अजमेर। पीर के रोज़ 9 रजब को सुबह फज्र के बाद ख़ुद्दाम ए ख़्वाजा साहब की जानिब से ग़रीब नवाज़ के आस्ताने पर बड़े कुल की रस्म अदा की गई। बड़े कुल के लिए ख़ादिमों और ज़ायरीनों में बड़ा मज़हबी जज़्बा और अक़ीदत थी। बड़े कुल की रस्म में लाखों ज़ायरीन ने हिस्सा लिया। दस्तूर के मुताबिक ख़ुद्दाम ए ख़्वाजा ने मज़ार ए पाक को गुस्ल दिया और पूरी दरगाह शरीफ़ को अर्के गुलाब, इत्र, केवडा और पानी से धोया। ज़ायरीन ने गुज़िश्ता शब फज्र से कब्ल ही आस्ताने शरीफ़ के बाहरी हिस्सों को अर्के गुलाब और केवड़े के साथ-साथ इत्र से धोना शुरू कर दिया था। ज़ायरीनों की अक़ीदत देखते ही देखते बनती थी। आस्ताने शरीफ़ की बाहरी दिवारों को धोते वक़्त ज़ायरीन ख़्वाजा का दामन नहीं छोड़ेंगे जैसे नारे भी बुलंद कर रहे थे। बड़े कुल की रसम होने के साथ ही ग़रीब नवाज़ का 801वां उर्स मुकम्मल होकर अपने इकतेदाम को पहुंच गया। 9 रजब को सुबह ख़ुद्दाम ए ख़्वाजा ने ग़रीब नवाज़ के मज़ार को गुस्ल देने के बाद फूल और चादर पेश करके मुल्क में अमनोअमान के साथ-साथ खुशहाली, क़ौमी यकज़हती और अच्छी बरसात की दुआ की। साथ ही उर्स र्में िशरकत करने के लिए आए सभी ज़ायरीनों की दरे ख़्वाजा पर हाज़री और दुआएं कबूल होने की दुआएं भी की गई। दरगाह शरीफ़ में हर तरफ ‘मोरे अंगना मोइनुद्दीन आए री’ की सदाएं भी सुनाई दी। तारीख़ी नौबतख़ाने में शादियाने और शहनाई बजाई गई। उर्स मुकम्मल होने पर ख़ादिमों ने एक दूसरे से गले मिलकर उर्स की मुबारक बाद दी। ग़ौरतलब है कि इस मर्तबा उर्स मेें शिद्दत की गर्मी होने के बावजूद लाखों ज़ायरीन ने शिरकत की। कुल की रस्म के बाद जिस पानी से ग़रीब नवाज़ के मज़ार को गुस्ल दिया गया ज़ायरीन और अक़ीदतमंद बड़े अदब और अहतराम के साथ बोतलों में डालकर उस पानी को अपने साथ ले गए। ग़ौरतलब है कि गुस्ल के पानी का इस्तेमाल ज़ायरीन अक़ीदत के साथ बीमारियों में सहतियाबी और तंदरूस्ती के लिए करते हैं।
अफसरो ने फूल चादर पेश कर ख़्वाजा साहब का अदा किया शुक्राना
ग़रीब नवाज़ का 801वां उर्स पीर के रोज 9 रजब को बडे कुल की रस्म के साथ मुकम्मल हो गया। उर्स पूरसूकून मूकम्मल होने पर ज़िला इतेंजामिया ने जिला कलेक्टर वैभव गालरिया और जिला पुलिस कप्तान गौरव श्रीवास्तव की कयादत मंे ख्वाजा साहब की मजार पर अकीदत के फूल और मखमली चादर पेश कर शुक्राना अदा किया। गौरतलब है कि चांद रात के रोज ज़िला इतेजामिया की जानिब से उर्स पूरसूकून होने की दुआ मांगते हुए चादर पेश की गई थी और अब उर्स सूकून से गुजरने पर गरीब नवाज का शुक्राना अदा किया गया। इंतेजामिया के स भी अफसर दरगाह शरीफ मंे निजाम गेट से पुलिस अफसराने के साथ जुलूस की शक्ल में आस्ताने शरीफ में गये। चादर के जुलूस में एडीशनल एसपी रामदेव मूर्ति, मेला मजिस्ट्रेट जगदीश पुरोहित, एडीशनल कलैक्टर, दरगाह सीओ अनिल सिंह, दरगाह सीआई हनुवंत सिंह भाटी और गंज एसएचओ चेतना भाटी समेत दिगर पुलिस अफसरान और इंतज़ामिया के हुक्कान शामिल थे। इंतज़ामिया की चादर चढ़ाने आए लेागों का दरगाह की अंजुमन से जुड़े लोगों ने निज़ाम गेट पर गरमजोशी से इस्तकबाल किया। दरगाह कमिटी की जानिब से बुलंद दरवाज़े पर ख़ैर मकदम किया गया। अंजुमन सैयद जादगान की जानिब से चादर पेश करने आये सभी अफसरान का अंजुमन सदर सैयद हिसामुद्दीन नियाजी की कयादत में अंजुमन मैंबरान और खुद्दाम साहेबान ने इस्तकबाल किया। गौरतलब है कि उर्स पुरसूकुन गुजरने की खुशी जिला कलेक्टर वैभव गालरिया और पुलिस कप्तान गौरव श्रीवास्तव के चेहरों से खुदबखुद बयां हो रही थी।
