युवाओं पर बेअसर राहुल की ताजपोशी

youngsters-are-not-impressed-by-rahuls-coronation 2013-2-26

लखनऊ। कांग्रेस ने राहुल गांधी को पार्टी उपाध्यक्ष बनाकर युवा मतदाताओं में पैठ बढ़ाने की कोशिश की लेकिन राहुल के संसदीय क्षेत्र अमेठी समेत समूचे उत्तर प्रदेश ने पार्टी की इस कोशिश को तवज्जो नहीं दिया। बीते सात वर्ष में पूरे प्रदेश में युवक कांग्रेस की सदस्य संख्या में करीब 14 लाख की भारी कमी आई है। अमेठी में तो सदस्य संख्या घटकर एक तिहाई रह गई है। यह तस्वीर तब है जब लोकसभा चुनाव दस्तक देने वाला है।

युवक कांग्रेस की मध्य क्षेत्र की बूथ कमेटियों की चुनावी प्रक्रिया जारी है लेकिन युवाओं में उत्साह नहीं दिख रहा है। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के संसदीय क्षेत्र अमेठी में भी सदस्यों की संख्या 2200 से घटकर 700 रह गई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के चुनाव क्षेत्र रायबरेली और कांग्रेस का गढ़ रहे सुलतानपुर का भी यही हाल है। 26 संसदीय सीटों वाले मध्य क्षेत्र में इस बार युवक कांग्रेस की सदस्यता मात्र 60 हजार रहना चौंकाने वाला है क्योंकि करीब तीन वर्ष पहले इस क्षेत्र में चले सदस्यता अभियान में दो लाख 67 हजार युवाओं ने कांग्रेस में शामिल होने के लिए आवेदन किया था।

अहम बात यह है मध्य क्षेत्र से वर्तमान में कांग्रेस के 14 सांसद है। कांग्रेस के प्रति युवा वर्ग में रुझान कम होने की समस्या केवल मध्य क्षेत्र में ही नहीं अन्य तीन क्षेत्रों के हालात भी कमोबेश यही हैं। पूरे प्रदेश में 8.66 लाख युवाओं ने कांग्रेस की सदस्यता ली है जबकि वर्ष 2006 में युवक कांग्रेस की सदस्य संख्या 22 लाख से अधिक थी। युवक कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण करने को ऑनलाइन सुविधा भी है लेकिन मात्र दस फीसद युवाओं ने ही इस प्रक्रिया में दिलचस्पी दिखाई है। आवेदन में कई तरह की औपचारिकता होती है। जिस कारण भी कम पढ़े युवाओं का सदस्यता के प्रति आकर्षण घटा।

पार्टी के एक वरिष्ठ नेता के अनुसार इस प्रक्रिया से फर्जी सदस्यता पर भले ही अंकुश लगा हो लेकिन संगठन चुनाव में धन की भूमिका कम होने के बजाए बढ़ी है।

अब होगी राहुल कांग्रेस बनने की शुरुआत

नई दिल्ली, राजकिशोर। दिल्ली सोनिया गांधी कांग्रेस से राहुल गांधी कांग्रेस बनने की शुरुआत अब अगले कुछ दिन में शुरू हो जाएगी। पिछले महीने कांग्रेस के जयपुर चिंतन शिविर में ही इसकी नींव पड़ गई थी। राहुल गांधी ने सोमवार को उत्तर-पूर्व के सात राज्यों के नेताओं के साथ बैठक कर संगठन विस्तार से पहले का अपना होमवर्क पूरा कर लिया है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि पहले संगठन विस्तार में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की कितनी छाप दिखाई पड़ती है। राहुल गांधी ने जयपुर में उपाध्यक्ष पद संभालने के साथ ही पार्टी में बदलाव के संकेत दिए थे।

हालांकि, उन्होंने यह भी साफ कर दिया था कि बदलाव झटके में नहीं, बल्कि धीरे-धीरे किए जाएंगे। बदलावों का पहला संकेत कांग्रेस संगठन से दिखेगा। फिलहाल कांग्रेस में नौ महासचिव, सात स्वतंत्र प्रभारी और 35 सचिव हैं। इनके अलावा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल, सोनिया के राजनीतिक सचिव अहमद पटेल और कोषाध्यक्ष मोतीलाल वोरा हैं। इन नामों और पदों में कोई अंतर नहीं होगा। बाकी नौ महासचिवों में भी जनार्दन द्विवेदी और दिग्विजय सिंह समेत छह-सात नाम वही रहेंगे। इनमें गुलाम नबी आजाद जा सकते हैं। राहुल के उपाध्यक्ष बनने के बाद एक पद खाली ही है। ऐसे में 10 महासचिवों में राहुल की कोशिश दो युवा चेहरे लाने की है। महासचिव स्तर पर इससे बड़े बदलाव नहीं होंगे। अलबत्ता स्वतंत्र प्रभारियों में राहुल अपनी युवा टीम से कुछ नाम लेकर जा सकते हैं। संकेत हैं कि 35 सचिवों में कुछ को प्रोन्नत कर स्वतंत्र प्रभारी बनाया जाएगा। इसके बाद कई नए चेहरों को सचिव बनाया जा सकता है। सूत्रों के मुताबिक,राहुल ने अभी आठ नाम कांग्रेस अध्यक्ष और उनके विश्वासपात्रों को भेजे हैं। इनको नई टीम में समायोजित करने के साथ-साथ नई ऊर्जा और अनुभव का संतुलन बनाने में सोनिया के सिपहसालारों को खासी मशक्कत करनी पड़ रही है।

राहुल ने भी वादा किया था कि टीम बनाने से पहले वह सभी राज्यों के लोगों की सलाह भी लेंगे। इसी क्रम में उन्होंने पहले दो दिन सभी राज्यों के विधानमंडल दल के नेताओं और प्रदेश अध्यक्षों के साथ बैठक की। उस समय पूर्वोत्तर के कई राज्यों में चुनाव थे। लिहाजा वहां के राज्यों के नेताओं के साथ सोमवार को राहुल ने बैठक की। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिन में कांग्रेस की नई टीम घोषित हो जाएगी।

error: Content is protected !!