जयपुर। भाजपा की राष्ट्रीय महासचिव एवं विधायक किरण माहेश्वरी ने कहा कि राजस्थान की कांग्रेस सरकार जन साधारण के घावों पर नमक का मरहम लगा रही है। बजट पर चर्चा में भाग लेते हुए किरण नें सरकार पर पुरानी बजट घोषणाओं को दोहराने का आरोप लगाया। किरण नें इस शेर के माध्यम से बजट की स्थिति बताई।
वो बार बार बनाता एक ही तस्वीर
हरेक बार फकत रंग ही बदलता है।
अजीब बात है जाड़े के बाद फिर जाड़ा,
मेरे मकान का मौसम कहाँ बदलता है।
किरण नें कहा कि सरकार के बजट में नवीनता नहीं दिखती है।पिछले 4 वर्षों के बजट भाषणों को देखे तो घोषणाओं में दोहराव साफ दिखता है। सरकार के पास राज्य के दीर्घकालिक विकास की कोई द़ष्टि ही नहीं है। सरकार नें यह भी बताने की आवश्यकता नहीं समझी की राज्य में विकास की दर क्या है? कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्रों में विकास किस गति से हो रहा है? पड़ोसी राज्यों की तुलना में राजस्थान की स्थिति क्या है? कांग्रेस शासन में राज्य पिछड़ रहा है। राज्य में नया निवेश नहीं हो रहा है? सामान्य जन की आर्थिक स्थिति में सुधार नहीं हो रहा है?
आयोजना व्यय
आयोजना व्यय में कोई वृद्धि नहीं की गई है। सरकार का कूल व्यय 903 अरब रुपये है। किन्तु आयोजना व्यय मात्र 281 अरब रुपये ही है। यह कूल व्यय का 31 प्रतिशत ही है। वर्ष 2012-13 के संशोधित अनुमानों में भी आयोजना व्यय 31 प्रतिशत ही दिखाया गया है। आयोजना व्यय से ही विकास कार्य होता है। गुजरात में आयोजना व्यय 65 प्रतिशत है।
लोक निर्माण
वर्ष 2012 के बजट में 800 करोड़ रुपयों की लागत से 3302 कि.मी. सड़कों का डामरीकरण करके 250 से 500 की जनसंख्या वाले 1500 गांवों को सड़क से जोड़ने की घोषणा की गई थी। शेष 1400 गांवों को आगामी वर्षों में जोड़ने की घोषणा की गई थी। 2013 के बजट में कहा गया है कि केवल 663 गांवों को ही जोड़ा गया है। शेष में कार्य प्रगति में है। 1400 शेष रहे गांवों को पुनः आगामी वर्षों के लिए छोड़ दिया गया है। सामान्य क्षेत्र की 500 एवं रेगिस्तानी और जनजाति क्षेत्र की 250 की जनसंख्या वाले सभी गांवों को वसुंधरा राजे के मुख्य मंत्री काल में 2008 तक ही पक्की सड़कों से जोड़ दिया गया था। 250 की जनसंख्या वाले शेष गांवों को भी पक्की सड़कों से जोड़ने की योजना भी भाजपा सरकार नें 2008 में ही बना दी थी। किन्तु यह सरकार उसे पुरा नहीं कर पाई।
वसुंधरा सरकार नें सड़क निर्माण में जन प्रतिनिधियों की भागीदारी सुनिश्चित की थी। प्रत्येक विधायक को प्रति वर्ष10 कि.मी. सड़क निर्माण की अनुशंसा करने का अधिकार दिया था। कांग्रेस शासनकाल में इसे बंद कर दिया गया। जबकि विधायकों को स्थानीय आवश्यकताओं की सटीक सूचना रहती है।