पीर के रोज 9 रजब को ही हिन्दलवली सरकार की दरगाह में हिन्दुस्तान के एक दिन के बादशाह निजाम सक्का का उर्स भी धुमधाम और अकीदत से मनाया गया। उर्स में शिरकत के लिये मुल्क के मुखतलिफ हिस्सों से अब्बासी भीश्ती बिरादरी के कई अकीदतमंद अजमेर आये। दस्तुर के मुताबिक जोहर के बाद उर्स की महफिल की इब्तदा हुई जिसमें अजीम व पप्पन कव्वाल ने सुफियाना कलाम पेश किये। बाद महफिल सभी अकीदतमंदों ने चादर पेश की और मुल्क में अमनोअमान खुशहाली तरक्की व अच्छी बरसात की दुआ की। गौरतलब है कि चौसर की जंग मंे मुगल बादशाह हुमायुं अपनी जान बचाने के लिये जब नदी में कुदा तो उस वक्त सक्का नाम के भीश्ती ने हुमायुं को अपनी मश्क देकर नदी पार कराई और उसकी जान बचाई। अपनी बचाने की खुशी में शहंशाह हुमायुं ने सक्का से सौगात मांगने को कहा तो उसने हुमायुं के सामने एक दिन के लिये हिन्दुस्तान की बादशाहत मांगी जिस पर हुमायुं ने उसे एक दिन का बादशाह बनाया और सक्का भीश्ती से निजाम सक्का बन गया। उसी निजाम सक्का की याद में सदियों से दरगाह शरीफ में 9 रजब को नौजवान अब्बासीयान भीश्ती समाज की जानिब से निजाम सक्का का उर्स मनाया जाता है जिसमंे अब्बासी बिरादरी के लोग खासी तादाद मंे शिरकत करते हैं। निजाम सक्का ने अपनी एक दिन की हुकुमत में चमडे के सिक्के भी चलाये थे।
ग़रीब नवाज़ के 801वें उर्स में लाखों की तादाद में ज़ायरीन सरज़मीन ए अजमेर पर आए और अपने आप को खुशनसीब पाया। अजमेर शरीफ़ आने वाले ज़ायरीनों ने बड़ी तादाद में विश्राम स्थलियों को अपनी क़यामगाह बनाया। उनके आने से ग़रीब नवाज़ आरामगाह यानी कायड़ विश्राम स्थली और ट्रांसपोर्ट नगर विश्राम स्थलियां पूरी तरह से आबाद और गुलज़ार हुई। बड़े कुल की रस्म के बाद ज़ायरीन के लौटने के सबब ये दोनों विश्राम स्थलियां पूरी तरीके से खाली हो रही हैं। ज़ायरीन की पहली पसंद कायड़ विश्राम स्थल तकरीबन पूरी तरह से खाली होने पर है। यहां पर बराए नाम गाड़ियां हैं। जबकि ट्रांसपोर्ट नगर विश्राम स्थल पर अब कोई गाड़ी नहीं है। अजमेर शरीफ़ आने वाले ज़ायरीन दिगर ज़रायो ट्रेन और बस से भी अपने घरों को लौट रहे हैं। जिसके सबब बस स्टेण्ड और रेलवे स्टेशन पर मेले जैसा माहौल है। ग़रीब नवाज़ के उर्स के पेशेनज़र रेलवे ने उर्स स्पेशल ट्रेनें चलाई। इन उर्स स्पेशल ट्रेनों से लाखों ज़ायरीन ने सफर किया। जिसके सबब रेलवे को बडी आमदनी हुई भारी आमदनी के सबब रेलवे अफसरान के चेहरे खुशी से चमक उठे हैं।
ईरान के शहर संजर में पैदा होने के बाद अपने पीरो मुर्शीद हजरत ख़्वाजा उस्माने हारूनी से मिली तालीमात के बाद तकरीबन 850 साल कब्ल मदीने शरीफ़ से इस्लाम का पैग़ाम लेकर हज़रत ख़्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती पैदल चलकर हिंदुसतान के शहर अजमेर आए और इस शहर को अजमेर शरीफ़ बनाकर दुनिया के नक्शे में अहम मकाम अता किया। हिन्दुस्तान आने के बाद ख़्वाजा मोइनुद्दीन ग़रीब नवाज़ के नाम से मक़बूल और मशहूर हुए। इन्हीं ग़रीब नवाज़ का आइंदा साल 802वां उर्स मनाया जाएगा।