चतरा। भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष वेंकैया नायडू का वर्ष 2005 में हेलीकॉप्टर जलाने वाला माओवादी ललेश भले ही चतरा मुठभेड़ में मारा गया है, लेकिन उन नक्सलियों से वेंकैया को बचाने वाला राजेंद्र साव एवं उसका परिवार भयाक्रांत है। नक्सलियों के डर से उसने अपना पैतृक गांव छोड़ गया है और बेरोजगार भी हो गया है। जान बचाने पर वेंकैया ने राजेंद्र को बहुत कुछ देने का वादा किया था। उसे दिल्ली में टाटा कंपनी में नौकरी दिलाई थी, लेकिन कंपनी से आठ माह बाद ही उसे नौकरी से निकाल दिया गया। विवश राजेंद्र बिहार के गया जिला के शोभ गांव में रह रहा है। वह मूलत: झारखंड के चतरा जिला के धमना गांव का रहने वाला है। 2005 के झारखंड विधानसभा चुनाव में वेंकैया प्रचार के लिए आए थे।
उनका हेलीकॉप्टर भटक गया तो उसकी आपात लैंडिंग नक्सल प्रभावित क्षेत्र में हुई। नक्सलियों ने लैंडिंग देख ली और मौके पर पहुंचे। वहीं वेंकैया हेलीकॉप्टर से उतर जंगलों की ओर भाग निकले। नक्सलियों ने हेलीकॉप्टर को फूंक दिया। जंगलों में भटकते वेंकैया को देखकर राजेंद्र ने जान जोखिम में डालकर उन्हें अपने स्कूटर से सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया था।