अहमदाबाद । भ्रष्टाचार, आतंकवाद, महंगाई तथा सुशासन के मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया में कांग्रेस सरकारों व उसके नेताओं को आड़े हाथ लेने वाली नमो आर्मी अब भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के पीछे पड़ गई है।
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री मोदी से बेहतर शासक बताने वाले बयान के बाद नमो आर्मी आडवाणी से पूछ रही है कि मोदी की लोकप्रियता देखकर वे क्यों कांग्रेस की भाषा बोलने लगे हैं।
भाजपा की बैठकों में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पार्टी नेताओं व कार्यकर्ताओं को सोशल मीडिया की ताकत का इस्तेमाल पार्टी के प्रचार प्रसार में करने की बात अक्सर दोहराते हैं। फेसबुक, ट्वीटर, यूट्यूब के अलावा अन्य सोशल वेबसाइटों पर मुख्यमंत्री मोदी के अधिकृत खातों के अलावा देश में मोदी राज का जयघोष करने वाले सैकड़ों अकाउन्ट हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने गत दिनों ग्वालियर में मध्य प्रदेश सरकार के एक समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी जैसा विनम्र बताते हुए उनकी तारीफ की साथ ही उनकी तुलना गुजरात के मुख्यमंत्री से करते हुए यह भी जाहिर कर दिया कि शिवराज का काम मोदी से भी अधिक कठिन था।
आडवाणी बोले कांग्रेस की भाषा :
आडवाणी के इस बयान के बाद मोदी समर्थक उनसे नाराज हैं और अब सोशल मीडिया में आडवाणी की भी खिंचाई कर रहे हैं। एक मत भारत में बने मोदी सरकार नामक अकाउन्ट पर आडवाणी से सवाल पूछा है कि आखिर मोदी की लोकप्रियता आपसे क्यूं सहन नहीं हो रही, आपकी महत्वाकांक्षा पूरे जहाज को ना ले डूबे। बबली राज सोनी लिखते हैं कि कालेधन के मुद्दे पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिख माफी मांगने वाले आडवाणी आखिर क्यूं कांग्रेस की भाषा बोलने लगे हैं।
गौरतलब है कि गुजरात में विकास के मुद्दे पर कांग्रेस गाहे बगाहे यह दोहराती है कि गुजरात तो पहले से ही विकसित था। कांग्रेस ने 26 जनवरी 2011 को एक विशेष परिशिष्ट जारी कर गुजरात के सभी मुख्यमंत्रियों के विकास कार्यो का उल्लेख करते हुए मोदी के काम को औसत दर्जे का बताने का प्रयास किया था लेकिन उसमें तथ्यात्मक रूप से मोदी को देश का प्रभावी राजनेता बता देने के कारण कांग्रेस की खूब किरकिरी हुई थी। ध्यान रहे कि 27 जनवरी को दैनिक जागरण ने ही सबसे पहले इस खबर को उजागर की थी।
आडवाणी को क्यूं औसत विकास दिखा?
देश में जय मोदीराज का जयघोष करने वाले मोदी समर्थक यहीं नहीं ठहरे, अब वे भाजपा नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं कि देश में अब तक हुए हर सर्वे में जब मोदी सबसे लोकप्रिय व प्रधानमंत्री के योग्य चुने गए हैं तो पार्टी आलाकमान उन्हें नेता मानने में क्यूं देरी कर रहा है। उनका कहना है कि राजग का नेता मोदी को नहीं चुना जाता है तो भाजपा उनका समर्थन खो देगी। साथ ही आडवाणी के लिए सोशल मीडिया में कुछ सवाल छोड़े गए हैं, जब मोदी के नेतृत्व में युवा एकजुट हो रहे तब आडवाणी को युवा वर्ग भाजपा से दूर होते कैसे दिखाई दे रहे हैं। देश-विदेश में जब गुजरात के मोदी मॉडल की चर्चा है तब आडवाणी को मोदी का विकास क्यूं साधारण नजर आ रहा है। सारा देश जब मोदी को नेतृत्व के लिए पुकार रहा है उसके बावजूद आडवाणी को देश में क्यूं तीसरे मोर्चे की सरकार बनती नजर आ रही है। यह महज इत्तेफाक है या सोची समझी साजिश? आडवाणी जी यह जो पब्लिक है यह सब जानती है, आप कुछ भी कहें देश में मोदी राज लाकर रहेंगे।
गोवा बैठक पर नमो समर्थकों की नजर :
गोवा में 7 से 9 जून को भारतीय जनता पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक है, इससे पहले भाजपा के संसदीय बोर्ड व राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक से नमो समर्थकों को खासी उम्मीद थी लेकिन मोदी को नेता नहीं चुने जाने पर इनमें खासी नाराजगी दिखी। अब उनकी नजर गोवा की बैठक पर टिकी है जहां मोदी को भाजपा की प्रचार की कमान सौंपने की चर्चा है, इस बैठक में मोदी को बडी जिम्मेदारी नहीं सौंपी जाती है तो मोदी समर्थक पार्टी के अन्य नेताओं को भी सोशल मीडिया में आड़े हाथ लें सकते हैं।