देश को आबाद करने वाले दामाद !

विजय शर्मा
विजय शर्मा

कहते हैं कि काल में सब छिपा हुआ है। ठीक वैसे ही दामाद शब्द में भी अनेक
अर्थ छिपे हुए हैं जैसे कि दाम, दम, मद और आमद। अब अगर रॉबर्ट वाड्रा या
श्रीनिवासन के दामाद नाचते-नाचते नशे में कहते हैं कि मैं समय हूं तो
इन्हें साष्टांग प्रणाम करना कभी नहीं भूलिएगा। क्यों कि वक्त इन्हीं का
है। ये वक्त दामादों का ही है। बहुतेरे मिल जाएंगे आपको परिवारों के
दामाद लेकिन देश का दामाद होने का गौरव कम ही को नसीब होता है।
इन देश के दामादों के साथ अगर ‘जीजा-साले’ का रिश्ता निभाते हुए अगर आपने
ये सोचकर मजाक कर लिया कि आप तो लड़की पक्ष से आते हैं तो आपकी खैर नहीं।
क्योंकि ये दामाद तो खुद शादी के बाद लड़के के पक्ष के रूप में नहीं जाने
जाते हैं। ये पूर्णतः लड़की के पक्ष के हो जाते हैं। इतना करीब का रिश्ता
होता है इनका अपने ससुराल से कि आप सोचने लग जाएंगे कि इनका जन्म कहीं
इसी परिवार में तो नहीं हुआ था। भले ही इनका जन्म लड़की के परिवार में
नहीं होता पर ये ‘बड़े’ लड़की के घर पर ही होते हैं।
गांवों में आज भी एक परिवार का दामाद पूरे गांव का दामाद माना जाता है।
वैश्विक गांव के दौर में अब ये दामाद पूरे देश का दामाद बन चुके हैं।
गरीब गांव की एक कहानी है। एक परिवार के दामाद जी अपनी बीबी को घर ले
जाने के लिए ससुराल पधारे। ससुराल पहुंचते ही उनका स्वागत किया गया, सास
शगुन में दे रही थी तो दामाद जी सालियों को निहार रहे थे, सास ने कहा जी
पुरब की तरफ मुंह तो कीजिए और प्रसाद ले लीजिए। दामाद जी ने उस दिशा में
मुंह कर लिया जो दिशा सास ने दिखाई थी। सुबह-शाम जब साली ने सेवा की और
गरम-गरम भोजन मिलने लगा तो उनका मन वहीं रम गया। अब तो रोज का ही यही काम
हो गया, सास आती और प्रसाद देने को होती तो वो पूछते कि किस दिशा में
मुंह करूं। सास परेशान हो गईं थी। एक दिन सास प्रसाद देने पहुंची तो
दामाद जी ने हमेशा की तरह पूछा कि किस दिशा में मुंह करूं ? सास ने तपाक
से जवाब दिया कि इतने दिन हो गए आपको आए, अब तो घर की ही तरफ का मुंह
कीजिए।
गांव के दामाद शर्म से शायद लौट भी जाएं लेकिन देश के दामाद तो जिंदगी भर
अपने घर का मुंह नहीं करते। आखिरकार देश का दामाद बनने का यही पैमाना भी
है। इसके फायदे अनगिनत हैं। आपकी बीबी कभी भी मायके ले जाने की जिद नहीं
करेगी क्योंकि वो अपने ‘डैड और ममा’ के साथ रह रही है। आपका उसको मायके
ले जाने का खर्चा भी बच जाता है। सबसे महत्वपूर्ण ये है कि बचपन से पापा
से पैसे लेने वाली आपकी बीबी आपसे कभी भी पैसे नहीं मांगेगी।
अब जब आप यहां बतौर स्थाई मेहमान बनकर रह रहे हैं तो खाली समय में आप कुछ
तो करना पसंद करेंगे। जी आपके ससुर को आपकी बीबी ने ये बता दिया है कि
आपको क्रिकेट बहुत पसंद है। इसके लिए आपके ससुर आपके लिए एक आईपीएल टीम
खरीद कर दे देंगे। आप उससे खूब खेलेंगे।
हो सकता है कि आपको कुछ लोग ये कहते मिले कि आप अपने ससुर के पैसे पर
पलते हैं आदि आदि। पर उन बेकार की बातों पर अगर आपने ध्यान दे दिया तो
आपका पतन निश्चित है।
श्रीनिवासन के दामाद से यहीं गलती हो गई। उसने इन्हीं बेकार की बातों को
दिल से लगा दिया। सोचा कि अपना कुछ किया जाए और कुछ ऐसे पैसे बनाए जाए
जिसे अपनी कमाई कह सके। बेचारे इसी चक्कर में दारा सिंह के बेटे से
एक्टिंग की ट्रेनिंग लेकर अपनी टीम को नाटकीय अंदाज में ‘मैनेज’ कर रहे
थे। पर उनके इस मैनेज का कुछ मैसेज पुलिस के पास पहुंचा और वो पकड़ा गए।
अब आप इस ‘आंत्रेप्रेनॉर’ को गाली देना चाहें तो आपकी मर्जी। पर अंततः तो
