इंटरनेट ने खतरे में डाले शादी के कार्ड

Internet, wedding card,नई दिल्ली । वह दिन दूर नहीं जब शादी-ब्याह के निमंत्रण पत्र डाक से नहीं बल्कि इंटरनेट से आपके मोबाइल फोन, टैबलेट व कंप्यूटर पर आया करेंगे। सूचना क्रांति ने नए साल, दीपावली और ऐसे ही अन्य मौकों पर भेजे जाने वाले ग्रीटिंग कार्ड के बाजार को तो पहले ही ठंडा कर दिया था, अब बारी शादी के कार्डो की है। वर्ष 2000 में अपनी बुलंदियों पर पहुंचा यह कारोबार इंटरनेट और मोबाइल फोन के बढ़ते चलन की वजह से काफी नुकसान झेल रहा है। तकनीक के बढ़ते प्रभाव के कारण इस कारोबार से जुड़े कारोबारियों को भी भविष्य की चिंता सताने लगी है।

दिल्ली के चावड़ी बाजार में 1945 में स्टेशनरी का बाजार हुआ था। आजादी के बाद इस बाजार में बदलाव आया और स्टेशनरी के कारोबार से जुड़े कारोबारियों ने 1958 में यहां शादी के कार्ड का काम शुरू किया। शुरुआत में यहां केवल चार-पांच दुकानें थीं, लेकिन बढ़ते-बढ़ते ऐसी दुकानों की संख्या सैकड़ों तक पहुंच गई।

शुरुआत में छपते थे सिंगल कार्ड

शादी के कार्ड के कारोबार से जुड़े लोगों की मानें तो शुरुआत में सिंगल कार्ड छपता था। यह कार्ड सफेद रंग की आइवरी नामक एक इंपोर्टेड सीट पर छपता था। इसका साइज आठ गुणा पांच और सात गुणा पांच होता था। कार्ड पर एम्बोस की प्रिंटिंग होती थी।

1970 में कार्ड के स्वरूप में हुआ बदलाव

1970 के दशक में कारोबारियों ने लेजर कटिंग जैसी नई मशीनों का इस्तेमाल शुरू कर दिया था, लिहाजा सिंगल कार्ड का स्थान फोल्डर कार्ड ने ले लिया।

1970 में हुई गणेशजी की मूर्ति छपने की शुरुआत

1970 में कारोबारियों ने बेलबूटे और गणेशजी की मूर्ति छापना शुरू किया। हाल यह हुआ कि शादी-ब्याह वाले सभी परिवार गणेशजी की मूर्ति छपे कार्ड की मांग करने लगे।

वर्ष 2000 में कार्ड कारोबार पहुंचा शिखर पर

वर्ष 2000 में कार्ड के कारोबार में आमूल-चूल परिवर्तन देखने को मिला। इस दौर में बाजार में तरह-तरह के कार्ड उपलब्ध थे। अब शादी के कार्ड देना लोगों के लिए शान समझा जाने लगा था। शादी के कार्ड के साथ अब लोगों ने मिठाई और मेवा के डिब्बे भी देना शुरू कर दिया।

डिजाइनरों ने नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया

बढ़ते हुए कार्ड कारोबार को नई दिशा देने के लिए कुछ एजेंसी और बड़े डिजाइनरों ने भी इसमें प्रवेश किया। उन्होंने कार्ड के दाम बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई। इनके बनाए कार्ड की कीमत 1000 से लेकर 2000 रुपये तक पहुंच गई।

मोबाइल पहली पसंद बना

दिल्ली वेडिंग एंड विजिटिंग कार्ड मैन्यूफैक्चिरिंग एसोसिएशन के आदर्श कुमार गुप्ता का कहना है कि इंटरनेट के आने से ग्रीटिंग कार्ड, दीपावली कार्ड और न्यू ईयर कार्ड लगभग बंद हो चुके हैं। अब लोग मोबाइल फोन पर ही दीपावली और न्यू ईयर की शुभकामनाएं देते हैं। उन्होंने बताया कि इंटरनेट के आने से जो लोग 500 से 700 कार्ड छपवाने आते थे अब वे 100 या 150 कार्ड ही छपवाते हैं। इतना ही नहीं, आजकल लड़का-लड़की खुद आकर जरूरत के कार्ड छपवाते हैं और बाकी ई-मेल से ही कार्ड को भेजकर काम चला लेते हैं। इससे शादी के कारोबार पर असर पड़ रहा है।

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