नए पैंतरे अपना रहे नक्सली

-naxalite-use-different-ways-of-crueltyनई दिल्ली। नक्सलियों के खिलाफ सुरक्षाबलों के अभियान से ‘लाल हिंसा’ का ग्राफ तो गिरा है, लेकिन देश के नौ सूबों में सक्रिय नक्सली गुरिल्ला युद्ध की किताब से रोज नए पैंतरे निकालकर सुरक्षाबलों का सिरदर्द बढ़ा रहे हैं। घात लगाकर हमले से लेकर बूबी ट्रैप (मरे हुए व्यक्ति या जानवर के शरीर में विस्फोटक लगाना) और अपने कैडर को छुड़ाने के लिए अपहरण व फिरौती जैसे पैंतरों का नक्सली भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं।

बीते चार साल में किशन जैसे बड़े नक्सली नेताओं के सफाए और सुरक्षाबलों से मुठभेड़ के बाद माओवादी लड़ाके अपना वजूद बचाने के लिए हर कोशिश कर रहे हैं। गृह मंत्रालय भी मानता है कि बीते कुछ समय में नक्सलियों ने अपने निशाने, हमले के तरीके और हथियार बदले हैं। नक्सलियों ने उत्तर-पूर्व के उग्रवादी गुटों से हथियारों और गोला-बारूद के लिए संपर्क बनाए हैं। नक्सली अब मोर्टार का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं।

वहीं पेट्रोल बम को देशी लांचर से रॉकेट की तरह इस्तेमाल कर रहे हैं। सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, विदेशी संचार उपकरण भी नक्सलियों के पास पहुंच चुके हैं। नक्सलियों ने जनवरी 2013 में गुरिल्ला युद्ध की ट्रेड मार्का तकनीक बूबी ट्रैप का नमूना दिखाया था। झारखंड के लातेहार जिले में नक्सलियों ने न केवल सीआरपीएफ के जवानों पर हमला किया, बल्कि दो जवानों के पेट चीरकर डेढ़ किलो विस्फोटक भरकर सिल दिया।

यह सौभाग्य था कि जवानों के पेट में रखे विस्फोटक को समय रहते निकाल लिया गया। मुठभेड़ में नक्सली महिलाओं व बच्चों का ढाल की तरह खूब इस्तेमाल कर रहे हैं। साथ ही अपने लोगों को छुड़ाने के लिए अपहरण भी कर रहे हैं। बीते एक साल में नक्सलियों ने उड़ीसा के विधायक झीना हिक्का और सुकमा के जिला मजिस्ट्रेट एलेक्स पॉल मेनन का अपहरण किया था।

उगाही के लिए गांजा और अफीम की खेती को भी प्रोत्साहित कर रहे हैं। गृह मंत्रालय के मुताबिक नक्सली विस्फोटक लगाने और बारूदी सुरंग बिछाने के लिए ग्रामीण इलाकों में पार्टटाइम स्थानीय कैडर के तौर पर जन-मिलिशिया भी तैयार कर रहे हैं, जो पुख्ता सूचनातंत्र भी साबित हो रहा है। खौफ के लिए पुलिस की मुखबिरी करने वालों के सिर काटने और यातनाएं देकर मारने जैसे हथकंडे भी अपनाए जा रहे हैं।

गृह मंत्रालय के अनुसार वर्ष 2009-12 के बीच 562 नक्सली मारे गए, जबकि साढ़े आठ हजार से ज्यादा गिरफ्तार किए गए हैं। वर्ष 2009 में 2258 नक्सली वारदातें हुईं, जिनमें 908 लोगों की जानें गई। वहीं, 2012 में नक्सली वारदातें घटकर 1412 हुईं। 2010 में दंतेवाड़ा में 76 सीआरपीएफ जवानों की घात लगाकर की गई हत्या के बाद सघन अभियान में नक्सली नेता किशन का सफाया कर दिया।

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