इन मामलों में भारत-चीन करेंगे एक दूसरे की मदद

india-and-china-help-eachother-on-these-issuesनई दिल्ली। चीनी प्रधानमंत्री ली कछ्यांग की भारत यात्र के दौरान दोनों देशों ने विस्तृत संयुक्त वक्तव्य जारी कर सहयोग का दायरा बढ़ाने का एलान किया है। मनमोहन-ली मुलाकात के बाद 35 बिंदुओं के संयुक्त वक्तव्य में नाभिकीय क्षेत्र में सहयोग से लेकर रेलवे ढुलाई व स्टेशन विकास जैसे साझेदारी के कई पायदान शामिल हैं।

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सहयोग के नए आयामों की बानगी इस प्रकार है.

भारत-चीन द्विपक्षीय स्तर पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं के दायरे में रहते हुए आपसी सहयोग करेंगे ।

दोनों देशों के बीच नाभिकीय सहयोग का प्रस्ताव काफी पुराना है। इस दिशा में पहले भी कुछ कोशिशें हुई, लेकिन 2005 में हुए भारत-अमेरिका नाभिकीय करार के बाद चीन की ओर से इस मामले पर बनी सहमति अहम है, क्योंकि शुरुआत में चीन ने इसे परमाणु अप्रसार के लिए झटका बताया था। भारत-अमेरिका समझौते के बाद चीन ने पाकिस्तान के साथ इस तरह का एक समझौता भी किया है।

दोनों देश मध्य एशिया, समुद्री मामलों, निशस्त्रीकरण और परमाणु अप्रसार व शस्त्र नियंत्रण जैसे मुद्दों पर जल्द वार्ता करेंगे।

महत्वपूर्ण है कि मध्य एशिया व हिंद महासागर में एक-दूसरे की मौजूदगी को लेकर दोनों पक्षों की कुछ आशंकाएं हैं।

दोनों पक्ष एक-दूसरे की अन्य देशों के साथ मित्रता के प्रति सकारात्मक नजरिया रखेंगे और समर्थन करेंगे।

गौरतलब है कि चीन और पाकिस्तान की दोस्ती पर भारत की चिंताएं हैं। वहीं भारत और अमेरिका के रिश्तों की बढ़ती प्रगाढ़ता पर चीन आशंकित रहता है।

दोनों देश किसी तीसरे देश में साझा हित की विकास परियोजनाओं पर सहयोग करेंगे। लक्ष्य से भारत और चीन के बीच अफगानिस्तान व अफ्रीका में साझा परियोजनाओं का दरवाजा खुलेगा। इससे दोनों देशों को लागत कम करने में भी मदद मिलेगी।

दोनों देश थलसेना, वायुसेना और नौसेना के बीच आपसी सहयोग बढ़ाने के लिए मेलजोल में इजाफा करेंगे।

सैन्य स्तर पर संवाद को दोनों देशों के बीच विश्वास बढ़ाने का उपाय माना जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय मामलों में बतौर बड़े विकासशील देश भारत के दर्जे को चीन अहम मानता है और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में बड़ी भूमिका के लिए उसकी महत्वाकांक्षा का समर्थन भी करता है।

यह काफी अहम है कि चीन ने खुलकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सदस्यता पाने के लिए चल रही भारत की कोशिशों पर समर्थन का रुख दिखाया है।

भारत-चीन रेलवे माल ढुलाई और स्टेशन विकास के क्षेत्र में भी सहयोग करेंगे।

इससे भारत को अपने डेडिकेटेड फेट कॉरिडोर के लिए माल ढुलाई की चीनी तकनीक के साथ इंजन व वैगन हासिल हो सकेंगे। चीन ने बहुत तेजी से अपने रेलवे नेटवर्क का विकास किया है। भारत रेल प्रबंधन व स्टेशनों के ढांचागत विकास में भी निवेश की संभावनाएं तलाश रहा है, जिसमें बड़ी चीनी निर्माण कंपनियां मददगार हो सकती हैं।

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