नई दिल्ली। दिल्ली की दिल दहला देने वाली सामूहिक दुष्कर्म की घटना से लोगों में उपजे असंतोष के बाद सरकार ने स्कूली शिक्षा के जरिए भी एहतियात के जरूरी उपायों पर काम शुरू कर दिया है। अब अपर प्राइमरी स्कूलों में लड़कियों के लिए जूडो-कराटे जैसी आत्मरक्षा की ट्रेनिंग भी उनकी शारीरिक शिक्षा का जरूरी हिस्सा होगी। साथ ही नैतिक मूल्यों पर आधारित शिक्षा पर सरकार का फोकस बना रहेगा।
राज्यसभा में शुक्रवार को प्रश्नकाल के दौरान माकपा सदस्य टीएन सीमा ने लड़कियों को आत्मरक्षा के लिए जूडो-कराटे का प्रशिक्षण दिए जाने जैसी जरूरतों पर सरकार से जवाब मांगा था। जवाब में मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री शशि थरूर ने कहा कि सरकार स्कूलों, कॉलेजों में लड़कियों की सुरक्षा को लेकर सजग है।
यूजीसी विश्वविद्यालयों व कॉलेजों को छात्राओं व महिलाओं की प्रति संवेदनशीलता व सुरक्षा उपायों पर जरूरी निर्देश पहले ही दे चुका है। भविष्य में दूसरे कारगर उपायों को सुझाने के लिए टास्क फोर्स का गठन भी किया गया है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने बीती जनवरी में ही स्कूलों में शारीरिक शिक्षा की कक्षाओं में लड़कियों को आत्मरक्षा का प्रशिक्षण दिए जाने का सुझाव दे दिया था।
प्रश्नकाल के दौरान ही बसपा के ब्रजेश पाठक ने मानकों के पूरा किए बिना ही इंजीनियरिंग कॉलेजों को खोलने और बाद में उन्हें बंद कराने के मामले की जांच का सवाल उठाया। मानव संसाधन विकास राज्यमंत्री जितिन प्रसाद ने कहा कि केंद्र किसी राज्य में किसी को कॉलेज खोलने से नहीं रोक सकता। एआइसीटीई ने जरूरी मानक पूरे करने वाले संस्थानों को ही मान्यता दी है। किसी राज्य में मानक पूरा किए बिना ही किसी ने कॉलेज खोला है तो संबंधित राज्य सरकार उसके खिलाफ खुद कार्रवाई कर सकती है।