कड़े कदम पर पूर्व राजनयिकों की राय बंटी

ऐतेजाद अहमद खान
ऐतेजाद अहमद खान

सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा देकर इटली के राजदूत राजनयिक छूट के दायरे से बाहर आ गए हैं। कई पूर्व राजनयिक मानते हैं कि हलफनामा देने के बाद उससे मुकरना अदालत की अवमानना का स्पष्ट मामला है। इस मामले में वे राजनयिक छूट के हकदार नहीं हैं। लेकिन कुछ कड़े कदम के हिमायती नहीं हैं। उनकी राय में कूटनयिक दबाव से राह निकाली जानी चाहिए।
इटली में तैनात रहे पूर्व राजनयिक राजीव डोगरा ने कहा कि जैसे ही कोई राजनयिक किसी अदालत में पहुंचता है तो वह राजनयिक छूट के दायरे से बाहर चला जाता है। उन्होंने कहा, ‘इटली के राजदूत ने सुप्रीम कोर्ट को दो मायनों में गुमराह किया है। एक, यह कि इतालवी नौसैनिकों को सिर्फ वोट डालने के लिए इटली जाना जरूरी है। यह गलत है क्योंकि वे यहीं से वोट डाल सकते थे। और दूसरे, यह कि वे वोट डालने के बाद लौट आएंगे। अब सुप्रीम कोर्ट को देखना है कि वह इन दोनों मुद्दों पर क्या नजरिया अपनाता है। हालांकि कानूनी मामले के अलावा यह सरकारी कार्रवाई का भी मामला है। ’डोगरा के मुताबिक भारत को पहली बार गुमराह नहीं किया गया है। उन्होंने बताया, ‘1998 में दो फ्रांसीसियों को कोच्चि में जासूसी करते पकड़ा गया था। वे लौटने का लिखित वादा करके फ्रांस गए और फिर नहीं आए। पिछले साल जुलाई में एक अमेरिकी जंगी जहाज ने दुबई के निकट दो भारतीय मछुआरों को मार डाला और कई को घायल कर दिया। उस पर भी कुछ नहीं हुआ। श्रीलंका की नौसेना अक्सर भारतीय मछुआरों पर हमला करती है और एक मामले में तो एक मछुआरे को रस्सी से बांधकर मीलों घसीटा गया था। ये सभी देश यह सोच लेते हैं कि भारत तो कुछ बोलेगा नहीं। अगर इटली को उन दोनों को वापस भेजना था तो वहां से चिट्ठी नहीं आती।’

ये यहाँ ऐसे ही सही थे जैसे फोटो मे हैं अगर राजदूत के हलफनामे का मतलब नहीं था और आप उसे गिरफ्तार नहीं कर सकते तो अब तो कोई भी इंडिया में हलफनामा दे कर मुकर जायेगा.
ये यहाँ ऐसे ही सही थे जैसे फोटो मे हैं अगर राजदूत के हलफनामे का मतलब नहीं था और आप उसे गिरफ्तार नहीं कर सकते तो अब तो कोई भी इंडिया में हलफनामा दे कर मुकर जायेगा.

लेकिन कुछ दूसरे राजनयिक इटली के राजदूत के लिए गिरफ्तारी जैसे कदम को ‘घातक’ बताते हैं। पूर्व कूटनयिक जी. पार्थसारथी ने कहा, ‘इटली के राजदूत को भारतीय कानूनों के दायरे में लाना संभव नहीं है। सबसे कड़ा कदम यही हो सकता है कि राजदूत को वापस भेज दिया जाए, दूतावास का आकार छोटा कर दिया जाए, अपना राजदूत वहां से बुला लिया जाए और व्यापारिक रिश्ते तोड़ लिए जाएं। लेकिन ये सभी कड़े कदम हैं। इसके बदले भारत अगस्तावेस्टलैंड सौदे को रद्द करके उसे आर्थिक दंड पहुंचा सकता है।’ पूर्व राजनयिक केपी फैबियन का कहना है, ‘इटली के राजदूत भले अदालत में गए हों या कायदों का उल्लंघन किया हो तो उससे क्या हो जाता है। राजदूत को गिरफ्तार नहीं किया जा सकता। यह भी ध्यान रखना चाहिए कि दूसरे पक्ष को दंडित करने का मतलब है कि अपने ऊपर हमले को न्योता देना। इसके बदले भारत को चतुराई से कूटनयिक दबाव बनाना चाहिए।’ उनका इशारा यह है कि अगर भारत कड़ा कदम उठाएगा तो इटली भी दबाव बढ़ा सकता है।
-ऐतेजाद अहमद खान

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