नई दिल्ली। चलती बस में दरिंदगी की शिकार हुई लड़की के महावीर एन्क्लेव स्थित घर में गुरुवार रात घड़ी की सूई जैसे-जैसे 12 बजे की ओर खिसक रही थी, पूरा परिवार बेचैन हो रहा था। 12 बजते ही उनके सब्र का बांध टूट गया। दोनों भाई फूट-फूट कर रोने लगे। मां और पिता अपने को नहीं रोक सके। उन्होंने दुआ के समंदर के बीच बिटिया की तस्वीर के आगे मोमबत्ती जलाकर फूल चढ़ाए। घर में खामोशी छाई थी।
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इस मौके पर मां ने दैनिक जागरण से कुछ बातों को साझा किया। उन्होंने बताया कि घर के हालात कैसे भी रहे हों, हम लोग बिटिया का जन्मदिन खुशी से मनाते थे। यह जरूरी नहीं था कि केक काटा जाए और घर को सजाया जाए। लेकिन उस दिन पूरा परिवार काफी खुश रहता। सभी एक साथ बैठते और ढेर सारी बातें होतीं। लेकिन अब ये सिर्फ यादें हैं। मन अब यह मानने को तैयार नहीं होता कि बिटिया हमारे बीच नहीं है। अक्सर बेटों को पुकारते समय बेटी का नाम जुबां पर आ जाता है। उस समय सभी की आंखों में आंसू आ जाते हैं।
पिछले चार सालों से वह जन्मदिन पर हमारे बीच नहीं रहती थी। लेकिन फोन पर रात के 12 बजते ही दोनों भाई उसे बधाई जरूर देते। हम सभी उसे आशीर्वाद देते। इतना कहते-कहते मां का गला रुंध जाता है। उनका कहना है कि बेटी का जन्मदिन सरकार नारी सुरक्षा दिवस के रूप में मनाए। साथ ही लोग इस दिन संकल्प लें कि वह किसी भी रूप में नारी के साथ हुए अन्याय को बर्दाश्त नहीं करेंगे।