दरगाहा का हुबहु मॉडल बनाकर पेश की भाई चारे की मिशाल

modelअजमेर। विश्व प्रसिद्ध सुफी दरवेश ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती ने हर जाति, धर्म और मजहब को मोहब्बत और भाईचारे का पैगाम देकर पुरी दुनिया को एक ही माला में पिरोने का जो सपना देखा उसे हकिकत में साकार करना हम इन्सानो का ही कर्तव्य है, लेकिन सवाल यह है कि क्या हम ख्वाजा साहब के पैगाम को आत्मसात कर पा रहे है। ख्वाजा साहब में अकिदत रखने वाले हर जगह और हर मजहब में है जो अपने अपने तरीके से अपनी मोहब्बत का इजहार करते है।
ऐसे ही एक आशिक रिटायर्ड रेलवे कर्मचारी रमेश जागिड़ है जिन्होंने अपनी अकीदत सें गरीब नवाज की दरगाह का खुबसूरत मॉडल तैयार किया है। मॉडल को देख कर लगता ही नही की यह सागवान की लकडी का बना है। अधिकतर लोग इसे थर्माकोल पर उकेरी गयी चित्रकारी के बाद काट कर बनाई हुई दरगाह समझते है ! दरगाह के गुबंद, बेगमी दालान और आस्ताने की दरों दीवारों को हुबहू नकल कर आकार देने का प्रयास किया गया है। रमेश बताते है की इस मॉडल को बनाने में उन्हें सात महीने का समय लगा । एक दिन दरगाह गए वहा बेठे बेठे ही ख्याल आया की कुछ ऐसा किया जाये जो सबसे अलग हो, बस फिर क्या था। गरीब नवाज की दरगाह को अपने जहन में उतारकर अपनी कला के जरिये उभार डाला, गुम्बद की नक्काशी, कंगूरे समेत विभिन्न बारीकियो का बड़ी खूबसूरती से ख्याल रखा गया है।
रमेश जांगिड हिन्दू है और धर्म से ब्राह्मण है, लेकिन अपने विश्वास से उन्होने जाति धर्म के बन्धनो का दरकिनार कर मुस्लिम समुदाय के विश्व विख्यात सुफी संत की दरगाह का हुबहु माॅडल बना कर सभी का मन जीत लिया है। इस मॉडल पर जांगिड के रिश्तेदारों और परिवार वालो को गर्व है। उनका कहना है की इस प्रयास से हिन्दू मुस्लिम के बीच भाईचारा और विश्वास बढेगा।

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