अपराध कानून संशोधन विधेयक पर कैबिनेट में चर्चा नहीं

discussion-on-ammendment-of-criminal-law-is-on-hold-for-today 2013-3-7नई दिल्ली। महिलाओं के खिलाफ बढ़ रहे यौन अपराध और बलात्कार की घटनाओं पर रोक लगाने के लिए अपराध कानून संशोधन विधेयक पर गुरुवार को कैबिनेट में चर्चा नहीं हो पाई। दिल्ली गैंगरेप की घटना के बाद से इस विधेयक को कानूनी तौर पर लागू करना काफी जरूरी हो गया था। आज कैबिनेट में इस पर चर्चा होने वाली थी। लेकिन ऐसा संभव नहीं हो पाया।

संशोधन प्रस्ताव के मुताबिक दुष्कर्म के दोषी अधिकारी को ताउम्र जेल में रहना होगा। नया विधेयक पिछले महीने पेश किए गए महिला अपराध अध्यादेश की जगह पर होगा। नए विधेयक में पुलिस अधिकारी, डॉक्टर या अस्पताल का स्टाफ, जेलर या रिमांड होम के वार्डन को अधिकारी बताया गया है। दुष्कर्म के कारण मौत होने या पीड़िता के बहुत बुरी हालत में पहुंचने पर दोषी को मौत की सजा के प्रावधान को बरकरार रखा गया है।

हालांकि सरकार को उम्मीद है कि संसद के चालू सत्र में ही अपराध कानून संशोधन विधेयक पारित हो जाएगा। विधि मंत्री अश्वनी कुमार ने बताया कि इस विधेयक में वैवाहिक दुष्कर्म को कानून में शामिल नहीं किया गया है, क्योंकि सरकार इस मसले पर विस्तृत चर्चा चाहती है।

ज्यादा संवेदनशील दिल्ली-एनसीआर का निर्माण चुनौती व वास्तविक समाधान विषय पर आयोजित सेमीनार में अश्वनी कुमार ने बताया कि 22 मार्च तक मजबूत कानून के तौर पर देश को एक बेहतरीन तोहफा दे दिया जाएगा। उन्होंने कहा, खुद प्रधानमंत्री कह चुके हैं कि महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है।

अध्यादेश में कहा गया था कि पीड़िता के बयान की वीडियो रिकॉर्ड की जा सकती है। विधेयक में इसे अनिवार्य प्रावधान बना दिया गया है। साथ ही पीड़िता का बयान दर्ज कराते समय महिला पुलिस या प्रशासनिक अधिकारी के मौजूद रहने को भी अनिवार्य कर दिया गया है।

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