दूसरी बार राजनाथ को चित्त किया नरेंद्र मोदी ने

30_06_2013-30nmodicmg-संजीव पांडेय- नरेंद्र मोदी स्टाइल का एक बड़ा झटका राजनाथ सिंह को बुधवार को लग गया है। राजनाथ के लाड़ले विजय गोयल दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नहीं बन पाए। राजनाथ सिंह के तमाम कोशिश के बावजूद नरेंद्र मोदी ने विजय गोयल को बाहर का रास्ता दिखा दिया। दिल्ली में भाजपा की राजनीति में राजनाथ सिंह को उनकी हैसियत नरेंद्र मोदी ने दिखायी है। इससे भाजपा की राजनीति में लोकसभा चुनावों से पहले टिकट को लेकर और उठापटक मचने की संभावना है। भाजपा में साइलेंट ऑपरेटर और माननीय जी के नाम से प्रचलित राजनाथ सिंह को यह महसूस होने लगा है कि नरेंद्र मोदी उनकी चालों को समझ गए है। जिस तरह से नरेंद्र मोदी ने विजय गोयल की जगह हर्षवर्दन को मुख्यमंत्री का उम्मीदवार घोषित करवा राजनाथ को झटका दिया है, उससे पार्टी में जोरदार हलचल है। खासकर यह उनलोगों के लिए संकेत है जो राजनाथ सिंह के सिपाही के तौर पर चुनावों के बाद राजनाथ को सर्वसम्मति के पीएम उम्मीदवार बनाने के लिए अभी भी जोरदार लॉबिंग कर रहे है।
विजय गोयल की जगह हर्षवर्दन दिल्ली में भाजपा के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे। हर्षवर्दन नरेंद्र मोदी और संघ की पसंद बने। इससे पहले भाजपा की अंदर की राजनीति खूब गरमायी। कारण साफ था। विजय गोयल पिछले दस सालों से राजनाथ सिंह के नजदीक है। विजय गोयल अटल बिहारी वाजपेयी के भी खास थे। राजनाथ सिंह और विजय गोयल की नजदीकी इस कदर थी कि तमाम विरोध के बावजूद दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष भी राजनाथ ने बतौर तोहफा विजय गोयल को दिया था। उसी समय राजनाथ सिंह ने तय किया था कि विजय गोयल को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार बनाएंगे। हालांकि अंदर खाते विजय गोयल के खिलाफ उपलब्ध करवाए गए तमाम सबूतों के आधार पर राजनाथ विरोधी खेमा ने विजय गोयल को रोकने की भी पूरी तैयारी कर ली थी।
दरअसल इस पूरी राजनीति को नरेंद्र मोदी की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। नरेंद्र मोदी को इस बात का पूरा अहसास था कि राजनाथ सिंह हर खेल को अपने हिसाब से खेल रहे है। नरेंद्र मोदी एलके आडवाणी खेमे से निपटने के बाद राजनाथ सिंह की पर कतरने की पूरी तैयारी में थे। मौका दिल्ली चुनाव में हाथ लग गया। इससे पहले राजनाथ सिंह को जमीन वसुधंरा राजे के मसले पर मोदी ने पहले ही दिखा दी थी। राजनाथ सिंह ने वसुंधरा राजे को हर स्तर पर जलील किया था। लेकिन मोदी ने अपने दम पर वसुंधरा को राजस्थान की कमान दे दिलवा दी। उस समय भी राजनाथ सिंह घूंट पीकर रह गए थे। अब विजय गोयल के मामले में राजनाथ की दूसरी हार हो गई है। बताया जाता है कि राजनाथ सिंह ने अंतिम समय तक यही कोशिश की कि विजय गोयल की उम्मीदवारी को बचाए रखने के लिए सीएम पद के उम्मीदवार की घोषणा को टाल दिया जाए। जब उम्मीदवार के नाम घोषणा को टालने की बात पर राजनाथ सिंह फेल होते नजर आए तो एक नया दाव फेंका गया। कहा गया कि विजय गोयल के कारण दिल्ली के बनिया वोटर भाजपा के साथ है। अगर उन्हें उम्मीदवार नहीं बनाया गया तो बनिया जाति कांग्रेस को जाएगी। इस पर मोदी समर्थकों ने सफाई से काट करते हुए कहा कि हर्षवर्दन पंजाबी बनिया है और दिल्ली में पंजाबी बनियों को खासा वोट लेकर वो आएंगे।
दरअसल आडवाणी खेमे को हाशिए पर लाने के बाद मोदी खेमा की चिंता राजनाथ की गतिविधि है। नरेंद्र मोदी के गुप्तचर लगातार राजनाथ सिंह की गतिविधियों के बारे में संकेत नरेंद्र मोदी को दे रहे है। नरेंद्र मोदी इस बात से अंदर खाते चिढे हुए है कि राजनाथ सिंह के खास सिपाही सुधांशु त्रिवेदी और सिदार्थ नाथ सिंह जैसे लोग अभी भी राजनाथ सिंह को चुनावों के बाद सर्वसम्मति के पीएम उम्मीदवार बनाने के लिए लॉबिंग कर रहे है। इसके लिए खास बैठकें भी आयोजित कर रहे है। साथ ही मीडिया में सधे तौर पर खबरें भी प्लांट करवाते है। जबकि राजनाथ सिंह के इन सिपाहियों का कोई जमीनी आधार नहीं है। सिर्फ कारपोरेट लॉबिंग के बल पर ये भाजपा में अपनी राजनीति को जमाए है।
दिल्ली में विजय गोयल के सफाए के बाद अब यूपी में भाजपा की राजनीति गरमाने वाली है। यहां पर भी राजनाथ को हाशिए पर लाने की तैयारी नरेंद्र मोदी खेमा कर चुका है। इससे बचने के लिए राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी के खास अमित शाह से गिट-पिट कर रहे है। अपने कुछ उम्मीदवारों को लोकसभा चुनावों में उतारने के लिए अमित शाह को पटा भी लिया है। लेकिन नरेंद्र मोदी अब अमित शाह पर भी पूरी नजर रखे हुए है। अमित शाह को काउंटर चेक करने के लिए उन्होंने यूपी में एक और टीम लगा रखी है। इस टीम से दिल्ली में नरेंद्र मोदी के दूसरे खास लोग लगातार दिल्ली में बैठकें आयोजित कर रहे है। दरअसल नरेंद्र मोदी के कान इसलिए भी खड़क गए है, कि राजनाथ सिंह ने सुधांशु त्रिवेदी और सिदार्थनाथ सिंह को लोकसभा में उम्मीदवार बनाए जाने के लिए अमित शाह को राजी कर लिया है। राजनाथ सिंह ने सुधांशु त्रिवेदी को मिर्जापुर से टिकट देना तय कर लिया है। वहीं सिदार्थनाथ सिंह को फूलपुर से टिकट देने का फैसला राजनाथ ने किया है। इसके लिए अमित शाह राजी है। लेकिन पार्टी के लोगों ने कुछ अहम सवाल उठाया है। फूलपुर लोकसभा में कायस्थ मतदाता नहीं है। फिर सिदार्थनाथ सिंह को वहां कैसे टिकट मिलेगा इस पर सवाल भाजपा मे उठाया जा रहे है। दिलचस्प बात है कि दिल्ली में सिदार्थनाथ सिंह के समर्थक उन्हें राजपूत बताते है। जबकि वे पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के रिश्तेदार है। वहीं सुधांशु त्रिवेदी के मिर्जापुर से कोई वास्ता नहीं है। लेकिन उन्हें भी राजनाथ सिंह टिकट दिलवाने के लिए एडी चोटी का जोर लगाए है।
संजीव पांडेय
संजीव पांडेय

