नई दिल्ली। हंगामे का अड्डा बन चुका है संसद। एक बार फिर संसद में हंगामा। दोनों सदनों में फिर वही शोरगुल और काबू से बाहर हो रहे हैं सांसद। इस बार मुद्दा रेलमंत्री, कानून मंत्री और सीबीआइ की साख से जुड़ा हुआ है। खाद्य सुरक्षा जैसा प्रमुख बिल हंगामे के भेंट चढ़ाया जा रहा है। विपक्ष एक मजबूत प्रहरी की तरह है। सरकार पर लगाम कसने के लिए विरोध की जरूरत से इंकार नहीं किया जा सकता है। लेकिन इस विरोध की भेंट जब जनहित के मुद्दे ही चढ़ने लगे तो आप क्या कहेंगे? संसद में विपक्ष का विरोध लोकतंत्र को मजबूत करता है लेकिन जो नजारा और तथ्य सामने आ रहे हैं उससे तो यही लगता है कि हमारे सांसदों की दिलचस्पी काम से कम विरोध की राजनीति से ज्यादा है। अब आम से लेकर खास तक में यही चर्चा है कि क्या बिना हंगामे के कोई बहस पूरी नहीं हो सकती है?
आंकड़ों की जुबानी, सांसदों के काम की कहानी
अब जरा आंकड़ो की जुबानी संसद की सच्चाई देखिए। 15वीं लोकसभा जब खत्म होगी तो इसके साथ एक अजीब ऐतिहासिक तथ्य जुड़ जाएगा। आजाद भारत के इतिहास में मौजूदा लोकसभा में सबसे कम घंटे तक काम हुआ या यूं कहें कि सदन का च्यादातर समय हंगामे की भेंट चढ़ गया। लोकसभा सचिवालय द्वारा संकलित आंकड़े के अनुसार, 2009 से शुरू हुए मौजूदा लोकसभा के चार वर्षो के कार्यकाल में सदन में 12 सत्रों में मात्र 1157 घंटे कार्य हुए। इससे पहले 14वीं लोकसभा के पांच वर्षो के कार्यकाल में सदन में मात्र 1737 घंटे ही कामकाज हुए। इस दौरान एनडीए विपक्ष में है।
अब चलिए हम आपको कुछ प्रमुख मुद्दे बताते हैं जिन पर संसद की कई सत्र भेंट चढ़ गईं।
महंगाई पर हंगामा
बजट सत्र के दौरान संसद में महंगाई पर खासा हंगामा मचा। विपक्ष ने महंगाई को लेकर संसद में जोरदार हंगामा किया। वहीं सरकार अपना राग अलापती रही।
कोलगेट पर हंगामा
पिछले साल अगस्त में कोयला आवंटन मामले पर सीएजी की रिपोर्ट पर भाजपा ने संसद को पूरी तरह ठप कर दिया। प्रधानमंत्री के इस्तीफे की मांग को लेकर तब से अब तक लगातार भाजपा हर संसद सत्र को प्रभावित कर रही है। आलम यह कि अगस्त में भाजपा बहस के लिए भी तैयार नहीं थी।
प्रमोशन विधेयक पर हंगामा
मानसून सत्र में उत्तर प्रदेश में सरकारी नौकरियों में पदोन्नति में आरक्षण के मुद्दे पर संसद के दोनों सदनों में हंगामा हुआ। इससे दोनों सदनों की कार्यवाही बाधित हुई। सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों को आरक्षण दिए जाने के उत्तर प्रदेश सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था। अदालत के इस फैसले पर दोनों सदनों में कई दन तक हंगामा मचा रहा। खास तौर पर सपा और बसपा ने इस मुद्दे पर संसद को ठप रखा।
कार्टून विवाद पर हंगामा
मानसून सत्र के दौरान ही संसद में भीमराव अंबेडकर पर बने एक ऐसे कार्टून को लेकर हंगामा मचा जिसे 1952 के दौर में बनाया गया था। उस समय तो इस पर कुछ नहीं हुआ लेकिन 60 साल बाद जब ये कार्टून एक अखबार में प्रकाशित हुआ तो सांसदों ने इसी मुद्दे को लेकर संसद में कहर बरपा दिया।
एफडीआई और रसोई गैर
एफडीआई और रसोई गैस को लेकर हंगामा मचा। सत्र भेंट चढ़ गई। ममता बनर्जी ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया। कभी डीजल तो कभी पेट्रोल में बृद्धि को लेकर हंगामे होते रहे।
जेपीसी की मांग को लेकर ( 2 जी स्पेक्ट्रम घोटाला)
विपक्ष वी वांट जेपीसी कह कर चिल्लाता रहा और सत्ताधारी मौन बने रहे। और नवंबर 2010 की सत्र हंगामे की भेंट चढ़ गई।
कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाला
कॉमनवेल्थ गेम्स में घोटाले को लेकर तो कभी इस मामले में शुंगलू कमेटी की रिर्पोट को लेकर 15 वीं लोकसभा में कई सत्रों में हंगामा होता रहा।