बेंगलूर। कर्नाटक के चुनावी महासमर में बाजी कांग्रेस के हाथ जाती दिख रही है। सत्ताधारी भाजपा को येद्दयुरप्पा फैक्टर की वजह से सबसे ज्यादा नुकसान होने की आशंका है। 75 सीटों के 294 मतदान केंद्र पर 4,198 लोगों से पूछे गए सवाल के आधार पर यह निष्कर्ष निकाला गया।
सीएसडीएस द्वारा किए गए इस सर्वे में जो नतीजे सामने आए हैं उसके मुताबिक कांग्रेस को सबसे ज्यादा 37 फीसद वोट मिल रहे हैं, जो पिछली बार की तुलना में दो फीसद ज्यादा है। वहीं भाजपा को 11 फीसद वोट का नुकसान हो रहा है और उसे 23 फीसद वोट मिलता दिखाई पड़ रहा है। जनता दल (सेक्यूलर) को एक फीसद के फायदे के साथ 20 फीसद वोट मिल रहे हैं। येद्दयुरप्पा की नई पार्टी केजेपी को 7 फीसद वोट मिलने का अनुमान है।
इस वोट प्रतिशत के आधार जो अनुमान लगाया है उसके मुताबिक कांग्रेस सबसे ज्यादा फायदे में रहेगी। कांग्रेस को 117 सेस 129 के बीच सीटें, भाजपा को 39 से 49 सीटें, जदएस को 34 से 44 सीटें और अन्य को 14 से 22 सीटें मिलेंगी।
हालांकि इस सर्वे के अनुसार कांग्रेस को सबसे ज्यादा फायदा जरूर हो रहा है लेकिन बतौर मुख्यमंत्री जनता की पहली पसंद जदएस के एचडी कुमारस्वामी हैं। 2008 में उन्हें 20 फीसद, 2009 में 19 फीसद और 2013 उन्हें 18 फीसद लोगों ने पसंद किया था। येद्दयुरप्पा उनके बाद दूसरे नंबर पर हैं। उन्हें 10 फीसद मुख्यमंत्री पद पर देखना चाहते हैं। हालांकि 2008 और 2009 के मुकाबले उनकी लोकप्रियता कम हुई है।
दरअसल, कांग्रेस को भाजपा के नुकसान की वजह से फायदा हो रहा है। सर्वे में एक अहम सवाल ये भी था कि क्या भाजपा को एक और मौका मिलना चाहिए। सिर्फ 21 फीसद ने हां, 57 फीसद ने ना जबकि 22 फीसद ने कोई राय नहीं दी।
जहां तक राजनीति पर हावी जातिवाद का सवाल है तो यहां जिसकी जो जाति है उसे उसके सबसे ज्यादा वोट मिल रहे हैं। वोक्का लिगा के बीच कुमारस्वामी को 39 फीसद वोट मिल रहे हैं, जबकि लिंगायत से महज 10 फीसद, ओबीसी और अनुसूचित जातियों से भी उन्हें 15 और 13 फीसद वोट मिल रहे हैं। जबकि येद्दयुरप्पा को अपने लिंगायत समुदाय से 22 फीसद वोट ही मिल रहे हैं। वोक्कालिगा से तो महज 4 फीसद और बाकी समुदायों में भी वो कोई खास फायदा हासिल करते नहीं दिख रहे।