
अधिकतर वकीलो का कहना था कि टण्डन ने बार अध्यक्ष का पदभार ग्रहण करते समय कहा था कि यह वर्ष बार के विकास वर्ष के रूप में मनाया जायेगा। लेकिन विकास तो दूर पूरे साल यहंा टण्डन विकास प्राधिकरण चलाकर सिर्फ अपनी मनमानी के और कुछ नही किया। कई वकीलो ंने टण्डन पर हर छोटी सी बात में अखबारबाजी और मिडियाबाजी करने के आरोप भी लगाये।
वकीलों ने बताया कि बार कौंसिल के आव्हान पर चल रहे 14 सूत्रीय मांगो के आन्दोलन को टण्डन ने पाक प्रधानमंत्री की यात्रा से जोडकर अपनी राजनीति चलाने की कोशिश की और मुख्य मुद्दे से भटक गये। जबकि बार कौंसिल की ओर से किये जा रहे आन्दोलन में जयपुर और चण्डीगढ़ में हुए लाठीचार्ज मामले में न्यायिक जांच की मांग की जा रही थी। दुसरा बार कौंसिल ने किसी भी धार्मिक स्थान पर किसी भी तरह का प्रदर्शन करने की मनाही कर रखी थी बावजूद इसके वकीलों को अपने पक्ष में लिए बगैर टण्डन बिना साधारण सभा की अनुमति के दरगाह और पुष्कर में सरकार को सद्बुद्धि देने के लिए दुआ और प्रार्थना करने चले गये।