नई दिल्ली। देशभर में गुजरात विकास के चर्चे हो रहे हैं। लेकिन इसके साथ ही मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ आवाज भी बुलंद होती जा रही हैं। इस बार ये आवाज उठाने वाले कोई और नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी के भाई प्रहलाद मोदी हैं।
एक निजी चैनल के मुताबिक प्रहलाद मोदी ने मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि गरीबों के राशन के नाम पर राज्य में जमकर भ्रष्टाचार हो रहा है। उनका दावा है कि सरकार ने सस्ते राशन की दुकान में हो रही गड़बड़ी को रोकने के इरादे से इलेक्शन कार्ड के आधार पर बारकोड प्रकिया शुरू की थी। लेकिन बारकोड की इस प्रक्रिया में सरकारी स्तर पर ही इतनी धांधली हुई कि गुजरात के राशन बोर्ड से 10 लाख गरीबों का नाम ही हट गया।
प्रहलाद ने आरोप लगाया है कि निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए बारकोड में गड़बड़ी की गई है। ये आरोप सिर्फ उनके भाई के ही नहीं हैं बल्कि कॉरपोरेशन के अधिकारियों का भी यही मानना है
विधानसभा चुनाव से पहले गरीबों के लिए सभी दलों ने बढ़ चढ़कर घोषणाएं की थी, नतीजे आने के बाद गरीबों को लगने लगा था कि अब उनके दिन फिरने वाले हैं लेकिन राज्य के ही सात लाख गरीबों के पांव तले से उस वक्त जमीन खिसक गई जब उनके नाम बीपीएल सूची से हटे नजर आए। गरीबों को मिलने वाला सस्ता राशन, केरोसीन तो बंद हुआ ही साथ में मुफ्त शिक्षा, इलाज आदि सुविधाएं भी अपने आप छिन गई। गुजरात के विकास को लेकर आज देश के कोने कोने में चर्चा है लेकिन अधिकारियों की मनमानी के चलते गरीबों को मिलने वाली सुविधाओं को ही पलीता लग गया।
खाद्य एवं नागरिक विभाग का कहना है कि बीपीएल सूची के लिए चुनाव आयोग के पहचान पत्र का नंबर आवश्यक है, जिन राशन कार्ड पर अंकित नंबर पहचान पत्र के नंबरों से मिलान नहीं करती उन्हें रद्द कर दिया गया। सात लाख बीपीएल परिवार कम होने से गरीबों को अब सस्ता राशन व केरोसीन मिलना मुश्किल है। अहमदाबाद महानगर पालिका के अधिकारियों का कहना है कि निर्वाचन आयोग के कार्ड के नंबर संशोधित करके लाने वालों का नाम वे फिर से बीपीएल की सूची में शामिल कर देते हैं।
गरीब मिन्नतें करे या तिल तिल मरे:-
गुजरात कैंसर एंड रिसर्च संस्थान में एक सप्ताह से भर्ती महावर धर्मा पूरण भाई कैंसर से पीड़ित है। बीपीएल की सूची से नाम हट चुका है, दवा व जांच का रोजाना का हजारों का खर्च परिवार वहन कर सके ऐसी स्थिति नहीं है। मुख्यमंत्री सहायता कोष से मदद के लिए भी उसे महाकार्ड योजना में नाम शामिल कराना पड़ेगा लेकिन उसमें भी नाम तभी शामिल होगा जबकि बीपीएल सूची में उसका नाम हो।
मरीज के पास अधिकारियों के आगे मिन्नतें करने या तिल तिल कर मरने के सिवा और कोई चारा नहीं बचा। हर्षाबेन का नाम भी सूची से गायब है उसे खाना पकाने के लिए अब केरोसीन मिलना बंद हो गया। मजबूरी में महंगे दाम पर उसे केरोसीन खरीदना पड़ रहा है। इनका कहना है कि सरकार कब नियम बदल देती है पता नहीं चलता जब जरुरत होती है तब सुविधा मिलती नहीं।