घोटालेबाजों ने न धरती छोड़ी न आसमान

bofors1 2013-2-13भारत में रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार और कमीशनखोरी कोई नई बात नहीं है। आजादी के बाद से जीप खरीद घोटाले से लेकर अब हेलीकॉप्टर खरीद घोटाले तक एक लंबी फेहरिस्त है। इसमें हर स्तर पर घोटाले हुए, लेकिन सभी घोटालों की जांच का हश्र जो हुआ, वह सबके सामने है। न तो किसी घोटाले की जांच मुकम्मल हुई और न ही दोषियों को सजा मिल पाई। आइए डालते है आजाद भारत के अब तक के महत्वपूर्ण रक्षा सौदा घोटालों पर एक नजर :-

जीप खरीद घोटाला :

आजादी के ठीक बाद 1948 में जीप घोटाला सामने आया था। पाकिस्तान के कबायली हमले के बाद भारतीय सेना को जीपों की जरूरत थी। सरकार ने लंदन की एक कंपनी से 2000 जीपों का सौदा किया। सौदा 80 लाख रुपये का था। लेकिन एक साल में केवल 155 जीपें ही मद्रास बंदरगाह पर पहुंची। इनमें से ज्यादा जीपें तय मानक पर खरी नहीं उतरी। जांच हुई तो घोटाला सामने आया और आरोप ब्रिटेन में भारत के तत्कालीन उच्चायुक्त वीके मेनन पर लगा। लेकिन जांच हुई और मेनन बरी हो गए। 1955 में केस को बंद कर दिया गया। जल्द ही मेनन नेहरू कैबिनेट में शामिल हो गए।

एचडीडब्ल्यू पनडुब्बी घोटाला :

1987 में 20 करोड़ रुपये का घोटाला उस समय सामने आया जब नेताओं और नौसेना अधिकारियों पर पनडुब्बी सौदे में दलाली खाने का आरोप लगा। मामला पनडुब्बी बनाने वाली जर्मनी की कंपनी एचडीडब्ल्यू से जुड़ा था। पनडुब्बी घोटाले ने उस समय नया मोड़ ले लिया जब सीबीआइ ने पूर्व नौसेना प्रमुख एडमिरल एसएम नंदा पर सौदे के लिए बिचौलिये की भूमिका निभाने का आरोप लगाया था। घोटाले के तार रक्षा मंत्रालय से जुड़े होने के कारण इस सौदे की जांच को भी सीबीआइ अंजाम तक नहीं पहुंचा सकी।

बोफोर्स घोटाला :

1986 में भारत सरकार ने बेहतर गुणवत्ता वाली तोपें खरीदने के लिए अंतरराष्ट्रीय निविदा निकाली। बोली के अंतिम चरण में तीन देश फ्रांस, स्वीडन और ऑस्ट्रिया रह गए थे। लेकिन ऑस्ट्रिया अंतिम समय में पीछे हट गया और स्वीडन की एबी बोफोर्स और फ्रांस की सोफ्मा कंपनी मुकाबले में बची रह गई। यह डील अंत में बोफोर्स के हाथ लगा और सरकार ने 4 मार्च 1986 को 155 एमएम की 400 होवित्जर तोप की आपूर्ति के लिए 6300 करोड़ रुपये का सौदा कर लिया। बाद में 16 अप्रैल 1986 को स्वीडिश रेडियो ने इस रक्षा सौदे में 64 करोड़ की दलाली देने का दावा किया। इस दौरान राजीव गांधी देश के प्रधानमंत्री थे। सीबीआइ ने इसकी जांच करते हुए मामले में क्वात्रोकी, विन चढ्डा, राजीव गांधी, तत्कालीन रक्षा सचिव एसके भटनागर समेत कई लोगों को आरोपी बनाया। इस मामले में सभी आरोपी या तो बरी हो गए या उनकी मौत हो गई।

बराक मिसाइल घोटाला :

रक्षा सौदे में भ्रष्टाचार का एक और नमूना बराक मिसाइल की खरीदारी में देखने को मिला। इसे इजरायल से खरीदा जाना था, जिसकी कीमत लगभग 1150 करोड़ रुपये थी। यह सौदा डीआरडीपी के तत्कालीन अध्यक्ष एपीजे अब्दुल कलाम की आपत्ति के बावजूद किया गया। मामले में जॉर्ज फर्नाडिस, जया जेटली और नौसेना के पूर्व अधिकारी सुरेश नंदा के खिलाफ केस दर्ज हुआ और समता पार्टी के पूर्व कोषाध्यक्ष आरके जैन की गिरफ्तारी भी हुई। इस मामले की भी जांच पूरी नहीं हो पाई।

ताबूत घोटाला :

1999-2000 के दौरान पाकिस्तान के साथ कारगिल युद्ध के दौरान शहीद जवानों के लिए 500 अल्युमीनियम के ताबूत और 3000 शव रखने के लिए थैले का ऑर्डर अमेरिका की एक कंपनी को दिया गया था। कंपनी को इसके लिए प्रति ताबूत एक लाख 20 हजार रुपये और प्रति थैले लगभग चार हजार रुपये का भुगतान किया गया। कुल मिलाकर यह सौदा करीब सात करोड़ रुपये का था। लेकिन जिस अमेरिकी कंपनी के साथ यह सौदा हुआ, वह इन ताबूतों और थैलों की निर्माता नहीं थी और उसने पहले जो 150 ताबूत सप्लाई किए उनका वजन 55 किलो प्रति ताबूत था जबकि सौदे के हिसाब से इसे 18 किलो का होना चाहिए था। इससे सरकार को लगभग 90 लाख रुपये का नुकसान हुआ।

टाट्रा ट्रक घोटाला :

सेना के लिए टाट्रा ट्रकों के उपकरणों की खरीद में करोड़ों रुपये के घोटाले की बात सामने आई थी। बेंगलूर की एक कंपनी और रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने इसकी खरीदी में कथित तौर पर 14 वर्षो में 750 करोड़ रुपये रिश्वत खाए। बेंगलूर की इस कंपनी का नाम बीइएमएल है। इसमें भारत सरकार बड़ी शेयरधारक है। बीइएमएल ने रक्षा मंत्रालय के दिशा निर्देशों का उल्लंघन करते हुए लंदन की एक मध्यस्थ कंपनी के माध्यम से ट्रकों का उपकरण खरीदती रही।

अगस्ता हेलीकॉप्टर घोटाला :

अब रक्षा सौदों में घोटालों की फेहरिस्त में एक नया घोटाला जुड़ गया है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री समेत देश के अतिविशिष्ट लोगों के लिए इटली से 3600 करोड़ रुपये के हेलीकॉप्टर सौदे में 300 करोड़ रुपये रिश्वत बांटने के आरोप हैं। इस मामले में फिनमैकेनिका कंपनी के सीइओ को रोम में गिरफ्तार कर लिया गया। जबकि भारत में इसकी जांच सीबीआइ के हवाले कर दी गई है। इस घोटाले में वायुसेना के पूर्व प्रमुख एसपी त्यागी पर भी घूस लेने के आरोप लगाए जा रहे हैं।

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