नई दिल्ली। संसद हमले के दोषी अफजल गुरु को बीते शनिवार फांसी पर लटकाने के बाद तिहाड़ जेल में ही दफना दिया गया। अब अफजल की पत्नी तबस्सुम कब्र से उसका शव निकालकर लौटाने की मांग कर रही है। लेकिन केंद्र सरकार ने दिल्ली जेल मैनुअल के आधार पर उनकी यह डिमांड नामंजूर करने का मन बना लिया है।
दिल्ली जेल मैनुअल में साफ लिखा है कि मरने के बाद आदमी का शरीर किसी की प्रॉपर्टी नहीं होती है। जेल मैनुअल में साफ कहा गया है कि किसी भी कैदी की मौत (चाहे वह फांसी के बाद हो या किसी अन्य वजह से) के बाद शव उसके परिवार या रिश्तेदारों को तभी सौंपा जाता है अगर उसकी मांग अंतिम संस्कार से पहले की गई हो।
मैनुअल के मुताबिक, ‘अगर कैदी की मौत किसी बीमारी की वजह से होती है और उसके शव की मांग रिश्तेदार या परिवारवाले करते हैं तो उनकी अर्जी पुलिस कमिश्नर को भेजी जाती है, जो इस बात की जांच करते हैं कि कैदी की मौत किसी इन्फेक्शन फैलाने वाली बीमारी से तो नहीं हुई। वह इस बात पर भी गौर करते हैं कि कैदी की मौत कितने समय पहले हुई और कब्र से उसका शव सुरक्षित वापस निकाला जा सकता है या नहीं।’
यहां तक कि दफनाए जाने के पहले भी जेल अधिकारियों के पास इस बात को लेकर शव की मांग खारिज करने का अधिकार होता है कि कहीं कैदी के अंतिम संस्कार के वक्त किसी तरह का विरोध या आंदोलन नहीं होने लगे।
गौरतलब है कि अफजल के परिवार ने अफजल की फांसी के बाद सरकार से उसके शव की वापसी की मांग की थी। ताकि वह पूरे रीति-रिवाज के साथ कश्मीर घाटी के सोपोर गांव में दफना सकें। अफजल के रिश्तेदारों ने एक आवेदन किया था जिसमें लिखा हुआ था कि फांसी से पहले जेल में अफजल को कोई बीमारी तो नहीं थी।