अजमेर डिस्कॉम क्षेत्र में एक लाख पौधे लगाए जाएगें

Pratap Singh Jat 2.6.12अजमेर। प्रदेष में मुख्यमंत्री के निर्देषानुसार चलाए जा रहे हरित राजस्थान कार्यक्रम के तहत अजमेर डिस्कॉम क्षेत्राधीन जिलों में एक लाख पौधे लगाए जाएंगे। इसके लिए कार्य योजना तैयार कर ली गई है साथ ही पौधों की सुरक्षा एवं रखरखाव की भी समुचित व्यवस्था की जाएंगी। निगम के प्रबंध निदेषक श्री पी.एस. जाट ने बताया कि डिस्कॉम क्षेत्र के अधीक्षण अभियंता, अधिषाषी अभियंता, सहायक अभियंता, कनिष्ठ अभियंता कार्यालयों, 33/11 केवी जीएसएस एवं विश्राम गृहों में जहां भी चारदीवारी की व्यवस्था है, वहां ये पौधे लगाए जाएंगे। उन्होंने बताया कि पौधे लगाने के लिए स्थानों का चयन कर 25 जुलाई तक खड्डे खोद कर तैयार करवाएं जाएगंे। इसी प्रकार 28 जुलाई तक पौधे वन विभाग की नर्सरी से मुफ्त/सरकारी दर पर प्राप्त कर लिए जाएंगे। उन्होंने बताया कि सभी जिलों/सर्किलों में एक अगस्त को प्रातः 10 बजे एक साथ पौधारोपण का कार्य किया जाएगा। जिसकी सूचना उसी दिन दोपहर 3 बजे तक प्रावेधिक सहायक (टीए टू एमडी) को उपलब्ध कराई जाएगी।
पौधों की उपलब्धता-
प्रबंध निदेषक ने बताया कि कम पानी की आवष्यकता की जगह, पानी की उपलब्धता वाले स्थानों पर तथा जहां जगह कम होगीं, वहां अलग अलग पौधें लगाने की व्यवस्था की जाएंगी।
कम पानी की आवष्यकता की जगह- कम पानी की आवष्यकता की जगह नीम, कालूष्याम, पलाष, करंज, सरेस, करोंदा एवं अल्स्टोनिया के पौधे लगाएं जाएगें।
पानी की उपलब्धता वाले स्थानों पर – पानी की उपलब्धता वाले स्थानों पर गुलमोहर, आंवला, आम, जामुन, नागचंपा के पौधे लगाएं जाएगें।
जहां जगह कम है – जिन स्थानों पर जगह कम है वहां गुडहल, कनेर, बोगन बिलिया आदि के पौधे लगाएं जाएगें।
लक्ष्य निर्धारित –
प्रबंध निदेषक श्री पी.एस. जाट ने बताया कि डिस्कॉम क्षेत्र में लगाएं जाने वाले पौधें के लिए सर्किलवार लक्ष्यों का निर्धारण कर दिया गया हैं। इसके तहत अजमेर शहर वृत में 5 हजार पौधे लगाए जाएगंे जबकि अजमेर जिला वृत, नागौर, सीकर, झुंझुंनू, भीलवाड़ा एवं उदयपुर में 10-10 हजार, चितौड़गढ़ में 8 हजार, डूंगरपुर, राजसमंद एवं बांसवाड़ा में 7-7 हजार, प्रतापगढ़ में 6 हजार पौधे लगाएं जाएंगे। इसी प्रकार सिविल विंग में 3 हजार, एम. एण्ड पी. अजमेर एवं उदयपुर में पांच-पांच सौ तथा आई.टी. अजमेर में एक सौ पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