दरअसल राजनाथ सिंह नरेंद्र मोदी के बुने हुए जाल में फंस गए है। राजनाथ सिंह अपने लिए सुरक्षित जीत वाली सीट चाहते थे। लखनऊ सीट चाहते थे। लेकिन उस सीट पर लालजी टंडन की टिकट पक्की हो गई है। लालजी टंडन ने राजनाथ के लिए सीट छोड़ने से इंकार कर दिया है। राजनाथ सिंह इसके बाद बनारस सीट पर भी दाव खेलना चाहते थे। लेकिन डा. मुरली मनोहर जोशी ने सीट छोड़ने से इंकार कर दिया। जबकि नरेंद्र मोदी के सिपाहियों ने दिल्ली में राय दी है कि राजनाथ सिंह जैसे बड़े नेता को अपने लोकसभा क्षेत्र बदलने की जरूरत नहीं है। इससे गलत संकेत जाएगा। विरोधी यह सवाल उठाएंगे कि जब राष्ट्रीय अध्यक्ष को अपने लोकसभा सीट पर जीत पक्की नजर नहीं आ रही है तो भाजपा सत्ता में कैसे आएगी। इसी आधार पर नरेंद्र मोदी की राय है कि राजनाथ सिंह गाजियाबाद से ही लड़े।

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