नई दिल्ली। अगले लोकसभा चुनाव के पहले सपा केंद्र सरकार का कब तक साथ देगी? यह भले ही अभी तय न हो, लेकिन फिलहाल मुलायम सिंह यादव तीसरे मोर्चे की संभावना जरूर तलाशने लगे हैं। अलबत्ता, यदि नौबत आई तो भी ऐसा कोई मोर्चा चुनाव के बाद ही सही शक्ल ले सकेगा। फिर भी सपा प्रमुख कांग्रेस से आजिज संप्रग के सहयोगी दलों व गैर कांग्रेस, गैर भाजपा दलों के बीच आपसी समझ बनाने की कोशिश में अभी से जुट गई है। सूत्रों के मुताबिक, एक नए फार्मूले पर अलग-अलग काम चल रहा है, जिसमें सरकार के सहयोगी और उसे बाहर से समर्थन दे रहे दल भविष्य की संभावना तलाशने में जुटे हैं। सरकार में शामिल कुछ दिग्गज दल कांग्रेस के गठबंधन धर्म का पालन न करने से नाखुश हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस के साथ मिलकर अगला लोकसभा चुनाव लड़ने में उन्हें कोई फायदा नहीं होने वाला है। वहीं गठबंधन से अलग होकर लड़ने में उन्हें तो नुकसान होगा, लेकिन कांग्रेस उसकी ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। ऐसे में गणित यह है कि यदि अगली बार केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनी तो भी वह कमजोर स्थिति में रहेगी। ऐसा होने पर वह गठबंधन सहयोगियों के साथ ज्यादा बेहतर तालमेल को मजबूर होगी।
सूत्रों की मानें तो सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव की राकांपा प्रमुख शरद पवार की हालिया मुलाकात में सहयोगियों के साथ केंद्र सरकार के व्यवहार और तौर-तरीकों पर बातचीत हुई। रविवार को उन्हें महाराष्ट्र में एक कार्यक्रम में शरद पवार के साथ एक का मंच पर होना था, लेकिन सेहत की वजह से पवार उसमें शामिल नहीं हो सके। बताते हैं कि इस बीच भाकपा के एक नेता भी सपा प्रमुख से संपर्क बनाए हुए हैं। अलबत्ता, माकपा महासचिव प्रकाश करात से भविष्य की राजनीतिक संभावनाओं पर मशविरा नहीं हो पाया है। जनता दल-एस जैसे दल भी चुनाव से पूर्व नए समीकरण की हिमायत कर रहे हैं। इससे भी मुलायम की कोशिशों को बल मिला है।
सपा के राज्यसभा सदस्य नरेश अग्रवाल का कहना है, ‘इसमें कोई दो राय नहीं कि बीते वर्षों में भ्रष्टाचार व घोटालों को लेकर लोग केंद्र की संप्रग सरकार से आजिज आ चुके हैं। जबकि, बीते नौ वर्षों में भाजपा खुद को उसके विकल्प के तौर पर नहीं खड़ा कर सकी। ऐसे में गैर कांग्रेस, गैर भाजपा दलों के नया विकल्प बनने की पूरी गुंजाइश है। लिहाजा, चुनाव से पहले ऐसे दलों में कम से कम एकजुटता की कोशिश तो हो ही सकती है। बाकी चीजें भले ही चुनाव बाद हों’।
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव की तरफ से तीसरे मोर्चे पर तेज होते सुरों को कांग्रेस ने सांप्रदायिकता का मुद्दा उछालकर बांधने की कोशिश की है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने मुलायम के बयान को औपचारिक तौर पर खास तवज्जो नहीं दी लेकिन भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी के प्रति उनकी नरमी पर परोक्ष रूप से सवाल उठा दिए।
दिग्विजय ने मुलायम के बयान पर कहा कि इसमें कुछ भी नया नहीं है। यह सही है कि एक पार्टी का युग अब खत्म है और गठबंधन की ही सरकार बनेगी। यह पूछने पर कि क्या मुलायम के इस बयान से कांग्रेस चिंतित है? दिग्विजय ने कहा, ‘कांग्रेस अपनी खुद की राह पर है। हमारी राह गांधी जी की नीति है,सामाजिक धर्मनिरपेक्षता है और नेहरू की विचारधारा है।’ मुलायम ने आडवाणी तारीफ की है, उसी परिप्रेक्ष्य में बिना किसी हमले के दिग्विजय ने सांप्रदायिकता का मुद्दा उछाल दिया है। उन्होंने कहा भी कि मुलायम जब पहली बार मुख्यमंत्री बने थे तो उन्हें भाजपा का समर्थन था।