उतराखण्ड त्रासदी सहायता: एक दिन के वेतन की कटौती जुलाई माह के वेतन से होंगी
अजमेर। अजमेर डिस्कॉम के विभिन्न अधिकारी/कर्मचारी संघों के अनुरोध पर उतराखण्ड राज्य-केदारनाथ एवं इसके आस पास के क्षेत्र में आई बाढ़ आपदा में राहत कार्यो हेतु आर्थिक सहयोग देने के लिए अधिकारियों एवं कर्मचारियों के जुलाई माह के वेतन से सीधी कटौती की जाएगी। निगम के प्रबंध निदेषक श्री पी.एस. जाट ने अधिकारी/कर्मचारी संघों के अनुरोध एवं सहायता राषि के शीघ्र संग्रहण को दृष्टिगत रखते हुए उक्त आदेष जारी किए हैं। आदेष के तहत संबंधित आहरण एवं वितरण अधिकारी माह जुलाई, 2013 के वेतन बिलों से समस्त अधिकारियों/कर्मचारियों के माह जून, 2013 के वेतन के एक दिन के मूल वेतन के समान राषि की कटौती करेंगे। जिन अधिकारियों/कर्मचारियों के वेतन से इस हेतु कटौती कर ली गई है, उनके वेतन से अब कटौती नहीं की जाएगीं। उन्होंने बताया कि संबंधित आहरण एवं वितरण अधिकारी कटौती की गई राषि को मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कराने के लिए वरिष्ठ लेखाधिकारी (संस्था एवं रोकड़) अजमेर विद्युत वितरण निगम लि. अजमेर को पूर्ण विवरण के साथ प्रेषित करेंगे।
उन्होंने बताया कि कटौती की गई सहायता राषि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 80 जी के अन्तर्गत छूट के योग्य है।

विद्युत के अनाधिकृत उपयोग एवं बिजली चोरी से संबंधित प्रकरण उपभोक्ता न्यायालय के क्षेत्राधिकार में नहीं
अजमेर। माननीय उच्चतम न्यायालय नई दिल्ली ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में कहा है कि विद्युत अधिनियम 2003 के अन्तर्गत धारा 126 में विद्युत के अनाधिकृत उपयोग के संबंध में सक्षम अधिकारी द्वारा किए निर्धारण, न्यायिक कल्प (क्वासी ज्यूडिसियल) निर्णय होते है एवं उन्हें उपभोक्ता अधिनियम 86 की धारा 2 (1) सी के अधीन परिवाद (कम्पलेन्ट) नहीं माना जा सकता। विद्युत अधिनियम 03 की धारा 2(1) सी, 3, 173, 174, 175 आदि की विस्तृत व्याख्या करते हुए सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीष जस्टिस सुधांषु मुखोपाध्याय ने निर्णय दिया है कि अधिनियम 03 की धारा 135 से 140 में वर्णित विद्युत चोरी एवं संबंधित अपराध के संबंध में की गई कार्यवाई भी उपभोक्ता न्यायालय के क्षेत्राधिकार में नहीं आती हैं।
इससे पूर्व नेषनल कमीषन, नई दिल्ली ने यू.पी. पावर कॉरपोरेषन बनाम अनिस अहमद सहित कई प्रकरणों में यह निर्णित किया था कि विद्युत अधिनियम 03 की धारा 173, 174,175 के आलोक में उपभोक्ता न्यायालयों को धारा 126 के तहत किए गए निर्धारण के विरूद्ध परिवाद सुनने का क्षेत्राधिकार हैं। जिसे माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय दिनांक 1.7.2013 द्वारा खारिज कर दिया हैं। इसी प्रकरण के पेरा 22 से 24 में माननीय सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी निर्णित किया हैं कि वे उपभोक्ता जिन्हें औद्योगिक अथवा वाणिज्यिक प्रयोजन हेतु विद्युत संबंध दिए गए हैं, वे भी उपभोक्ता अधिनियम 86 की धारा 2(1)(डी) के अनुसार उपभोक्ता की परिभाषा में नहीं आते हैं एवं उन्हें परिवाद पेष करने का अधिकार नहीं हैं।

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