फरीदाबाद: जेल अधिकारी पर महिला कैदी ने लगाया रेप का आरोप

dlink dsl-2640rफरीदाबाद। जिला जेल में हत्या के आरोप में उम्रकैद की सजा काट रही दो महिलाओं ने जेल अधीक्षक पर छेड़छाड़, मारपीट व जेल उपाधीक्षक पर दुष्कर्म तथा दो महिला वार्डन पर यौन शोषण के लिए प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। दोनों कैदियों ने मंगलवार की दोपहर मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अमृत सिंह चालिया की अदालत में अपने बयान भी कलमबंद कराए। इसके आधार पर थाना सदर बल्लभगढ़ पुलिस ने एफआइआर दर्ज कर ली है।

नीमका जेल में एक महिला व उसका पति अपहरण व हत्या के एक मामले में सजा काट रहे हैं। इसी महिला कैदी के साथ दूसरी महिला कैदी भी हत्या के जुर्म में सजायाफ्ता है। अपहरण व हत्या में दोषी सजायाफ्ता महिला कैदी से उसका देवर 17 अप्रैल को मिलने पहुंचा था। मिलनी के वक्त महिला कैदी ने अपने देवर को बताया कि उसके साथ जेल में अत्याचार हुआ है, उसके साथ दुष्कर्म किया गया है। यह पता चलते ही महिला के देवर ने जेल महानिदेशक और पुलिस आयुक्त को शिकायत भेजी थी। मामले की जानकारी जिला न्यायाधीश दर्शन सिंह के पास पहुंची।

जिला न्यायाधीश दर्शन सिंह, मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी रजनी यादव 11 मई को नीमका जेल में निरीक्षण के लिए पहुंचे। दोनों न्यायिक अधिकारी शिकायतकर्ता महिला कैदी से मिले, जहां उन्हें दोनों महिला कैदियों ने अपने साथ मारपीट, छेड़छाड़ और दुष्कर्म किए जाने की शिकायत की। शिकायत मिलने के बाद जिला न्यायाधीश ने मामले की जांच मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी अमृत सिंह चालिया को सौंपी।

अदालत ने शिकायत के आधार पर दोनों महिला कैदियों को मंगलवार सुबह प्रोडक्शन वारंट पर अपने समक्ष बुलाया। यहां दोनों महिला कैदियों में से एक ने दुष्कर्म करने, मारपीट करने संबंधी बयान कलमबंद कराए, जबकि दूसरी महिला कैदी ने छेड़छाड़ करने, मारपीट करने और षडयंत्र रचकर उसके साथ दुष्कर्म की चेष्टा संबंधी बयान कलमबंद कराए। अदालत ने बयानों के आधार पर मामला दर्ज करने के आदेश दे दिए। इस संबंध में थाना सदर बल्लभगढ़ के प्रभारी प्रशिक्षु आइपीएस अधिकारी अभिषेक जोरवाल ने बताया कि जेल अधीक्षक अनिल कुमार, जेल उपाधीक्षक शाहिद खान, जेल वार्डन संगीता और सुमित्र को नामजद किया है। जांच शुरू कर दी है।

जेल प्रशासन पर दबाव बनाने के लिए रचा षड़यंत्र

जिला जेल अधीक्षक अनिल कुमार का कहना है कि दोनों सजायाफ्ता कैदियों के आरोप झूठे व निराधार हैं। उन्हें कानून व न्यायपालिका पर पूरा विश्वास है, जांच में सच्चाई सामने आ जाएगी। उन्होंने बताया कि जिस महिला कैदी ने जेल उपाधीक्षक पर दुष्कर्म का आरोप लगाया है उसके पास से 9 अप्रैल को एक मोबाइल चार्जर मिला था। इस कैदी सहित दूसरी महिला वार्ड की निगरानी कैदी से पूछताछ की तो इन्होंने चार्जर संबंधी जानकारी तक से इन्कार कर दिया था। जेल नियमों के अनुसार चार्जर वाली महिला कैदी को चेतावनी दे दी थी और दूसरी को निगरानी ड्यूटी से हटा दिया था। जेल अधीक्षक के अनुसार निगरानी कैदी पहले गुड़गांव जेल में भी महिला कैदियों के यौन शोषण का आरोप लगा चुकी है। तब 5 अगस्त 2010 को तत्कालीन सेशन जज ने पूरी टीम के साथ अचानक जेल के महिला वार्ड का निरीक्षण किया था और आरोप झूठे पाए थे। अनिल कुमार के अनुसार जेल उपाधीक्षक पर दो माह पहले शारीरिक संबंध बनाने के आरोप हैं, जबकि इसके बाद 16 मार्च को उच्च न्यायालय के न्यायाधीश भी जेल का निरीक्षण कर चुके हैं। महिला कैदियों के आरोप षड़यंत्र के तहत हैं। इन आरोपों के पीछे हार्डकोर क्रिमिनल का हाथ है जिन पर जेल प्रशासन ने सख्ती की हुई थी।

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