मोदी का फंडा, गलतियां सुधारना सुधार नहीं

narendra-modi-pitches-for-more-governance-and-less-नई दिल्ली। दो दिन पहले अहमदाबाद से कांग्रेस और केंद्र सरकार पर हल्ला बोलने के बाद सोमवार को गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली आकर अपने सुशासन का एजेंडा पेश कर दिया। गुजरात में हैट्रिक के बाद मोदी युवाओं को पहले ही सशक्त भारत की छवि दिखा चुके हैं। सोमवार सुबह महिला उद्यमियों के जरिए आधी आबादी से रूबरू हुए और शाम को देश के सामने सपनों के भारत का खाका रखा, जिसमें सरकार माध्यम होगी और सुशासन एजेंडा।

अगले प्रधानमंत्री को लेकर सरगर्म सियासी माहौल के बीच मोदी ने अपना ‘विजन डाक्यूमेंट-2014’ पेश कर हाल में सीआइआइ संबोधन में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी की तरफ से उठाए गए सवालों के समाधान भी पेश किए। ‘सरकार कम, सुशासन ज्यादा’ के विषय पर बोलते हुए उन्होंने सवाल उठाने की बजाय समाधान सुझाए, व्यवस्था में बदलाव की जरूरत गिनाई और और उपलब्धियों के सहारे संकेत दे दिया कि जो गुजरात में हो चुका है वह देश में भी हो सकता है। केंद्र और उसकी कई नीतियों को कठघरे में खड़ा करते हुए उन्होंने कहा कि योजना में जनता की भागीदारी नहीं है। सुबह के एक कार्यक्रम में वह पहले ही कह चुके थे कि कांग्रेस ने इतने गड्ढे बना दिए थे कि उसे भरने में ही इतना समय लग गया। उन्होंने कहा कि योजना पर राजनीति हावी है। इससे जूझना होता है, लेकिन शासक को इससे बाहर निकलने का रास्ता भी ढूंढना होता है। तभी विकास के लिए रास्ता बनेगा।

किसी पुराने कांग्रेस नेता का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि राजनीतिज्ञों को ‘न’ कहना सीखना होगा और अफसरों को ‘हां’ कहना सीखना होगा। चुटकी लेते हुए उन्होंने कहा कि हिंदूवादी लोगों को चार धाम की यात्रा करने पर मोक्ष मिल जाता है, लेकिन फाइल बीसियों धाम घूम जाए उसे मोक्ष नहीं मिलता है। इसे सुधारना होगा। गुजरात मॉडल का जिक्र करते हुए कहा कि वहां ‘वन डे गवर्नेस’ की भी योजना चल रही है। लोग उससे संतुष्ट हैं। उन्होंने उदाहरणों के जरिये कहा कि गैरजरूरी काम से सरकार को बाहर आकर सिर्फ निगरानी करनी होगी। एकीकृत सोच के साथ योजना और संस्थाओं का निर्माण करना चाहिए न कि तुष्टीकरण और दबाव के तहत। विकेंद्रीकरण की वकालत करते हुए वह यह बताने से नहीं चूके कि गुजरात के कुछ विकास कार्य सिर्फ इसलिए रुक गए क्योंकि केंद्र ने अनुमति नहीं दी। इसी क्रम में उन्होंने केंद्र और राज्य के संबंधों पर संवेदनशीलता से काम करने का सुझाव दिया। कांग्रेस के कुछ नेताओं की ओर से मोदी को क्षेत्रीय नेता करार दिया जाता रहा है।

सोमवार को मोदी ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मुद्दों पर भी अपना एजेंडा पेश कर दिया। विदेश मंत्रालय की वर्तमान भूमिका पर असंतोष जताते हुए उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर संबंधों में राज्यों को भी शामिल किया जाना चाहिए। साथ ही देश के नेतृत्व को भी आगाह किया कि चीन के सामने अपनी शक्ति और कमजोरी का आकलन कर भिड़ने के लिए तैयार रहें। देश के अंदर विकास के लिए पी-4 (पीपल-पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) का मॉडल दिया। उन्होंने कहा कि गुजरात यह अपना चुका है। देश को अब अपना लेना चाहिए तभी विश्वास और भरोसा पैदा होगा।

‘सरकार और सुशासन एक ही सिक्के के दो पहलू हैं लेकिन दोनों अलग भी हैं। सरकार सत्ता है तो सुशासन सशक्तीकरण, लेकिन इसके लिए सरकार की इच्छाशक्ति के साथ लोगों का भरोसा भी जरूरी है।’

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