अगर अर्थव्यवस्था पिछले एक दशक के सबसे खराब दौर से गुजर रही है तो देश के ऑटोमोबाइल उद्योग की रफ्तार भी दस साल के न्यूनतम पायदान पर पहुंच चुकी है। यही नहीं, आगामी वित्त वर्ष 2013-14 के दौरान भी ऑटो उद्योग के लिए हालात सकारात्मक नहीं दिखते। यही वजह है कि ऑटो उद्योग ने वित्तमंत्री पी चिदंबरम से खास रियायतों का तोहफा मांगा है। इससे न सिर्फ लाखों लोगों के रोजगार को बचाया जा सकेगा, बल्कि देश से औद्योगिक मंदी को दूर करने में भी मदद की जा सकेगी।
ऑटो कंपनियों के सगंठन सोसायटी ऑफ ऑटोमोबाइल मैन्यूफैक्चरर्स [सियाम] के महानिदेशक विष्णु माथुर के मुताबिक, ‘कारों की बिक्री जनवरी में 12.45 फीसद कम हुई है। फरवरी-मार्च के दौरान भी स्थिति सुधरने की गुंजाइश नहीं है। ऐसे में पूरे वित्त वर्ष के दौरान कार बिक्री की रफ्तार एक फीसद से भी नीचे रहेगी। पिछले दस वर्षो में ऐसा नहीं हुआ। ऐसे में पूरा उद्योग वित्तमंत्री की तरफ से नजर लगाए हुए है कि वह हमें राहत दे कर मंदी से उबारने में मदद करेंगे।’
अगर कारों की बिक्री ने फरवरी और मार्च के दौरान रफ्तार नहीं पकड़ी तो सालाना आधार पर बिक्री घट भी सकती है। इसके पहले वर्ष 2002-03 में कारों की बिक्री में लगभग दो फीसद की गिरावट देखी गई थी। अप्रैल, 2012 से जनवरी, 2013 के दौरान कारों की बिक्री 1.8 फीसद घट चुकी है। सामान्य तौर पर फरवरी और मार्च में कारों की बिक्री बहुत खास नहीं रहती। यही वजह है कि कार उद्योग शुल्कों में भारी राहत की मांग कर रहा है ताकि आगामी वित्त वर्ष के दौरान बिक्री की रफ्तार तेज की सके। माथुर का कहना है कि घरेलू बाजार में बिक्री में गिरावट से पूरी दुनिया में एक प्रमुख कार बाजार के तौर पर भारत की साख को धक्का लगेगा।
कार उद्योग की प्रमुख मांग यह है कि छोटी कारों पर उत्पाद शुल्क की दर को घटाकर 10 फीसद पर लाया जाना चाहिए। बड़ी कारों पर शुल्क की दरों को घटाकर 22 फीसद पर लाने की मांग की गई है। अगर ऐसा होता है तो छोटी कारों की कीमतों में अच्छी खासी कमी हो सकती है। ऑटोमोबाइल उद्योग की एक अन्य मांग यह है कि शहरी क्षेत्रों में बसों और कॉमर्शियल ट्रकों की बिक्री को बढ़ावा देने की स्कीम लागू की जानी चाहिए। इस तरह की स्कीम केंद्र सरकार ने वर्ष 2008-09 की मंदी के दौरान लागू की थी।
-उद्योग की उम्मीद-
1. ब्याज दरों में होनी चाहिए तेज कटौती
2. छोटी और बड़ी कारों पर उत्पाद शुल्क कम किया जाए
3. शहरी क्षेत्रों में कॉमर्शियल वाहनों की बिक्री को मिले बढ़ावा