नई दिल्ली। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी गुरुवार को कंफेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज (सीआइआइ) में अपना विकास का मॉडल पेश किया। सीआइआइ में दिए अपने पहले भाषण में उन्होंने कहा कि कुछ समय पहले तक भारत के युवाओं के लिए बड़ी दुविधा की स्थिति थी, शिक्षा तो थी लेकिन नौकरियों की कमी थी। उन्होंने इस स्थिति में बदलाव लाने पर जोर दिया। उन्होंने शिक्षा के साथ-साथ युवाओं की ट्रेनिंग पर भी जोर दिया।
उन्होंने कहा कि हमें शिक्षा में सुधार के साथ-साथ लोगों को नए रोजगार देने के अवसर बढ़ाने होंगे। साथ ही जिन जगहों पर शिक्षा के बुनियादी ढांचे का विकास नहीं हुआ है वहां पर शिक्षा की मुहिम में तेजी लानी होगी और वहां पर इसके लिए पुख्ता व्यवस्था करनी होगी।
राहुल ने कहा कि महिलाओं की अनदेखी से विकास नहीं हो सकता. गरीबों को साथ लिए बिना तरक्की नहीं हो सकती है। देश को मिलजुल कर आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए हमें सफलता की परिभाषा बदलनी होगी।
अपने भाषण में उन्होंने भारतीय उद्योग जगत की तारीफ भी की। उन्होंने कहा कि उद्योगपतियों ने देश का मान बढ़ाया है। उद्योग जगत को संबोधित करते हुए राहुल गांधी ने कहा कि हमें नई सोच के साथ आगे बढ़ना होगा. हमें युवा शक्ति को आगे बढ़ाना है।
उन्होंने कहा कि भारत का युवा बेहद आशावादी है। हमे उसकी इस उम्मीद पर खरा उतरते हुए उसके हाथों को रोजगार मुहैया कराना होगा। उन्होंने शिक्षा और बाजार में महत्वपूर्ण संबंध होने तथा दोनों को ही एक दूसरे के लिए काम करने पर भी बल दिया। उन्होंने वहां मौजूद कारपोरेट दिग्गजों से शिक्षा के क्षेत्र में निवेश करने की भी अपील की।
अपने भाषण में जहां उन्होंने शिक्षा व्यवस्था में सुधार पर जोर दिया वहीं यह भी कहा कि पुरानी शिक्षा व्यवस्था बेहद दकियानूसी थी। उनका कहना था कि पुरानी शिक्षा व्यवस्था यथार्थ से बिल्कुल उलट थी। लेकिन अब यह बदल रही है। राहुल ने कहा कि पहले जहां लोग काम हो जाएगा जैसे शब्दों को कहने भर की मानसिकता के बीमार थे, वहीं आज उनकी मानसिकता में बदलाव साफ देखने को मिल रहा है। उन्होंने कहा कि देश का विकास अकेले सरकार के हाथों में नहीं है इसके लिए केंद्र और राज्य दोनों में ही सामंजस्य बिठाना बेहद जरूरी है।
उन्होंने कहा कि जब वह लोगों से गांवों में जाकर मिलते है तो उनकी एक शिकायत होती है कि उनके पास कोई रोजगार नहीं है। राहुल ने अपील की कि ऐसे लोगों के लिए बुनियादी ढांचे को तैयार करना सभी के लिए बड़ी चुनौती है जिसपर अभी बहुत काम करना बाकी है। उन्होंने कहा कि सभी को साथ लेकर चलना हमारा लक्ष्य है।
यह पूछे जाने पर कि आखिर राज्यों के विकास और केंद्र की सत्ता के बीच कैसे तालमेल बिठाया जाए, उनका कहना था कि देश में ग्रामीण क्षेत्रों में जहां प्रधान विकास के काम करवाने में अहम भूमिका निभाता है उसके साथ राज्य सरकार और फिर केंद्र सरकार को दूरी कम करनी होंगी।
उनका कहना था कि क्योंकि प्रधान आमतौर पर किसी राजनैतिक दल से जुड़ा होता है लिहाजा कई बार यह दिक्कत आती है कि सत्ताधारी पार्टी के प्रधान अपने गांवों में विकास करा ले जाते हैं और दूसरे देखते रह जाते हैं। लिहाजा इस मानसिकता से उबरना भी बेहद जरूरी है, तभी देश और राज्य का विकास संभव है। राहुल का कहना था कि केंद्र, राज्य और राज्य की अंतिम सत्ता को एक कड़ी के तौर पर काम करना होगा।
गौरतलब है कि राहुल के आज के भाषण पर कॉरपोरेट जगत से जुड़े कई दिग्गजों की निगाहें लगी थीं। इससे पहले गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के सुशासन के एजेंडे को कई मंचों पर सुन और सराह चुका है।
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