जयपुर राजघराने का संपत्ति विवाद अब नए मोड़ पर पहुंच चुका है। रियासत की दिवंगत महारानी गायत्री देवी के कुछ शेयर उनके पौत्र और पौत्री को हस्तांतरित करने के आदेश को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दो याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नोटिस जारी किया है।
गौरतलब है कि दिल्ली हाई कोर्ट ने कंपनी लॉ बोर्ड के आदेश के उलट जय महल होटल्स प्रा. लि. के शेयर रजिस्टरों में उपयुक्त सुधार करते हुए कुछ शेयर गायत्री देवी के पौत्र देवराज और पौत्री लालित्य कुमारी के नाम करने का आदेश दिया था। इस कंपनी में गायत्री देवी के 99 फीसद शेयर हैं। राजघराने की एक सदस्य उर्वशी देवी और जय महल होटल्स प्रा. लि. की ओर से दाखिल विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अल्तमस कबीर और जस्टिस अनिल आर दवे की खंडपीठ ने नोटिस जारी करते हुए दूसरे पक्ष को दो सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है। खंडपीठ ने यह भी कहा है कि इस बीच, जिन शेयरों को लेकर प्रश्न उठाए गए हैं, उनको लेकर यथास्थिति बनाए रखी जाए।
जय महल होटल्स की ओर से दिए गए सुप्रीम कोर्ट में दिए गए तर्क में वकीलों ने कहा कि हालांकि हाई कोर्ट ने केस से जुड़े सभी कानूनी और तथ्यात्मक मुद्दों को स्वीकार किया, लेकिन कंपनी लॉ बोर्ड के फैसले के उलट उनके तर्क पर विचार नहीं किया गया।
गायत्री देवी और सवाई मान सिंह के पुत्र जगत सिंह के बच्चे देवराज और लालित्य ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल करते हुए कहा था कि चूंकि फर्म में 99 फीसद हिस्सा उनके दादा-दादी के नाम इसलिए वह उनके नाम किया जाए।
जगत सिंह के मौत के बाद गायत्री देवी कंपनी के शेयर के साथ-साथ सभी संपत्ति की अकेली मालकिन हो गई थीं। बाद में गायत्री देवी का भी निधन 29 जुलाई 2009 को हो गया। उन्होंने अपनी वसीयत में लिखा कि उनकी फर्मो के शेयर सहित उनकी सारी संपत्ति का स्वामित्व उनके पौत्र तथा पौत्री देवराज एवं लालित्य को मिलेगा।
मालूम हो कि महारानी की संपत्ति का स्वामित्व उनके पौत्र एवं पौत्रियों को मिलने का दिवंगत महाराजा सवाई मान सिंह के अन्य उत्तराधिकारियों ने विरोध किया था। इनमें महाराजा के अन्य पुत्र, पृथ्वीराज सिंह, जय सिंह और उनके नातिन उर्वशी सिंह शामिल हैं।