फरीदाबाद। यमुना रक्षक दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष संत जयकृष्ण दास व भाकियू अध्यक्ष भानु प्रताप सिंह ने यमुना मुक्ति के लिए आरपार की लड़ाई का ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि 11 मार्च को दिल्ली में जंतर-मंतर पर पहुंचने के बाद वह हथिनीकुंड से जल को मुक्त करा कर ही लौटेंगे। चाहे इसके लिए जेल क्यों ना जाना पड़े।
पत्रकार वार्ता में शुक्रवार को जयकृष्ण दास व भानु प्रताप ने कहा कि सरकार से उनकी व्यक्तिगत लड़ाई नहीं है। हम सिर्फ यमुना को हथिनीकुंड बांध से मुक्त कराने और देश के जिन राज्यों से वह गुजरती है, उसकी पूर्ण रूप से शुद्धता की मांग कर रहे हैं। जयकृष्ण दास ने कहा कि भगवान सूर्य की पुत्री, भगवान श्रीकृष्ण की चौथी पटरानी यमुना को मोक्षदायिनी कहा जाता है। आज उसी यमुना का अस्तित्व समाप्त हो रहा है। दिल्ली में यमुना के क्षेत्र में 35 करोड़ लीटर मल-मूत्र, कारखानों का दूषित रसायनयुक्त पानी गिरता रहता है। इसी पानी से खेतों की सिंचाई होती है। भानू सिंह ने देश की सभी नदियों की शुद्धता के लिए राष्ट्रीय जल नीति बनाने की मांग की। अमेरिका से आई महिला नेत्री अरुणिमा और राम जी शास्त्री ने भी यमुना की शुद्धता के लिए पुख्ता प्रबंध करने की मांग की। यमुना रक्षक दल के मीडिया प्रबंधक महेश कुमार ने बताया कि इसका अगला पड़ाव फरीदाबाद में सेक्टर-12 में होगा।
यातायात हो सकता है बाधित
फरीदाबाद: यमुना मुक्ति यात्रा शनिवार को बल्लभगढ़ में राजमार्ग से बढ़ते हुए बाटा मोड़ के नजदीक यातायात थाने के पीछे मैदान में पड़ाव डालेगी। शुक्रवार को जब यात्रा झाडसेतली के पास पहुंची और राजकीय स्कूल में पड़ाव डालने के वक्त काफी देर तक यातायात प्रभावित रहा। ऐसी ही स्थिति शनिवार को भी देखने को मिल सकती है। प्रशासन ने सोहना पुल व बाटा फ्लाइओवर का प्रयोग करने वाले लोगों से नीलम व बड़खल पुल का प्रयोग करने की सलाह दी है। साथ ही बल्लभगढ़ व पलवल की तरफ से दिल्ली की तरफ जाने वाले वाहनों को बाइपास रोड तथा अन्य वैकल्पिक मागरें का उपयोग करने को कहा है।
सरकारी चुप्पी के बीच विपक्ष से मिले यमुना के सिपाही
जाब्यू, नई दिल्ली। यमुना के मुद्दे पर केंद्र सरकार की चुप्पी के बीच आंदोलनकारियों ने शुक्रवार को विपक्षी भाजपा से मुलाकात कर सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश की। यमुना मुक्तिकरण पदयात्रा के प्रतिनिधियों से मुलाकात में भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने भरोसा दिलाया है कि उनकी पार्टी सोमवार को यह मुद्दा संसद में प्रमुखता से उठाएगी। यमुना की रक्षा के लिए बड़ी तादाद में लोग दिल्ली की ओर पैदल मार्च कर रहे हैं। दूसरी ओर शुक्रवार को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री हरीश रावत फिर उत्तराखंड के अपने गृह क्षेत्र रवाना हो गए। शुरुआती गहमागहमी के बाद आंदोलनकारियों की मांग पर सरकार की ओर से अब खामोशी छा गई है। रावत के करीबी सूत्रों ने यहां तक कहना शुरू कर दिया है कि यह राजनीतिक मामला है। इसे उनके स्तर पर हल किया ही नहीं जा सकता। ऐसे में यमुना मुक्तिकरण पदयात्रा के प्रतिनिधियों ने शुक्रवार को भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह के घर पर उनसे मुलाकात कर आंदोलन में पार्टी का सहयोग मांगा। यमुना रक्षक दल के मुख्य संरक्षक गोस्वामी पंकज बाबा और संजीव कृष्ण ठाकुर सहित आंदोलन के प्रतिनिधियों ने विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज से संसद भवन परिसर के पार्टी कार्यालय में मुलाकात की। आंदोलनकारियों ने भाजपा नेताओं से कहा कि पार्टी ने पिछले दिनों अपनी राष्ट्रीय कार्यकारिणी के दौरान इस मुद्दे पर अलग से चर्चा की। इससे जाहिर है कि पार्टी का ध्यान इस मुद्दे पर है, लेकिन सिर्फ चर्चा से काम नहीं चलेगा। पवित्र नदी की रक्षा के लिए कोई काम नहीं हो रहा। ऐसे में विपक्ष को पूरी गंभीरता से सरकार पर दबाव बनाना होगा। भाजपा अध्यक्ष ने कहा कि सोमवार को संसद में पार्टी इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाएगी। जरूरत हुई तो पार्टी के लोग राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलकर भी इसे उठाएंगे।