अर्जेटीना में डर्टी वॉर के दौरान चोरी हुए बच्चों की खोज के लिए गठित मानवाधिकार संगठन ने नवनियुक्त पोप फ्रांसिस को देश के पूर्व सैन्य शासकों के खिलाफ चुप्पी साधने के लिए आड़े हाथों लिया है।
मशहूर ग्रैंडमदर्स ऑफ द प्लाजा दा मायो आर्गेनाइजेशन की स्थापना 1977 में सैन्य शासन के दौरान अपहृत और चोरी हुए बच्चों की खोज की मदद के लिए की गई थी। संस्था ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि जॉर्ज मारियो बर्गोलियो (अब पोप फ्रांसिस) ने मानवाधिकार पीड़ितों के लिए कुछ खास नहीं किया।
यह आलोचना पोप फ्रांसिस द्वारा अर्जेटीना के डर्टी वॉर के दौरान किए गए कार्यो की समीक्षा के बीच आई है। 1976 से 1983 के दौरान डर्टी वॉर में तीस हजार लोग मारे गए या लापता हो गए।
शुक्रवार को वेटिकन ने इन आरोपों को खारिज कर दिया था कि सैन्य शासन के दौरान बर्गोलियो दो पादरियों को अपहरण और यातना से बचाने में विफल रहे थे। उस समय बर्गोलियो अर्जेटीना में जेसुइट के प्रमुख थे। जेसुइट यानी सोसाइटी ऑफ जीसस। इस समाज का मुख्य कार्य शिक्षा का है।
ग्रैंडमदर्स ऑफ द प्लाजा दा मायो की प्रमुख एस्टेला कारलोटो ने कहा कि बर्गोलियो ने सैन्य शासन के दौरान लापता हुए लोगों के बारे में कुछ नहीं कहा। लोकतंत्र की वापसी के 30 साल गुजर जाने के बाद भी उन्होंने कुछ नहीं कहा। सैन्य शासन के दौरान कारलोटो की बेटी को गोपनीय हिरासत केंद्र ले जाया गया। बाद में उसकी हत्या कर दी गई थी। हिरासत में रहने के दौरान उसने एक बेटे को जन्म दिया था, जिसका पता नहीं चला। कारलोटो ने कहा, मैं कैथोलिक हूं और हममें से कई सैन्य शासन के पहले साल के दौरान चर्च से मदद चाहते थे। हमारा मानना था कि बिशप हमारे पक्षधर हैं। मगर चर्च के शीर्ष पादरियों ने हमें निराश किया। दो युवा जेसुइट की गिरफ्तारी और यातना के संबंध में वर्ष 2010 में बर्गोलियो से बतौर गवाह जज ने पूछताछ की थी।
बर्गोलियो पर युवा मिशनरियों को धोखा देने का आरोप है क्योंकि वे सैन्य शासन के खिलाफ हो गए थे। बर्गोलियो चाहते थे कि जेसुइट राजनीति को लेकर तटस्थ रहें। इसलिए उन्होंने किसी पक्ष का साथ नहीं दिया। वेटिकन ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इन्हें राजनीति से प्रेरित बताया है।