सुंबल इलाके में एक प्रदर्शनकारी पुलिस से बचने के चक्कर में नदी में डूब गया। प्रदर्शनकारियों को खदेड़ने के लिए सुरक्षाकर्मियों ने जब उनके पीछे दौड़ लगाई तो तीन युवक बचने के लिए एक नाव में सवार होकर नदी पार करने लगे। नाव बीच धार में डूब गई। दो युवकों को बचा लिया गया, जबकि तीसरा मर गया। वहां मौजूद सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें बचाने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली।

कश्मीर में अखबार के प्रकाशन पर रोक

श्रीनगर [जागरण ब्यूरो]। केबल टीवी, एसएमएस, मोबाइल और इंटरनेट सेवाओं को ठप करने के बाद प्रशासन ने कश्मीर घाटी में अगले आदेश तक स्थानीय अखबारों के प्रकाशन व वितरण पर भी रोक लगा दी है। अधिकारिक तौर पर आदेश जारी नहीं किया गया है, लेकिन कश्मीर में रविवार को प्रशासन ने किसी भी अखबार का वितरण नहीं होने दिया।

नागरिक या पुलिस प्रशासन ने स्थानीय अखबारों के प्रकाशन व वितरण पर रोक पर कुछ भी कहने से इन्कार किया है। शनिवार रात को 11 बजे पुलिस ने अखबारों के प्रकाशन व उनके वितरण को रुकवाने का ऑपरेशन शुरू किया, जो रविवार तड़के तक जारी रहा। कश्मीर के प्रमुख अंग्रेजी दैनिक ग्रेटर कश्मीर के प्रिंटर पब्लिशर राशिद मखदूमी ने बताया कि हम अपने अखबार को अंतिम रूप दे रहे थे कि अचानक पुलिस आ गई। पुलिस अधिकारियों ने कहा कि अखबार नहीं छपेगा, अगर छपेगा तो वह उसे वितरित नहीं होने देंगे। इसके बाद हमने अखबार को नहीं छापा, अलबत्ता हमारा ऑनलाइन एडीशन ही जारी हुआ है।

कश्मीर रीडर अखबार के संपादक शौकत मौटा ने कहा, हमारा अखबार छप चुका था, लेकिन पुलिस ने उसे लालचौक में हमारे एजेंट के पास से जब्त कर लिया। एक भी प्रति कहीं नहीं जा पाई है। पुलिस ने कार्यालय के लिए भी एक प्रति नहीं छोड़ी। हमें चार दिनों तक अखबार न छापने की हिदायत की गई है। वादी के प्रमुख न्यूज पेपर वितरक जनता न्यूज एजेंसी के अनुसार, उन्हें रात को ही पुलिस ने सूचित कर दिया था कि कोई अखबार नहीं बांटा जाए। उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने शनिवार को अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के बाद मीडिया के साथ बातचीत में लोगों से संयम बनाए रखने और मीडिया से विशेषकर न्यूज चैनलों से आग्रह किया था कि वह किसी भी समाचार को महज सुनी सुनाई बात पर न प्रसारित करें, उसके प्रसारण से पूर्व सभी तथ्य जांच लें।

घाटी में अभी जारी रहेगी सतर्कता

नई दिल्ली। अफजल गुरु की फांसी के दूसरे दिन भले ही जम्मू-कश्मीर में हिंसक वारदातें नहीं हुई हुई हो, लेकिन घाटी को लेकर सरकार की सतर्कता अभी खत्म नहीं हुई है। इसलिए घाटी के संवेदनशील इलाकों में क‌र्फ्यू अभी दो दिन और जारी रह सकता है। सुरक्षा एजेंसी से जुड़े वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार 11 फरवरी को मकबूल बंट्ट की बरसी को देखते हुए एहतियातन सरकार अतिरिक्त सतर्कता बरत रही है।

अफजल की फांसी के बाद देश की सुरक्षा स्थिति पर नजर रखने वाले एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जम्मू-कश्मीर समेत देश के किसी हिस्से से अप्रिय घटना की सूचना नहीं है। यह सरकार के लिए राहत की बात है। कश्मीर घाटी में टेलीफोन व मोबाइल सेवाओं के ठप्प किए जाने व दूसरे दिन भी कई इलाकों में क‌र्फ्यू लागू होने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि ये कदम एहतियातन उठाए गए हैं, ताकि अलगाववादी व आतंकी गुटों को आम आदमी की भावनाओं को भड़काने से रोका जा सके। 11 फरवरी को मकबूल बंट्ट की फांसी की 29वीं बरसी है। अलगाववादी संगठन इस दिन विशेष रैलियां व सभाएं करते आए हैं। इसीलिए सुरक्षा एजेंसियां इसके बाद ही क‌र्फ्यू में धीरे-धीरे ढील देने के पक्ष में है।

देश के दूसरे राज्यों के लिए जारी अलर्ट के बारे में पूछे जाने पर गृह मंत्रालय के अधिकारी ने कहा कि अगले कुछ दिनों तक सभी राज्यों को सचेत रहने के लिए कहा गया है। स्थिति सामान्य रहने की स्थिति में सतर्कता को धीरे-धीरे कम करने पर विचार किया जा सकता है।

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