शिकागो। अब नवजात शिशु को एचआइवी वायरस से निजात दिलाना मुमकिन होगा। इसको लेकर एक सफल परीक्षण अटलांटा के अस्पताल में किया जा चुका है। मिसीसिप्पी के एक बच्चे को डाक्टरों ने इस संक्रमण से निजात दिलाकर नया जीवन प्रदान किया है। अपनी इस सफलता पर जहां डाक्टरों में खुशी की लहर है वहीं इस सफलता के बाद एचआइवी संक्रमित उन माताओं के मन में भी उम्मीद जगी है जो निकट भविष्य में अपने बच्चों को जन्म देने वाली हैं।
बाल्टीमोर की जॉन हॉपकिन यूनिवर्सिटी की वीरोलॉजिस्ट देबोरा परसूड ने कहा है कि इस सफलता से यह बात तय हो गई है कि नवजात शिशु को इस बीमारी से उम्र भर जूझना नहीं पड़ेगा और वह सामान्य जीवन जी पाएगा। डाक्टरों को यह सफलता उन स्टेंडर्ड दवाइयों के जरिए ही मिली है जो इस वक्त मौजूद हैं। अभी तक माना जाता था कि यह बीमारी लाइलाज है और इसका असर मां के गर्भ में पल रहे बच्चे पर भी होता है और वह इससे संक्रमित हो जाता है।
अपनी इस सफलता से उत्साहित अपने इस शोध को आगे बढ़ाने के लिए दूसरे संक्रमित बच्चों पर इसको आजमाने की तैयारी कर रहे हैं। विश्व में अभी तक यह पहला मामला है जिसमें किसी नवजात को इस बीमारी से डाक्टरों ने मौजूदा दवाओं की मदद से निजात दिलाई है।
डाक्टर डेबारा ने बताया कि यह मामला पूर्व के टिमूथी ब्राउन के मामले से जुदा है। टिमूथी के केस में उसकी बीमारी काफी बढ़ चुकी थी, जिसकी बदौलत उसका इम्यून सिस्टम पूरी तरह से खराब हो गया था। नवजात बच्चे को बचाने के लिए डाक्टरों ने लगातार अठारह माह तक उसका इलाज किया। शुरू के तीस दिनों तक बच्चे के एचआइवी संक्रमित होने के कोई सबूत नहीं मिले थे। लेकिन बावजूद इसके डॉक्टरों ने उसका इलाज जारी रखा था। आज इसका ही नतीजा दुनिया के सामने है। एक अन्य डॉक्टर गे ने बताया कि पहले दो खून की जांच के नतीजों में बच्चे के शरीर में एचआइवी संक्रमण के कोई लक्षण दिखाई नहीं दिए थे।