फिल्म आस्था के जरिये समाज की वर्जना को तोड़ा

AASTHA FILM POSTER VIMOCHAN 02अजमेर। विश्वास और अन्धविश्वास की जंग आकर ठहरती है आस्था पर। विश्वास एक धार्मिक परंपरा है जो व्यक्ति में मनोवैज्ञानिक रूप से किसी भी शक्ति के प्रति आस्था जगा देती है। यहीं आस्था मनोकामनाओं की पूर्ति में सकारात्मक प्रतीत होती है। सत्यमाया प्रोडेक्शन हाउस ने अपनी फिल्म आस्था के जरिये समाज की इस वर्जना को तोड़ा क्योंकि जब आस्था की वास्तविकता खत्म होती है तो अन्धविश्वास की पुष्टि होती है। आस्था किसी पर भी हो लेकिन हम क्यांे यह जानने की कोशिश नहीं करते कि क्या सही है और क्या गलत। भारत के सैंकड़ों धर्मालय और धर्म के ठेकेदार आज इसी तरह अपनी दुकाने चला रहे हैं और यह तब तक चलता रहेगा जब तक हमारे अंदर अंधी आस्था जिन्दा रहेगी। फिल्म के प्रोड्यूसर और डायरेक्टर रमाकांत तिवारी ने इस फिल्म के द्वारा लोगों में फैले अंधविश्वास के बारे में बताया है और आज के विज्ञान के बारे में जागरूक ने का प्रयास किया है।

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