राज्य की सभी महत्वपूर्ण सड़के पथकर के आधार पर निजी क्षेत्र में बनाई जा रही है। आज बिना पथकर दिए राज्य में आवागमन संभव ही नहीं रहा है। यह जनता का शोषण है। कम से कम जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर की 50 प्रतिशत सड़के राजकीय क्षेत्र में बननी चाहिए, जिन पर कोई पथकर नहीं देना पड़े।
खनन क्षेत्रों में सड़क निर्माण के बारे में कोई घोषणा नहीं की गई।
बी ओ टी सड़कों को छोड़ कर सड़क निर्माण के लिए 2532 करोड़ रुपयों के निर्माण कार्याे की घोषणा की गई है। जबकि सड़क एवं सेतु निर्माण के लिए 1417 करोड़ की ही मांग की गई है। स्पष्ट है कि घोषित सड़कों का निर्माण पूरा नहीं होगा।
उर्जा
बजट भाषण में उर्जा उत्पादन के आंकड़ों में विसंगति है। सरकार नें वर्ष 2013 के बजट और 2012 के बजट में राज्य की कूल उर्जा उत्पादन क्षमता 11168 एवं 9480 मेगावाट बताई है। इस आधार पर इस वर्ष में क्षमता में वृद्धि 1688 मेगावाट की आती है। विगत 4 वर्षों और 3 वर्षों में क्षमता में वृद्धि 4628 मेगावाट और 3380 मेगावाट बताई गई है। इस आधार पर इस वर्ष क्षमता में वृद्धि 1248 मेगावाट ही आती है। सरकार बजट में दिए जा रहे आंकड़ो की सत्यता के प्रति गम्भीर नहीं है।
वर्ष 2003 में राज्य की उत्पादन क्षमता मात्र 4984 मेगावाट थी। वसुंधरा राजे सरकार नें इसे बढ़ा कर वर्ष 2008-09 के अंत तक 8414 मेगावाट कर दी। 3430 मेगावाट की क्षमता बढ़ाई गई। 1700 मेगावाट की दो परियोजनाओं की स्वीकृति भी भाजपा सरकार के समय ही दी गई थी। जो वर्ष 2011-12 तक पूरी होनी थी। कांग्रेस सरकार नें विगत 4 वर्षों में केवल 1054 मेगावाट की नई परियोजनाओं को ही पुरा किया है। कृषि क्षेत्र में विद्युत कनेक्शन का 30 वर्षों की प्रतिक्षा सूची को भाजपा सरकार नें समाप्त किया। वर्ष 2003 तक के सभी आवेदकों को कनेक्शन दे दिये गए थे। 2008 तक के 60000 नए आवेदकों को मार्च 2009 तक कनेक्शन देने का प्रावधान कर दिया था। भाजपा सरकार में मांग पर तुरन्त कृषि कनेक्शन की योजना घोषित की थी। यह सरकार अभी तक 2008 की प्रतिक्षा सुची को भी समाप्त नहीं कर पाई है।
ग्रामीण क्षेत्रों में विद्युत कटौति की गम्भीर समस्या है। 6 घंटे भी आपुर्ति नहीं दी जा रही है। 15 दिन दिन में और 15 दिन रात में आपुर्ति दी जाती है। सरकार नें यह नहीं बताया कि 6 घंटे आपुर्ति के लिए कितनी बिजली खरीदी गई और कितने में खरीदी गई?
राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतिकरण योजना 10वीं पंचवर्षीय योजना में लागु हुई। यह बाहरवीं योजना का एक वर्ष पूरा होने को है। अब भी कई गांव विद्युतिकृत नहीं हो पाएं हैं। राजसमंद जिलें में 2 वर्षों से यह योजना बंद है। सरकार भ्रमित कर रही है।
बहुत से निर्धनता रेखा परिवारों को विद्युत कनेक्शन नहीं दिए जा सके हैं। ऐसे में 2 सी एफ एल बल्ब देने की घोषणा का कोई अर्थ नहीं है।
बिजली की छिजत और पारेषण क्षति में वृद्धि हुई है। इस कारण वितरण निगम भारी घाटे में है। गुजरात में विगत 5 वर्षों में बिना दरें बढ़ाए वितरण निगम लाभ में आ गए हैं। सरकारी अकुशलता का दण्ड जनता को बढ़ी दरों के रुप में भोगना पड़ रहा है।
बिजली के ट्रांसफारमर हल्की गुणवत्ता के खरीदे गए।मीटरों की गुणवत्ता भी बहुत हल्की है। बिल अधिक आने की शिकायत पर कई मीटर बदले गए। खरीद में बारी भ्रष्टाचार हुआ। सरकार जांच के लिए भी तैयार नहीं है।
जल संसाधन
बिसलपुर परियोजना के नाम पर मेवाड़ अंचल की कई नदियों पर एनिकट निर्माण की स्वीकृतियां रोक दी गई है। राजसमंद जिले में तो कांग्रेस सरकार के विगत 4 वर्षों में कोइ नया एनिकट स्वीकृत नहीं हुआ। यह मेवाड़ के साथ अन्याय है।
देवास परियोजना के तृतीय एवं चतुर्थ चरण के सर्वेक्षण की घोषणा मुख्यमंत्री पूर्व में ही कर चुके थे। अब पुनः सर्वेक्षण की घोषणा की गई है। जबकि सरकार को इसके निर्माण के लिए धन आवंटित करना चाहिए था।
देवास तृतीय एवं चतुर्थ चरण से राजसमंद झील में जल लाने के कार्य को भी सम्मिलित किया जाए।
पेयजल
राजस्थान शहरी अधोसंरचना के पेय जल कार्य समय पर नहीं पूरे हो रहे हैं। कार्यों की गुणवत्ता भी निम्न स्तर की है।
सरकार नें पहले 24 घंटे जल आपुर्ति की घोषणा की थी। किन्तु इसे कार्यान्वित नहीं किया गया है। राजसमन्द झील में जल उपलब्धता को देखते हुए वहां 24 घंटे जन आपुर्ति की जा सकती है।
चिकित्सा
निशुल्क औषधी वितरण योजना में आय़ुर्वेद और होम्योपैथी को सम्मिलित नहीं किया गया है। यह सरकार की उपेक्षा को दर्शाता है। निशुल्क चिकित्सा जांच योजना में इको, ट्रेड मिल, माइक्रो बायलॉजी, सीटी स्केन, एम आर आई, केंसर निदान, हारमोनिक निदान की जांचे सम्मिलित नहीम की गई है। इनके बिना योजना का विशेष लाभ नहीं होगा।
राजसमंद जिला चिकित्सालय में 44 चिकित्सों के पद में से 26 पद रिक्त है। रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण पिछले एक वर्ष से सोनेग्राफी बंद पड़ी है। सरकार निशुल्क वितरण की औषधियों की संख्या बढ़ा कर 600 कर रही है। किन्तु अब भी चिकित्सालयों में 400 औषधियों में से आधी भी उपलब्ध नहीं है। मैंने स्वयं राजसमंद चिकित्सातय का निरीक्षण किया था। रोगियों को बहुत सी औषधियां बाहर से खरीदनी पड़ रही है।
चिकित्सालयों में चिकित्सकों, परिचारकों एवं तकनीशीयनों की भारी कमी है। सरकार प्रति वर्ष कमी दूर करने की घोषणा करती है। किन्तु होता कुछ नहीं है।
108 रोगी वाहन निजी चिकित्सालयों के एजेंट बन गए है। अनजान रोगियों को कमीशन के लालच में शोषण का शिकार होना पड़ता है।
