लखनऊ। सूडान में विद्रोही हमले में शहीद हुए सूबेदार शिवकुमार पाल सिंह ने पांच दिन पहले ही अपने वापस आने की खबर दी थी। लेकिन वो तो नहीं आया, उसकी मौत की खबर जरूर आ गई। शिवकुमार की मौत की खबर उनके पिता रिटायर्ड कैप्टन टीआर पाल को मंगलवार रात नौ बजे फोन पर मिली थी।
खबर सुनते ही मां सीता लक्ष्मी अचेत हो गई। घर में हर तरफ चीत्कार मच गई। पिता कैप्टन टीआर पाल कहते हैं कि पांच दिन पहले फोन पर हुई बात में बेटे ने अगले माह ही घर आने की बात कही थी। वह तो नहीं आया उसकी शहादत का संदेशा जरूर आ गया।
सूडान में शहीद हुए नायब सूबेदार शिव कुमार पाल मूल रूप से प्रतापगढ़ के तहसील पट्टी के थाना कन्हई के लौबार गांव के रहने वाले थे। वह 1988 में पायनियर रेजीमेंट में सिपाही के रूप में भर्ती हुए थे। इस समय उनकी तैनाती मध्य प्रदेश के सागर स्थित छह महार रेजीमेंट में थी। अक्टूबर 2012 में शिव कुमार पाल यूनएनओ की शांति सेना के लिए चुने गए थे। शांति सेना में शामिल होने से पहले वह कश्मीर में तैनात थे।
शिव कुमार की पत्नी मधु पाल दिल्ली में राष्ट्रीय महिला आयोग में तैनात हैं। उनका 13 साल का बेटा शुभांशु कक्षा दस का छात्र है। जबकि बेटी अंकिता इंटर में पढ़ाई कर रही है। मधु के साथ शुभांशु और अंकिता नई दिल्ली में रहते हैं। पति की मौत की सूचना मिलते ही मधु अपने दोनों बच्चों को लेकर लखनऊ रवाना हो गईं। शहीद शिव कुमार पाल के बड़े भाई अशोक कुमार पाल लखनऊ में रेलवे में एसएसई के पद पर तैनात हैं।
अशोक कुमार पाल की दो दिन पहले ही शिव कुमार से बात हुई थी। शिव कुमार ने अगले माह ही लखनऊ आने की बात कही थी। यह बताते हुए उनकी आंखों से आंसू छलक आए। शिव कुमार पाल के बड़े भाई प्रदीप कुमार पाल सेना मेडिकल कोर से सेवानिवृत्त हैं, जबकि छोटा भाई देवेंद्र कुमार पाल फतेहगढ़ स्थित रक्षा लेखा कार्यालय में सहायक ऑडिट अधिकारी हैं।
शहीद शिव कुमार पाल ने माउंटिंग कोर्स में ए ग्रेड हासिल किया था। इसके अलावा वह जंगल वारफेयर प्रशिक्षण में भी अव्वल आए थे। गन इंस्ट्रक्टर का भी जिम्मा उन्होंने निभाया था। सूडान जाने से पहले उन्होंने यूएन शांति सेना में शामिल होने का विशेष प्रशिक्षण भी हासिल किया था।
मातृभूमि की रक्षा करने का जज्बा शहीद शिव कुमार पाल को अपने परिवार में ही हासिल हुआ था। शिव कुमार के पिता सेवानिवृत्त कैप्टन टीआर पाल सन 1971 की लड़ाई में हिस्सा ले चुके हैं। पूर्वी क्षेत्र में फील्ड मार्शल मानेक शा से उनकी मुलाकात भी हुई थी। इस युद्ध में उनको विशिष्ट सेवा मेडल भी मिला। कैप्टन टीआर पाल भी शांति सेना में रह चुके हैं। बड़े भाई प्रदीप कुमार पाल सेना मेडिकल कोर में तैनात थे तभी जम्मू-कश्मीर में बाढ़ आ गई। एक परिवार को डूबे मकान से सुरक्षित निकालते हुए बड़ा पत्थर उनके पैर पर आकर गिर गया था। जिसके चलते उनके पैर का हिस्सा खराब हो गया।
शहीद शिव कुमार पाल के परिवारीजनों ने प्रतापगढ़ स्थित उनके मूल निवास में एक स्मृतिका बनाने की मांग की है।