अजमेर। संतो के नगर में आगमन का मतलब है कल्पवृक्ष का आगमन्, कामधेनू का आगमन्, चिन्तामणि रत्न का आगमन्, संत संस्कृति का शंखनाद है, आचरण का आशीष है, जागरण का बीज और समाधि मरण का ताबीज है। बुधवार को नाका मदार मेला ग्राउंड पर मनाए जा रहे कल्पद्रुम महामंडल विधान के दौरान राजा श्रेणिक बनने का सौभाग्य विरेन्द्र कुमार, विनित कुमार उन्नैरिया को प्राप्त हुआ उन्हे गाजे बाजो के साथ समवशरण में अन्य इन्द्रो के साथ लाया गया। राजा श्रेणिक मय परिवार भगवान महावीर के समवशरण में पहंुचे। भगवान को निवेदन करते हुए राजा श्रेणिक ने कहा की त्रिलोकि नाथ भगवान सम्मैद शिखर का क्या महत्व है। इस पर समवशरण में विराजीत पुज्य आर्यिका सृष्टि भूषण माता जी ने कहा कि सम्मैद शिखर से अन्तान्तत सिद्ध पुरूष भगवान
मोक्ष गए है। यहां भूत, भविष्य, वर्तमान के सभी 24 तीर्थकंर मोक्ष गए है और जाऐगें। यहा का कण कण पवित्र है।
