नई दिल्ली [मुकेश केजरीवाल]। अब यह साफ हो गया है कि साढ़े तीन हजार करोड़ के हेलीकॉप्टर सौदे में दलाली की भनक सरकार को पहले से थी। इसके बावजूद इससे संबंधित चेतावनियों को अनसुना किया गया। यहां तक कि आयकर विभाग ने भी पिछले साल ही इसकी सूचना रक्षा मंत्रालय को दे दी थी, मगर अब तक उस पर सिर्फ कागजी खानापूर्ति ही हुई।
शीर्ष स्तर पर लंबे समय से चल रहे इस प्रकरण पर ठोस कार्रवाई में नाकाम रहा रक्षा मंत्रालय अब अपनी पीठ थपथपाने की कोशिश कर रहा है। इसके अनुसार उसने पिछले साल से ही इस मामले में हर सूचना पर पूरी सक्रियता दिखाई है। वीवीआइपी हेलीकॉप्टर सौदे में दलाली पर मंत्रालय ने सीबीआइ जांच का आदेश मंगलवार को तब दिया, जबकि इटली में इस संबंध में गिरफ्तारियां हो गई।
इससे पहले भी उसके पास कई मौकों पर गंभीर सूचनाएं आती रही थीं। खुद मंत्रालय ने माना है कि आयकर विभाग ने भी उसे नवंबर 2012 में ही इस संबंध में सूचना दी थी। यहां तक बताया था कि दलाली में भारतीय भी शामिल हो सकते हैं। मगर रक्षा मंत्रालय ने सिर्फ आयकर निदेशक (जांच) को पत्र लिखकर पूरी जानकारी देने को कहकर काम पूरा मान लिया। रक्षा मंत्रालय यह भी मानता है कि अमेरिकी नागरिक एडमंड्स एलेन ने भी सुबूतों का पूरा पुलिंदा उसे भेजा था जो उसे पिछले साल की शुरुआत में ही मिल गए थे। मंत्रालय का दावा है कि उसने इन्हें सीबीआइ व प्रवर्तन निदेशालय को भेज दिया था। मगर एजेंसियों ने अब तक इस पर ठोस कार्रवाई नहीं की। आरोपों की गंभीरता और एजेंसियों की देरी के बावजूद रक्षा मंत्रालय ने जांच का दबाव बनाने की कोशिश नहीं की।
इस दलाली कांड की इटली में चल रही जांच की सूचना भी फरवरी 2012 में ही सामने आ गई थी। लेकिन सिर्फ इटली के भारतीय दूतावास, विदेश मंत्रालय और आरोपी कंपनी को इसकी पुष्टि के लिए पत्र लिखकर रक्षा मंत्रालय शांत बैठ गया। स्वाभाविक तौर पर कंपनी ने सभी आरोपों को निराधार बताया और विदेश मंत्रालय व दूतावास ने खुद को असमर्थ बताया।