नई दिल्ली। पिछले लोकसभा चुनाव के प्रचार में आठ करोड़ रुपये खर्च करने के वरिष्ठ भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे के बयान पर जहां कांग्रेस हमलावर है, वहीं बैकफुट पर आई भाजपा को जवाब देते नहीं सूझ रहा। कांग्रेस ने मुंडे की संसद सदस्यता छीन लेने की चुनाव आयोग से मांग की है। इस बीच, निर्वाचन आयोग ने मुंडे को नोटिस भेजकर जवाब तलब किया है।
आयोग ने मुंडे को नोटिस भेजकर कहा कि वे 20 दिन में बताएं कि उनके खिलाफ चुनाव कानून (1961) के तहत कार्रवाई क्यों न की जाए। आयोग ने उनसे यह भी पूछा है कि चुनाव प्रचार के लिए तय की गई खर्च सीमा को पार करने पर उन्हें जन प्रतिनिधित्व कानून के तहत अयोग्य क्यों न घोषित कर दिया जाए।
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कांग्रेस नेता सत्यव्रत चतुर्वेदी ने शनिवार को कहा कि मुंडे ने निर्वाचन के कानूनों का उल्लंघन किया है और खुद इस बात को माना है। आयोग को इस बारे में उचित कार्रवाई करनी चाहिए। महाराष्ट्र से कांग्रेस सांसद संजय निरुपम ने भी मुंडे को अयोग्य ठहराने की पैरोकारी की। उनके मुताबिक, लोकसभा में भाजपा के उप नेता मुंडे ने तब की खर्च सीमा से कई गुना अधिक रुपये खर्च किए हैं।
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कांग्रेस के हमलों से बचाव की मुद्रा में आई भाजपा के प्रवक्ता प्रकाश जावडे़कर ने कहा कि चुनाव प्रचार सरकारी खर्च पर कराने का महत्वपूर्ण मुद्दा उठाया है। उनकी बातों का गलत मतलब निकाला गया है।
पार्टी के एक अन्य प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि मुंडे ने क्या कहा है, इसकी बारीकियों में जाने की बजाय चुनाव प्रचार के दौरान और ज्यादा फंड की जरूरत के मुद्दे पर विचार किया जाना चाहिए।