वाशिंगटन। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने गुरुवार को महिलाओं के खिलाफ हिंसा संबंधी नए अधिनियम को कानून बनाए जाने पर हस्ताक्षर कर दिए। इस कानून को अति महत्वपूर्ण बताते हुए उन्होंने कहा कि यह देश की सकारात्मक प्रगति का प्रतिनिधित्व करेगा। नया काननू यह सुनिश्चित करेगा कि अमेरिकी भारतीय महिलाओं का उत्पीड़न करने वालों को भारत में गिरफ्तार किया जा सके और उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सके।
ओबामा ने कहा कि इस कानून की खासियत यह है कि यह सिर्फ नियमों को नहीं बदलेगा बल्कि हमारी संस्कृति को बदल देगा। यह लोगों को घरेलू हिंसा के खिलाफ खुलकर बोलने की ताकत देगा। वर्ष 1994 में पारित इस अधिनियम से घरेलू हिंसा की पीड़ित महिलाओं के लिए काम करने वाले संगठनों को मदद मिलती है। साथ ही हिंसा को अंजाम देने वालों के खिलाफ आपराधिक अभियोजन चलाना स्थानीय अधिकारियों की जिम्मेदारी होती है। नए अधिनियम के तहत महिलाओं का पीछा करने या छिपकर देखने के खिलाफ कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है। अब इस कानून के दायरे में समलैंगिक, अप्रवासी, यौन उत्पीड़न का सामना करने वाले तस्कर पीड़ित और अमेरिका के मूल निवासी भी आएंगे।
ओबामा ने इस अधिनियम के लिए उपराष्ट्रपति जो बिडेन को धन्यवाद दिया। दो दशक पहले बतौर सीनेटर बिडेन ने इस अधिनियम को तैयार करने में अहम भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि पहले बार इस कानून को मंजूरी मिलने के बाद घरेलू हिंसा में 64 प्रतिशत की कमी आई है। इस अधिनियम पर हस्ताक्षर किए जाने के साथ हिंदू अमेरिकन सेवा चैरिटीज [एचएएससी] ने भी गुरुवार को हिंदू यूनाइटेड अगेंस्ट डॉमेस्टिक वायलेंस एंड सेक्सुअल अब्यूज अभियान की घोषणा की। संस्था की संस्थापक अंजू भार्गव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के अवसर पर हमें संकल्प लेना चाहिए कि हम अपने जीवन और समाज में समानता के धार्मिक मूल्य [समता] को सामने लाएंगे।