नई दिल्ली। आखिरकार वह वक्त आ ही गया जब राहुल गांधी भी अपने विकास के प्रति नजरिए को पेश किए। गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सभा हो या कोई कार्यक्रम गुजरात के विकास मॉडल की चर्चा करना नहीं भूलते हैं। दिल्ली श्रीराम कॉलेज में मोदी ने युवाओं को ब्रांड का ज्ञान देकर सबका मनमोह लिया था। इसके बाद से ही कांग्रेस में खलबली मची थी। आमतौर पर राहुल गांधी समारोहों से दूर रहते हैं। लेकिन सीआइआइ के बुलावे को ठुकरा नहीं सके। चलिए हम आपको दोनों के भाषण में अंतर और समानता बता रहे हैं। आप पढ़ें और खुद देखें कौन किस पर कितना है भारी?
राहुल गांधी के भाषण की खास बातें
– विश्वविद्यालय उद्योग से जुड़ें। बेहतर उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना होगा।
– हमें जो पढ़ाया जाता है वह बेमानी है।
– पढ़ाई और बाजार में तालमेल नहीं है।
– संघर्ष के बावजूद युवा आशावादी हैं। युवा शक्ति को राष्ट्र शक्ति बनना होगा।
– गरीबों को साथ लिए बिना विकास अधूरा। उद्योंगों को रोजगार के अवसर बढ़ाने होंगे। अल्पसंख्यकों को विकास से जोड़ना होगा। लोकतंत्र में गरीबों की आवाज सबसे अहम।
– एमपी और एमएलए के चक्कर में फंसी है सत्ता।
मोदी का श्रीराम कॉलेज पर दिया गया भाषण
-वोट बैंक की राजनीति ने देश को बर्बाद किया।
– आजादी मिली, सुराज नहीं मिला।
मौजूदा माहौल में भी विकास संभव।
– स्किल, स्केल और स्पीड बढ़ाना जरूरी।
– नौजवानों के सही इस्तेमाल की जरूरत।
– सामान बेचने के लिए अच्छी पैकेजिंग की जरूरत।
हम स्नेक चार्मर की जगह माउस चार्मर बन गए हैं।
दोनों नेताओं की तुलना करें तो दोनों के भाषण में मुद्दों की समानता रही। युवा, गरीब, रोजगार और समग्र विकास ही इनके विकास का मॉडल रहा। भाषा शैली में अंतर दिखा। मोदी के भाषण में अलंकृत शब्दों के साथ मनमोहक अंदाज तो राहुल गांधी के भाषण में एक राजनेता का चुनावी पुट दिखा। राहुल के भाषण में कुछ नयापन नहीं था। वह शुरू से ही आम, गरीब और युवाओं को लेकर बात करते हैं। आज भी वही अंदाज था। युवाओं के दर्द को व्यक्त करते हुए राहुल ने कहा कि बेरोजगार युवक उनसे कहते हैं कि राहुल भैया, हम काम क्या करें? राहुल गांधी अपने भाषण में मार्मिकता का पुट सदैव रखते हैं। संसद में भाषण के दौरान कलावती का प्रकरण तो आपको याद ही होगा। आज भी कुछ इसी मार्मिक ढंग से राहुल गांधी ने बेरोजगारों का दर्द उभारा।