नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देविंदर सिंह भुल्लर की फांसी की सजा बरकरार रखी है। भुल्लर की दया याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया है। अदालत ने केएलएफ आतंकी देविंदर सिंह भुल्लर की याचिका पर निर्णय सुनाया है। न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ को यह फैसला सुनाया है।
ध्यान रहे कि शीर्ष न्यायालय ने खालिस्तान लिबरेशन फोर्स [केएलएफ] के आतंकवादी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की याचिका पर पिछले वर्ष 19 अप्रैल को अपना निर्णय सुरक्षित कर लिया था। सितंबर, 1993 के दिल्ली धमाका मामले के दोषी भुल्लर ने याचिका दायर कर अपनी मौत की सजा को उम्र कैद में बदलने की मांग की है। अदालत से उसने गुहार लगाई है कि 14 जनवरी, 2003 को दायर उसकी दया याचिका का निस्तारण करने में अनावश्यक देरी की गई, जिसके चलते मौत के खौफ से उसका दिमागी संतुलन गड़बड़ा गया है। राष्ट्रपति ने पिछले वर्ष 25 मई को भुल्लर की दया याचिका को खारिज कर दी थी। उसने दया याचिका निस्तारण में देरी को आधार बनाते हुए अपनी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने की मांग की है।
अखिल भारतीय आतंकवाद विरोधी मोर्चा के अध्यक्ष मनिन्दर सिंह बिट्टा ने कहा है कि भुल्लर की फांसी रोकने के पीछे राजनीति है। कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए कहा कि शीला सरकार ने भुल्लर को बचाया। मुझे मेरी पार्टी ने अकेला छोड़ दिया। सवाल उठाते हुए कहा कि कपिल सिब्बल ने क्यों लड़ा भुल्लर का केस।