नई दिल्ली। शीत युद्ध में दक्षिणपंथ का झंडा बुलंद करने वाली मारग्रेट थैचर ने उन्नीस सौ उन्नासी से उन्नीस सौ नब्बे के बीच ब्रिटेन की कमान संभाली थी। ब्रिटेन की कंजर्वेटिव पार्टी की नेता रही मारग्रेट थैचर ब्रिटिश इतिहास की अकेली महिला हैं, जिनका प्रधानमंत्री बनने के साथ ही 20वीं सदी में डाउनिंग स्ट्रीट पर सबसे ज्यादा दिनों तक कब्जा रहा। जहां थैचर को कड़े फैसले लेने के लिए ऑयरन लेडी का नाम दिया गया, वहीं कई इन बातों को उसके मिथक के रूप में लेते हैं।
थैचर ने जिस तरह से सत्ता के गलियारों में कदम रखा और अपने फैसले लिए वह सवालों के घेरे में हैं। शिक्षामंत्री रहते हुए उन्होंने बच्चों को मिलने वाले दूध पर जिस तरह से प्रतिबंध लगाया, उससे ना सिर्फ ब्रिटेन के लोग नाराज थे बल्कि अन्य लोगों ने भी उनकी कड़ी आलोचना की थी। इतनी ही नहीं टैक्स में छूट प्रदान कर देश को तरक्की की राह पर चलाने का दावा करने वाली थैचर यहां भी सवालों के घेरे में हैं।
अर्जेटीना पर हुआ हमला हो या अन्य दूसरे कड़े फैसले सभी में ब्रिटेन और ब्रिटेनवासियों पर नकारात्मक प्रभाव छोड़ा। बावजूद इसके उनको अखबार द्वारा ऑयरन लेडी का नाम दिया जाना अपने आप में इन मिथकों को पुख्ता बनाता है।
दक्षिणपंथी ब्रिटेन को आर्थिक ऊहापोह से बाहर निकालने के लिए लेडी थैचर की तारीफ की जाती है। हालांकि वामपंथी उन पर पारंपरिक उद्योगों को खत्म करने के आरोप लगाते हैं। उनका ये भी आरोप है कि थैचर की नीतियों ने समाज के ताने बाने को तोड़ कर रख दिया।
दुनिया के मंच पर भी उनकी अच्छी खासी पकड़ रही है और उन्होंने अमेरिका के राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन के साथ एक बेहद कामयाब रिश्ता बनाया। सोवियत साम्यवाद के खात्मे में इसकी एक बड़ी भूमिका थी। इसके साथ ही उन्होंने यूरोप के साथ ज्यादा करीबी रिश्ते रखने का भी पुरजोर विरोध किया था।
1959 में पहली बार उन्हें ब्रिटिश संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस के लिए चुना गया और 1975 में उन्होंने पूर्व विपक्षी कंजर्वेटिव नेता एडवर्ड हीथ की जगह ले ली। चार साल बाद उन्हें ब्रिटेन का प्रधानमंत्री बनाया गया।
आयरन लेडी की विरासत थैचरिज्म के नाम से विख्यात है। इस नीति को मानने वालों ने निजी आजादी को बढ़ावा दिया और ब्रिटेन को सदियों से वर्गो में विभाजित रखने वाली व्यवस्था को उखाड़ फेंका। 1982 में जब अर्जेटीना ने ब्रिटेन के कब्जे वाले फॉल्कलैंड द्वीपों पर कब्जा करने की कोशिश की तो थैचर ने बड़ी संख्या में सैनिकों और जंगी जहाजों को वहां भेजा और महज दो महीने में ही जीत हासिल कर ली।
ब्रिटेन की पहली महिला प्रधानमंत्री मारग्रेट थैचर 20वीं सदीं की दुनिया की प्रभावशाली नेताओं में से एक थी। वे 11 साल तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर रहीं। इस दौरान उन्होंने ब्रिटेन को एक नई दिशा दी।
प्रधानमंत्री रहते हुए थैचर ने बहुत सी कल्याणकारी योजनाएं शुरू कीं। उन्होंने कम आय वर्ग के लोगों के लिए बने-बनाए सरकारी घर देने की योजना की शुरुआत की। उनके कार्यकाल में शुरू हुए निजीकरण के दौर के बाद गरीब लोगों ने भी ब्रिटिश गैस और बीटी जैसी कंपनियों के शेयर खरीदे।
साल 1970 में हुए आम चुनाव के बाद कंजर्वेटिव पार्टी सत्ता में वापस लौटी। प्रधानमंत्री टैड हीथ की सरकार में मारग्रेट थैचर को शिक्षामंत्री की जिम्मेदारी सौंपी गई। शिक्षामंत्री बनने के बाद थैचर ने सात से 11 साल तक के बच्चों को स्कूल में दिए जाने वाले दूध पर रोक लगा दी। उनके इस फैसले के बाद लेबर पार्टी ने उन्हें ‘दूध छीनने वाली’ की उपाधि दे दी।
मारग्रेट थैचर 1975 में बनी छद्म सरकार में पर्यावरण मंत्री बनाई गईं। वे प्रधानमंत्री हीथ के पार्टी की नीतियों के खिलाफ जाने की वजह से उनसे नाराज थी। इसलिए उन्होंने कंजर्वेटिव पार्टी के नेता पद के चुनाव में हीथ के खिलाफ खड़ा होने का फैसला किया। पहले दौर में उन्हें हीथ को हरा दिया और दूसरे दौर में उनका सामना विली ह्वाइटलो से हुआ। उन्हें भी हराने में थैचर को कोई परेशानी नहीं हुई। ब्रिटेन के इतिहास में पहली बार कोई महिला किसी राजनीतिक पार्टी की नेता चुनी गई थी।
मारग्रेट थैचर ने 1976 में भाषण देते हुए तत्कालीन सोवियत संघ की दमनकारी नीतियों की जमकर आलोचना की। इसके बाद सोवियत संघ के एक अखबार ने उन्हें ‘लौह महिला’ के रूप में प्रचारित किया। यह विशेषण उनके साथ जीवन पर्यत जुड़ा रहा।
मारग्रेट थैचर 1979 में प्रधानमंत्री बनीं। उनकी लोकप्रियता अप्रैल 1982 में उस समय चरम पर पहुंच गई, जब उन्होंने फॉकलैंड द्वीप पर अर्जेटीना के हमले का करारा जवाब दिया। इस वजह से अर्जेटीना को पीछे हटना पड़ा।