अजमेर। राजनेताओं के लिये आन्दोलन हमेशा राजनीति का जरिया रहा है। गुर्जर आरक्षण आन्दोलन की आंच पर भी राजनेतिक रोटिया सेंकी जा रही हैं। इस बात को पिछले कुछ सालों में प्रदेश ने देखा भी है और भुगता भी है। अब जब विधानसभा चुनाव नजदीक है, तब फिर इस आन्दोलन के नाम पर राजनीति गर्माने लगी है। सोमवार को अजमेर में गुर्जर नेता अतर सिंह भडाणा ने पहले सभी गुर्जर नेताओं को मतभेद भुला कर एक जाजम पर लाने की बात की और फिर कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला और केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट के खिलाफ जमकर शब्द बाण चलाए।
राजनीति का चरित्र दोहरा होता है। शायद यही वजह है कि नेता जो कहता है वैसा हो, जरुरी नहीं है। गुर्जर आरक्षण आन्दोलन में भी नेताओं ने अपने हित साधे हैं, लेकिन अब ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। अब गुर्जर आरक्षण की लड़ाई किसी नेता के नहीं बल्कि समाज के सामूहिक नेतृत्व में लड़ी जाएगी। समाज के सभी नेता एक जुट हो, इसके लिए राजनेतिक प्रतिबद्धता से उठ कर आगामी 9 और 10 मार्च को झालावाड़ में एक सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा। एक तरफ समाज को एक जुट हो कर आरक्षण की लड़ाई लड़ने की सीख दे रहे भडाणा से जब गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के कर्नल किरोड़ी सिंह बैसला की बात कि गई तो लगा अचानक उनके मुंह का स्वाद बिगड़ गया। थोड़ी देर पहले तक समाज को मतभेद भुला कर एक होने की सीख दे रहे भडाणा अचानक बैसला के खिलाफ हमलावर हो गए। भडाणा ने पहले बैसला को धोखेबाज करार दिया और फिर आरोप लगाया की बैसला अपरोक्ष रूप से मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की गोद में बैठ कर सत्ता का सुख भोग रहे है और समाज को दांव पर लगा रहे है।
भडाणा ने केन्द्रीय मंत्री सचिन पायलट और उनकी माँ रमा पायलट को भी नहीं बक्शा। उनका आरोप था कि भाजपा की सरकार के समय गुर्जर के पसीने पर खून बहाने का दांवा करने वाले पायलट सत्ता मिलते ही गुर्जर समाज को भूल गए। अब गुर्जर समाज उन्हें बैठकों में बुलाता है तो लेकिन वे नहीं आते।
भडाणा फिलहाल दावा कर रहे है कि समाज का एक बड़ा तबका उनके साथ है और यदि सभी गुर्जर नेता उनकी इस मुहीम में साथ आये तो सरकार कोई सी भी हो उसे गुर्जर समाज को आरक्षण देना ही होगा।