ग्रामीण रोजगार
ग्रामीण रोजगार योजना में 100 दिन का रोजगार भी नहीं दिया जा रहा है। 150 दिनों की घोषणा का कोई अर्थ नहीं है।
योजना में भ्रष्टाचार पर अंकुश के प्रयास नहीं। जिले और गांवों की वार्षिक योजना के अनुसार कार्य स्वीकृत नहीं किए जा रहे हैं।
पंचायतों में सामुदायिक भवन निर्माण पर अनावश्यक प्रतिबंध के कारण विधायक विकास निधि का उपयोग नहीं हो पा रहा है। एक पंचायत में एक ही भवन का प्रावधान विवेक सम्मत नहीं है।
महिला एवं बाल विकास
आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं और सहायिकाओं आदि से 24 विविध प्रकार के कार्य सरकार लेती है। इनका कार्य समय 8 घंटे सेभी अधिक का हो जाता है। इनकी सेवाओं की महत्ता देखते हुए इन्हें नियमित करके राज्य कर्मचारियों के समान सुविधाए दी जानी चाहिए। 500 रु. की वृद्धि से विशेष राहत नहीं।
शुभ लक्ष्मी योजना विशेष लाभदायी नहीं। मध्य प्रदेश की लाड़ली लक्ष्मी योजना के समान ही कन्या जन्म के समय ही उसके नाम से 6000 रुपये के बचत पत्र अगले 5 वर्षों तक खरीदे जाएं। कन्या के 6ठी, 9वीं एवं 11 वीं प्रवेश लेने पर आंशिक ळाभों का भुगतान किया जाए। 11वीं में प्रवेश लेन् पर 200रु. माह का भुगतान किया जाए। शेष भुगतान विवाह के समय किया जाए।
महिलाओं का विकास साड़ी और कंबल बांटने से नहीं होगा। सरकार शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वालम्बन और सम्मान के लिए अवसर बढ़ाए।
जनजाति
जनजाति विश्वविद्यालय की घोषणा कोई कार्य नहीं। अभी तक भूमि ही आंवटित नहीं की गई। विश्वविद्यालय का नाम गोविन्द गुरु के नाम पर किया जाए।
उपयोजना क्षेत्र में आवंटित राशी के आधे का भी उपयोग नहीं हो पा रहा है।
महंगाई
बजट में महंगाई और भ्रष्टाचार का उल्लेख ही नहीं किया गया। सरकार नें राहत देने के उपाय वहीं किए।
डीजल और पेट्रोल पर वेट कर में कमी करके राहत दें।
बेकारी
राज्य में बेकारी की भीषण समस्या। 30 लाख से अधिक युवा बेकार हैं।
विद्यार्थी मित्रों को कई महिनों से मानदेय का भुगतान महीं किया जा रहा है।
कौशल विकास योजना में प्रशिक्षण के बाद रोजगार की सुदृढ़ व्यवस्था नहीं। राज्य में औद्योगिक विकास कम होने के कारण युवाओं को रोजगार नहीं मिल पा रहा है।
शिक्षा
हिन्दी और अंग्रेजी में 5000 व्याख्याताओं की आवश्यकता है। सरकार नें केवल 1500 और 1200 व्याख्याताओं की नियुक्ति की घोषणा की है।
विगत वर्षों में क्रमोन्नत किए गए विद्यालयों में शिक्षकों की भारी कमी है। कुंभलगढ़ तहसील के थोरिया गांव के संस्कृत प्राथमिक विद्यालय में 102 विद्यार्थियों पर मात्र 1 शिक्षक है। अन्य स्थानों की भी यही स्थिति है।
यह बजट राज्य की जनता को निराश करने वाला है। सरकार में विकास की गति बढ़ाने की कोई दृष्टि नहीं है। राजस्थान पिछड़ता जा रहा है। केवल घोषणाओं से उपलब्धियां नहीं मिलती है।
किरण नें चर्चा का अंत करते हुए सरकारी पक्ष से कहा कि
कितने ही अच्छे हों कागज़ पानी के रिश्ते
कागज़ की नावों से दरिया पार नहीं होता
पहले दिए हजारों जिसने थे घाव गहरे
मरहम लगा रहा है अब वो नमक मिला कर