अमृतसर । कोट लखपत जेल में सरबजीत के सिर, जबड़े, कान व होंठों पर ‘हैवी ब्लंड वैपन’ से हमले किए गए थे। इस हमले में उसकी खोपड़ी में गहरे जख्म हो गए। सिर के ऊपर भी उसको चोट पहुंचाई गई। उसकी पसलियों पर भी चोट के निशान थे। खोपड़ी पर गहरी चोटों के कारण ही सरबजीत की मौत हुई। पाकिस्तान के जिन्ना अस्पताल ने सरबजीत की मौत का सर्टिफिकेट भारत भेजा है न कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट। इस बात की जानकारी सरबजीत का पोस्टमार्टम करने वाली पांच सदस्यीय डाक्टरों की टीम के मुखिया डॉ. गुरमनजीत राय ने पत्रकारों को दी।
डॉ. राय ने कहा कि सरबजीत की मौत खोपड़ी व सिर पर घातक हमले से हुई है, न कि दिल की धड़कन रुकने से। जैसा कि जिन्ना अस्पताल के डॉक्टरों की टीम कह रही है। उन्होंने कहा कि सरबजीत के शरीर से दोनों किडनी, दिल, गाल ब्लेडर व पेट का विसरा गायब था। संभावना है कि पाकिस्तान के डॉक्टरों ने विसरा को लेबोरेटरी के लिए भेजा हो। इसके बावजूद सरबजीत के शरीर में लिवर, फेफड़े व किडनी के टुकड़े मिले हैं। इसके आधार पर अमृतसर की मेडिकल टीम ने इस विसरे को पंजाब सरकार की खरड़ स्थित केमिकल लेबोरेटरी व पैथोलॉजी विभाग सरकारी मेडिकल कॉलेज अमृतसर की लेबोरेटरी में भेजा है। इस लेबोरेटरी की रिपोर्ट के बाद ही उसकी मौत के विस्तृत कारणों की जांच होगी।
उन्होंने कहा कि सरबजीत के जबड़े में कई फ्रेक्चर थे। उसके होंठ व कानों में नील पड़े हुए थे। पाकिस्तान के जिन्ना अस्पताल के डॉक्टरों ने उसकी कई गहरी चोटों में टांके लगाए हुए थे। कुछ तो ऐसे ही खुला छोड़ा हुआ था। उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम करने पर पता चला कि जख्म के निशान छह-सात दिन पुराने हैं। पाकिस्तान से पोस्टमार्टम की रिपोर्ट मांगी जाएगी। इस रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है। डॉ. राय ने कहा कि सरबजीत के पार्थिव शरीर के साथ कोई भी पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं मिली है। पंजाब सरकार के निर्देश पर सरबजीत के शव का गुरुवार को दोबारा पोस्टमार्टम किया गया था।