कराची। पाकिस्तान के चुनावी इतिहास में पहली बार एक किन्नर को चुनाव लड़ने की इजाजत दी गई है। अब्दुल अजीज उर्फ बिंदिया राणा के नामांकन पत्र को चुनाव आयोग ने स्वीकार कर लिया है। इससे पहले चुनाव आयोग ने बिंदिया के नाम का अनुमोदन करने वाले व्यक्ति के अनुपस्थित रहने और कंप्यूटरीकृत पहचान पत्र [सीएनआइसी] उपलब्ध नहीं होने के कारण गत सात अप्रैल को उनका नामांकन खारिज कर दिया था। फैसले के खिलाफ उन्होंने अपील की। जिसके बाद जस्टिस फैजल अरब की अध्यक्षता वाली दो सदस्यीय ट्रिब्यूनल ने बिंदिया को किन्नर समुदाय के प्रतिनिधि के तौर पर चुनाव लड़ने की इजाजत दे दी।
जेंडर इंटरऐक्टिव अलायंस ऑफ पाकिस्तान के लिए काम करने वाली बिंदिया ने कहा, ‘मैंने देश में राजनीति की कभी परवाह नहीं की। मगर अब मुझे लगता है कि आम लोगों को भी उठ खड़े होना चाहिए और भूखंड मालिकों, व्यापारियों और पेशेवर राजनेताओं के माफियाओं को हटाने के लिए चुनाव लड़ना चाहिए। राजनीति में आने का दूसरा बड़ा कारण मेरे एक सहयोगी की दुखद मौत है।’ एक अन्य किन्नर वीरू कोहली भी आगामी 11 मई को होने वाले आम चुनाव में हिस्सा लेना चाहते हैं।
मुशर्रफ की अपील खारिज
इस्लामाबाद। पाकिस्तान के एक चुनावी ट्रिब्यूनल ने कराची के एक निर्वाचन क्षेत्र से नामांकन पत्र खारिज होने के खिलाफ पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशरर्फ द्वारा दायर की गई अपील को नामंजूर कर दिया है। संसदीय निर्वाचन क्षेत्र नंबर 250 से एक अन्य उम्मीदवार द्वारा चुनौती दिए जाने के बाद मुशर्रफ के नामांकन पत्र को खारिज कर दिया गया था। उम्मीदवार का कहना था कि पूर्व सैन्य शासक ने संविधान का उल्लंघन किया है और वर्ष 2007 में आपातकाल लगाने के दौरान सुप्रीम कोर्ट के जजों को बर्खास्त कर दिया था।
हाई कोर्ट के जजों वाले ट्रिब्यूनल ने सोमवार को मुशर्रफ की अपील को नामंजूर कर दिया। मुशर्रफ की चार निर्वाचन क्षेत्रों से चुनाव लड़ने की योजना थी, लेकिन निर्वाचन अधिकारियों ने उनकेकराची, कसूर और इस्लामाबाद से भरे नामांकन पत्रों को नामंजूर कर दिया था। हालांकि चित्रराल से उनका नामांकन मंजूर कर लिया गया है।