नई दिल्ली। दिल्ली कैंट में वर्ष 1984 में हुए सिख विरोधी दंगे में आरोपी वरिष्ठ कांग्रेस नेता सज्जन कुमार को कड़कड़डूमा अदालत ने मंगलवार को बरी कर दिया। जबकि इसी मामले में पांच लोगों को दोषी करार दिया है। इस फैसला पर पीड़ित पक्ष के लोगों में काफी रोष है।
पिछली सुनवाई के दौरान अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद देश भर में सिख विरोधी दंगे फैले थे। इस दौरान दिल्ली कैंट के राजनगर में पांच सिखों केहर सिंह, गुरप्रीत सिंह, रघुविंदर सिंह, नरेंद्र पाल सिंह और कुलदीप सिंह की हत्या कर दी गई थी। इस दंगे की भेंट चढ़े केहर सिंह इस मामले की शिकायतकर्ता जगदीश कौर के पति थे जबकि व गुरप्रीत सिंह उनके बेटे थे। इस घटना में मारे गए अन्य सिख दूसरे गवाह जगशेर सिंह के भाई थे।
सीबीआइ ने 2005 में जगदीश कौर की शिकायत और न्यायमूर्ति जीटी नानावटी आयोग की सिफारिश पर दिल्ली कैंट मामले में सच्जन कुमार, कैप्टन भागमल, पूर्व विधायक महेंद्र यादव, गिरधारी लाल, कृष्ण खोखर और पूर्व पार्षद बलवंत खोखर के खिलाफ मामला दर्ज किया था। सीबीआइ ने सभी आरोपियों के खिलाफ 13 जनवरी 2010 को आरोपपत्र दाखिल किया था।
अभी और सुनवाई की जरूरत:
हाईकोर्ट
वर्ष 1984 में सुलतानपुरी में सिख दंगा मामले में आरोपी कांग्रेस नेता सच्जन कुमार द्वारा दायर याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपना फैसला टाल दिया है। न्यायमूर्ति सुरेश कैत ने कहा कि मामले में अभी कुछ और तथ्यों पर सुनवाई की जरूरत है। ऐसे में अदालत उक्त तथ्यों पर पहले सुनवाई करेगी, इसके बाद फैसला सुनाएगी। मामले की अगली सुनवाई 15 मई को होगी।