नई दिल्ली। राजधानी में इन दिनों महिलाओं से छेड़खानी की वारदातें इतनी बढ़ गई हैं कि 95 फीसद महिलाएं छेड़खानी के डर से सड़कों, पार्को व बाजारों में जाने से डरती हैं। इस तथ्य का खुलासा दिल्ली उच्च न्यायालय में दायर की गई जनहित याचिका में एक महिला सामाजिक कार्यकर्ता ने किया।
सामाजिक कार्यकर्ता ने याचिका के माध्यम से मांग की है कि सरकार को निर्देश दिया जाए कि छेड़खानी के बढ़ते मामलों पर रोक लगाए। उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश डी. मुरुगेसन व न्यायमूर्ति जयंतनाथ की खंडपीठ ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए गृह मंत्रलय, दिल्ली सरकार व पुलिस आयुक्त को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। न्यायालय ने कहा है कि सभी पक्ष अपना जवाब 14 अगस्त तक दायर करें।
उच्च न्यायालय में नंदिता धर ने अधिवक्ता गौरव कुमार बंसल के माध्यम से यह जनहित याचिका दायर की है। याचिकाकर्ता का कहना है कि दिल्ली पुलिस ने 22 अप्रैल 2013 को प्रेस विज्ञप्ति जारी की थी। इसमें उसने कहा था कि रेप के मामलों में 158 प्रतिशत, छेड़छाड़ के मामलों में 600 प्रतिशत और अश्लील फब्तियां कसने के मामलों में 783.67 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
हाल ही में एक संस्था द्वारा कराए गए सर्वे के अनुसार दिल्ली में 95 प्रतिशत महिलाएं घर से निकलने के बाद खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। महिलाएं सड़क, पार्क और बस स्टॉप पर अश्लील फब्तियां कसे जाने एवं छेड़छाड़ होने से डर से वहां जाने में डरती हैं। याचिकाकर्ता ने कहा कि यह सरकार की जिम्मेदारी बनती है कि वह छात्रओं व कामकाजी महिलाओं को ऐसा वातावरण उपलब्ध कराए, जिसमें उनका विकास हो सके। परंतु सरकार अपनी यह जिम्मेदारी पूरी नहीं कर पा रही है।
लिहाजा, सरकार व पुलिस को निर्देश दिया जाए कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा जारी दिशा-निर्देश का कड़ाई से पालन करें।