अजमेर। आयुर्वेद भले ही लम्बे समय से हवन सामग्रियों के औषधिय गुणों का दावा करता रहा हो लेकिन एलोपेथी ने आज तक इसे स्वीकार नहीं किया। लेकिन अब वो दिन शायद बहुत ज्यादा दूर नहीं जब अस्पतालों में मरीजो के गंभीर और असाध्य रोगों का उपचार हवन के माध्यम से हो सकेगा। इस सम्बन्ध मे भारतीय आर्युविज्ञान अनुसन्धान परिषद् के सहयोग से अजमेर के जेएलएन मेडिकल कॉलेज में शोध की शुरुआत की जा रही है। आयुर्वेद की बात हो या फिर प्राचीन भारतीय चिकित्सा के अन्य ग्रंथो की हमेशा से दावा किया जाता रहा है की हवन सामग्री में चिकित्सकीय गुण होते है लेकिन आज तक कभी इसे मान्यता नहीं दी गई। हवन सामग्री के औषधिय गुणों को जानने और परखने की दिशा में अब भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसन्धान परिषद् ने शोध की शुरुआत की है। अजमेर के लिए यह गौरव की बात है की परिषद् ने इस शोध का जिम्मा अजमेर के मेडिकल कॉलेज को सोंपा है। शोध कार्य का जिम्मा मेडिकल कॉलेज की एसोसिएट प्रोफ़ेसर विजय लता रस्तोगी को सोंपा गया है। रस्तोगी का दावा है की जुलाई 2011 से अनोपचारिक रूप से इस शोध की शुरुआत की गई थी। इस दौरान इस बात के पुख्ता प्रमाण मिले है की अनेक ऐसे जीवाणु है जिन पर वर्तमान में उपलब्ध एंटीबायोटिक ने काम करना बंद कर दिया नतीजा अनेक रोगों के उपचार में परेशानिया सामने आने लगी है। रस्तोगी की माने तो इस तरह के जीवाणुओ पर हवन सामग्री के धुएं के चमत्कारिक परिणाम देखने को मिले और जीवाणु का अंत करने में टीम को सफलता हाथ लगी
विजयलता रस्तोगी के इस प्रोजेक्ट को भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद् ने ना केवल महत्वपूर्ण माना बल्कि इस शोध पर आने वाले समस्त खर्चे को वहन करने पर भी सहमती दी है। मेडिकल कॉलेज में इस शोध के लिए एक लेब स्थापित की गई है जो जल्द काम करना शुरू कर देगी। इस लेब में ही विभिन्न बीमारियों के जीवाणुओ पर हवन सामग्री का प्रयोग किया जाएगा।
प्रोफ़ेसर विजललता रस्तोगी के अनुसार यदि यह शोध पूरी तरह सफल रहा तो वह दिन दूर नहीं जब हवन सामग्री का उपयोग चिकित्सा कार्य में भी हो सकेगा। सब से बड़ी बात तो यह की मंहगी दवाओं के इस दौर में मरीजो को असाध्य रोगों की चिकित्सा भी सस्ती सुलभ हो सकेगी।
plz.do the same experiment with gayatri mantra also.Becaz with this the effects are more better .
Than’ks 4 give me chance 2 join ajmernama news group…