बेचारे दामाद जी अपना कुछ अलग करने की ठान रहे थे। क्या हुआ जो पुलिस बीच
में आ गई। दामाद जी ने ये देखा था कि ससुर जी के कितने ही दोस्त सड़क पर
प्रदर्शन करते हैं तो पुलिस तो बीच में आ ही जाती है। अब इसमें दामाद जी
का क्या दोष ?
यही वजह है कि इन बेचारे व्यथित दामादों ने अपनी पीड़ा को बांटने के लिए
और अपने सशक्तिकरण के लिए एक संस्था बनाई है। इसका नाम है अखिल भारतीय
दामाद संघ। इस संस्था का नारा है, देश को बढ़ाने के लिए देश के दामादों
को आगे बढ़ाओ।
मैं भी इसका सदस्य बनना चाहता हूं। पर इसकी अनिवार्यता और सदस्य बनने की
शर्तें काफी कठिन है। शर्तें सुनना चाहेंगे आप ? आप की रीढ़ की हड्डी
नहीं होनी चाहिए, आपको बच्चे पैदा करना नहीं आता हो तो चलेगा पर नया बाप
(ससुर) बनाना आना चाहिए, आपको अपना जन्म स्थान बताते हुए संकोच होना
चाहिए और आपका वर्तमान पता तो सबको पता होना चाहिए।
ऐसी-ऐसी ना जाने कितनी ही शर्तें हैं। पूरी फेहरिस्त है। आपको बताते चलें
कि इस संस्था के आजीवन अध्यक्ष हैं रॉबर्ट वाड्रा जी। काफी आध्यात्मिक
पुरूष हैं। संस्था ने श्रीनिवासन के दामाद को सचिव बनाया है। इस संस्था
का नियम है कि जिस किसी सदस्य पर भ्रष्टाचार का आरोप लगे उसे तुरंत ही
प्रोमोशन दे दिया जाए क्योंकि उसने जरूर ही कुछ अच्छा करने की ठानी होगी
और दामादों के दुश्मनों ने उन्हें फंसाने के लिए आरोप लगा दिया हो।
संस्था के बोर्ड पर बड़े-बड़े अक्षरों में लिखा है कि दामादों के दुश्मन
देश के दुश्मन होते हैं।
संस्था उन लोगों को तवज्जों तो बिल्कुल ही नहीं देती है जो चुपके-चुपके
काम करते-करते चुपके से ही पर्दे से गायब हो जाते हैं। संस्था कहती है कि
आरोप लगे तो आप लोगों के सामने आएं और बहादुरी से आरोपों का सामना करे।
जैसे  संस्था ने अपने सदस्य रंजन भट्टाचार्य को हीरो नहीं बनने दिया
क्योंकि वो सीन के पीछे काम करने में यकीन रखते हैं। नीरा राडिया टेप में
एकबार उनका नाम आया और फिर केजरीवाल ने उछाला तो लगा कि अब तो देश देखेगा
अपने संकुचित दामाद का चेहरा। पर उन्हें मुंहदिखाई की रस्म में शायद
भरोसा नहीं ।
रॉबर्ट वाड्रा जिस घर के दामाद हैं उसी घर से एक और दामाद काफी चर्चित
रहे हैं पर इस संस्था का उनसे कोई सरोकार नहीं है। उनका नाम था फिरोज
गांधी। वो राजीव गांधी और संजय गांधी के पिता थे और इंदिरा गांधी के पति।
उनका अपराध था कि उन्होंने ससुर की ही सरकार के विरूद्ध बिगुल फूंक दिया
था। फिरोज गांधी ने 1955 में संसद में निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियों की
धोखाधड़ी का मामला उठाया। इसकी जांच के बाद देश के बड़े उद्योगपति
रामकृष्ण डालमिया को दो साल की सजा हुई। इसके बाद सरकार ने बीमा व्यापार
का राष्ट्रीयकरण किया। इससे नेहरू सरकार की स्वच्छ छवि को ठेस पहुंची और
नेहरू मंत्रिमंडल के वित्त मंत्री को त्यागपत्र देना पड़ा।
अब जब कोई किसी को अपने परिवार का हिस्सा बनाता है और वो उसी की नैया
डुबाने पर लग जाए तो देश कैसे चलेगा, देश तो भाइचारे से चलता है, प्रेम
से चलता है। देश को चलाने में दामादों के योगदान को सदियों तक याद किया
जाएगा। अगर इस बीच कोई खेमका जमीन घोटाला निकाल कर लाता है तो उसको किसी
जमीन पर लंबे समय तक टिकने ही मत दो। दामाद लोग तबादला करवा कर दार्शनिक
हो जाते हैं और कहते हैं कि नदिया चले, चले रे धारा, तुझको चलना होगा।
देश के दामाद आगे बढ़ने, चलने, नई जगह देखने में और जोखिम उठाने में यकीन
रखते हैं। धन्य हैं देश के ये दामाद।
-विजय शर्मा

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