कहा जाता है कि किसी की भावनाओं के लिए दिल नहीं पसीजे तो वह पत्थर दिल है लेकिन अजमेर में एक पहाड़ ऐसा है जो अल्लाह के बंदे की याद में इतना रोया कि इंसान का भी दिल पसीज गया। यहीं कारण है कि आज भी खुदा के बंदे की याद में रोए, पहाड़ के आंसू देखने के लिए हजारों जायरीन अजमेर स्थित चिल्ला ख्वाजा साहब पर आते हैं और पहाड़ जैसी बंदगी मिलने की मन्नत मांगते हैं।
मोहब्बत हीर और रांझा की हो या फिर लैला मजनू की, इश्क तो बस इश्क ही होता है यूं तो आपने प्यार मोहब्बत के फसाने कई सूने है और देखे होंगे। मगर आज जो हम आपको इश्क की दास्तां बता रहे है वो जरा हटकर है। दरअसल आपको जो मोहब्बत बता रहे है वो एक पहाड़ की है जो अपने महबूब की याद मे इतना रोया की उसके आंसू नौ सौ बरस बाद भी कायम है, जिसे आप देखकर कहंगे क्या खूब बंदगीए इश्क पाया है। जी हाँ हम बात कर रहे है उस पहाड़ की जिसमे नौ सौ बरस पहले ख्वाजा गरीब नवाज ने अल्लाह की इबादत की थी। बात उस वक्त की है जब ख्वाजा साहब अरब से इरान और अफगानिस्तान की सरहदों को पार करते हुए भारत आए अल्लाह के हुकुम से गरीब नवाज ने चालीस दिन तक अजमेर की इस आनासागर पहाड़ी की गुफ़ा में कयाम किया और वहीं पर दिन-रात अल्लाह की इबादत की। वे खुदा की इबादत में इतने मसरूफ हुए कि भूख-प्यास भी भूल गए और इसी बीच अल्लाह के हुक्म से अपने मुरीदों को देश के कोने-कोने मे आवाम की खिदमत के लिये भेज दिया।
मान्यता है की अल्लाह का संदेश मिलने पर पहाड़ की गुफा छोड़कर ख्वाजा गरीब नवाज अपने एक मुरीद ख्वाजा कुतुबु़ददीन बख्तीयार काकी के साथ जाने लगे तभी अचानक ख्वाजा साहब की मोहब्बत मे कैद इस पहाड़ ने रोना शुरु कर दिया। पहाड़ से आँसू टपकना जारी हो गए। इस मंजर को देख कर मौजूद लोग सोच मे पड़ गए। क्या कभी कोई पहाड़ भी आंसू बहां सकता है। मगर यह तो वो पहाड़ है जहाँ अल्लाह के नेक बंदे ने खूब इबादत की और इसी बंदे की मोहब्बत मे यह आंसू आज तक सदाबहार पहाड़ी की गुफा मे उसी तरह कायम है जिस तरह नौ सौ साल पहले थे। इन आँसुओं को देखकर ऐसा लगता है की बस अभी-अभी टपकने ही वाले हो। ख्वाजा की याद में आंसू बहाने वाले इस पहाड़ को देखने आज भी देश के कोने-कोने से सैंकड़ों जायरिन चिल्ला ख्वाजा साहब पर आते है जिन्हे यहा आकर सुकुन और शांति का अहसास होता है।
अल्लाह की इबादत का कारनामा ऐसा कि पहाड़ भी पसीज गया और खुदा के बंदे से अलग होने के गम में रो पड़ा, इस पहाड़ के आंसू आज भी ख्वाजा साहब की यादों को अपने दिल मे समेटे हुए है और इसी के चलते देश के कोने-कोने से हजारों अकिदतमंद इन आँसुओं के दिदार को अजमेर आते हैं और अल्लाह से पहाड़ जैसी खिदमत का मौका पाने की दुआ करते है।
7 thoughts on “पहाड रोया था गरीब नवाज की याद में”
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india is king
या गरिब नवाझ कि शान मे हर कोइ रोथा है य सब करम है मेरे आका
khwja assalaoalekum
Yeh Sab Tumhara Karam hai Khwaza ki Baat Abtak Bani Huyi Hai
Asshalamuailekum hoojoor sayaad khuwaza gharib nabajmoindden hasan chishty sanjari ajmeri r.d . R.j .moradabadd up
mashaallah
allah pak ham badkaro nakaro nafarmano ko b hjrt garib nawaz k diye huye nakshe kadam pr chalne k tofik ata farmaye
or us pahad k jc mohabbat krne k tofik ata farmaye
aamin
King of my sultanat
Owner of my life
Please do some merical in my life
Because questions Of my life
Touch me, say something from me,
Live with me. I want you Hind k SHAHANSHA
Ya Khwaja Gareeb Namaj