छतरपुर। सतना जिले में सीमेंट फेक्ट्री हेतु वन विभाग की जमीन मुहैया कराई गई थी जिसकी भरपाई बकस्वाहा जिला छतरपुर के ग्राम कसेरा की 29 हेक्टेयर राजस्व की जमीन वन विभाग को दी गई है जो हम गरीब किसान व आदिवासियों के पेट व जीवन पर कुठाराघात है। हम लोग उक्त राजस्व की भूमि में वर्शों से काबिज हैं व हमारे भरण पोशण का जरिया चरवा, महुआ, बनोपज, उक्त भूमि से प्राप्त होता है।
उक्त भूमि में ग्राम कसेरा, तिलई, बीरमपुरा की गौचर जमीन है। जिसमें उक्त ग्रामों के पशुधन चराई करते हैं यदि उक्त जमीन वन भूमि में जाती है तो तीन ग्रामों के पषुधन पर संकट हो सकता है। वन और राजस्व अधिकारियों द्वारा बडे गोपनीय तरीके से उक्त कार्यवाही कर निर्धन वह असहाय लोगों पर जमीन खाली करने का दबाव बनाया जा रहा है जिससे समस्त ग्रामवासी दहषत में हैं और उनके पास पलायन के अलावा कोई विकल्प नहीं है। जिससे अध्ययनरत छात्र छात्राओं की पढ़ाई प्रभावित होगी व उनका भविश्य खराब हो जायेगा। उक्त भूमि पर हम आदिवासियों, अन्य पिछड़ा वर्ग सहित आम वर्गों के आवास सहित कृशि भूमि, लघु वनोपज चरवा, महुआ, तेंदू, धवा आदि वृक्ष लगे हैं जिससे सभी प्रकार से यह भूमि जनता के भारी निस्तारण में सहायक है। श्रीमान् जी जिले से दूरी के कारण प्रषासनिक उदासीनता तथा निरक्षरता व निर्धनता के चलते जिले का सबसे पिछड़ा विकासखण्ड बकस्वाहा में रोजगार के साधन मुहैया कराने के बजाय वनोपज पर आश्रित निर्धन आदिवासियों, ग्रामीणजनों की आय के स्रोत सहित अन्हें वर्शों से काबिज जमीन से कूटनैतिक तरीके से बेदखल करना अनुचित व निंदनीय अन्याय है। अतः मान्नीय से अनुरोध है कि प्रार्थना पर गंभीरता से विचार कर न्याय प्रदान करने की कृपा करें। महोदय यदि हम समस्त निर्धन आदिवासियों व ग्रामीणों की इस ज्वलंत और भयावह समस्या का षीघ्र ही निराकरण नहीं किया गया तो हम समस्त लोग उग्र आंदोलन के लिए बाध्य होंगे जिसकी समस्त जबाबदेही षासन प्रषासन की होगी।
-विनोद जैन